केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) फॉर्म
को अधिसूचित कर दिया है। रिटर्न भरने के लिए आपको अभी से ही जरूरी डॉक्युमेंट्स को
इकट्ठा करना शुरू कर देना चाहिए। रिटर्न फाइल करने के लिए हालांकि आपके पास 31
मई, 2019 तक का वक्त है। डॉक्युमेंट्स को पहले
ही इकट्ठा कर अपने पास रख लेने से रिटर्न भरने में आपको सहूलियत होगी।
नीचे
हम कुछ जरूरी डॉक्युमेंट्स के बारे में बता रहे हैं, जिनकी आपको वित्त वर्ष 2018-19 का रिटर्न भरने के दौरान जरूरत पड़ेगी। इस बात को ध्यान में रखें कि
वेतनभोगी लोग सामान्यतः आईटीआर-1 या आईटीआर-2 फॉर्म के जरिये आईटीआर दाखिल करते हैं, जो ई-फाइलिंग
वेबसाइट पर मौजूद हैं।
1. फॉर्म-16
अगर आप सैलरीड क्लास से हैं तो आईटीआर फाइल करने के लिए यह एक बेहद अहम डॉक्युमेंट है। फॉर्म 16 एक सर्टिफिकेट है, जिसे नियोक्ता द्वारा जारी किया जाता है, जो यह प्रमाणित करता है कि कर्मचारी के वेतन से टीडीएस की कटौती कर ली गई है और उसे सरकार के पास जमा करा दिया गया है। फॉर्म के पार्ट 'ए' में नियोक्ता का टैन, नियोक्ता तथा कर्मचारी का पैन, अड्रेस, आकलन वर्ष, एंप्लॉयमेंट पीरियड और सरकार के पास जमा कराए गए टीडीएस का संक्षिप्त विवरण होता है। फॉर्म 16 के पार्ट 'बी' में सैलरी ब्रेकअप, डिडक्शन क्लेम का विवरण, कुल टैक्सेबल इनकम तथा सैलरी से काटे गए टैक्स का विवरण होता है। नियोक्ता को आकलन वर्ष में 31 मई से पहले फॉर्म 16 जारी करना पड़ता है।
2. बैंकों और पोस्ट ऑफिस द्वारा जारी इंट्रेस्ट सर्टिफिकेट्स
इस बार जब आप आईटीआर भरेंगे तो आपको इंट्रेस्ट से होने वाली आय का स्रोत बताना होगा। मतलब इंट्रेस्ट से जो आपकी इनकम है वह सेविंग अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट या आय के किसी अन्य स्रोत से हुई है। इंट्रेस्ट से होने वाली कुल आय की जानकारी के लिए आपको बैंक या पोस्ट ऑफिस या किसी अन्य वित्तीय संस्थान से इंट्रेस्ट सर्टिफिकेट लेना होगा।
अगर आपको किसी कारणवश इंट्रेस्ट सर्टिफिकेट नहीं मिल पाता है तो यह सुनिश्चित कर लें कि आपका पासबुक अपडेटेड हो और उसमें 31 मार्च, 2019 तक जमा किए गए इंट्रेस्ट का पूरा विवरण हो।
3. फॉर्म-16ए/फॉर्म-16बी/फॉर्म-16सी
अगर वेतन के अलावा, किसी अन्य भुगतान जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट या रेकरिंग डिपॉजिट पर मिले इंट्रेस्ट पर टीडीएस काटा जाता है तो बैंक आपको फॉर्म-16ए देगा, जिसमें टीडीएस कटौती की रकम का जिक्र होगा। वहीं, अगर आपने किसी संपत्ति की बिक्री की है, तो खरीदार आपको फॉर्म-16बी देगा, जिसमें आपके द्वारा किए गए भुगतान पर टीडीएस की कटौती का जिक्र होगा।
tax2win.in के सीईओ अभिषेक सोनी कहते हैं, 'अगर आप मकान मालिक हैं और किराये से आपको आमदनी हो रही है, तो आप अपने किरायेदार से फॉर्म-16 की मांग कर सकते हैं, जिसमें आपको मिले किराये पर टीडीएस की कटौती का जिक्र होगा।' मौजूदा आयकर कानून के तहत आगर मासिक किराया 50 हजार रुपये से अधिक है तो टीडीएस कटौती जरूरी है।
4. फॉर्म-26एएस
फॉर्म 26-एएस आपका कंसॉलिडेटेड एनुअल टैक्स स्टेटमेंट है। यह आपके टैक्स पासबुक की तरह है, जिसमें आपके द्वारा जमा किए गए तमाम टैक्स का विवरण होता है। इसे आप TRACES (Tax reconcillation Analysis and Correction Enabling System) वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं।
5. टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट प्रूफ
अपने तमाम तरह के टैक्स-सेविंग इन्वेस्टमेंट्स और खर्च के एवज में वित्त वर्ष 2018-19 में सेक्शन 80सी, 80सीसीसी और 80सीसीडी(1) के तहत टैक्स छूट के पात्र हैं और इससे आपका टैक्स कम हो सकता है। आयकर की इन तीनों धाराओं के तहत आप एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख से अधिक टैक्स छूट का दावा नहीं कर सकते।
सेक्शन 80सी के तहत कुछ टैक्स छूट निम्न हैं
1. फॉर्म-16
अगर आप सैलरीड क्लास से हैं तो आईटीआर फाइल करने के लिए यह एक बेहद अहम डॉक्युमेंट है। फॉर्म 16 एक सर्टिफिकेट है, जिसे नियोक्ता द्वारा जारी किया जाता है, जो यह प्रमाणित करता है कि कर्मचारी के वेतन से टीडीएस की कटौती कर ली गई है और उसे सरकार के पास जमा करा दिया गया है। फॉर्म के पार्ट 'ए' में नियोक्ता का टैन, नियोक्ता तथा कर्मचारी का पैन, अड्रेस, आकलन वर्ष, एंप्लॉयमेंट पीरियड और सरकार के पास जमा कराए गए टीडीएस का संक्षिप्त विवरण होता है। फॉर्म 16 के पार्ट 'बी' में सैलरी ब्रेकअप, डिडक्शन क्लेम का विवरण, कुल टैक्सेबल इनकम तथा सैलरी से काटे गए टैक्स का विवरण होता है। नियोक्ता को आकलन वर्ष में 31 मई से पहले फॉर्म 16 जारी करना पड़ता है।
2. बैंकों और पोस्ट ऑफिस द्वारा जारी इंट्रेस्ट सर्टिफिकेट्स
इस बार जब आप आईटीआर भरेंगे तो आपको इंट्रेस्ट से होने वाली आय का स्रोत बताना होगा। मतलब इंट्रेस्ट से जो आपकी इनकम है वह सेविंग अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट या आय के किसी अन्य स्रोत से हुई है। इंट्रेस्ट से होने वाली कुल आय की जानकारी के लिए आपको बैंक या पोस्ट ऑफिस या किसी अन्य वित्तीय संस्थान से इंट्रेस्ट सर्टिफिकेट लेना होगा।
अगर आपको किसी कारणवश इंट्रेस्ट सर्टिफिकेट नहीं मिल पाता है तो यह सुनिश्चित कर लें कि आपका पासबुक अपडेटेड हो और उसमें 31 मार्च, 2019 तक जमा किए गए इंट्रेस्ट का पूरा विवरण हो।
3. फॉर्म-16ए/फॉर्म-16बी/फॉर्म-16सी
अगर वेतन के अलावा, किसी अन्य भुगतान जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट या रेकरिंग डिपॉजिट पर मिले इंट्रेस्ट पर टीडीएस काटा जाता है तो बैंक आपको फॉर्म-16ए देगा, जिसमें टीडीएस कटौती की रकम का जिक्र होगा। वहीं, अगर आपने किसी संपत्ति की बिक्री की है, तो खरीदार आपको फॉर्म-16बी देगा, जिसमें आपके द्वारा किए गए भुगतान पर टीडीएस की कटौती का जिक्र होगा।
tax2win.in के सीईओ अभिषेक सोनी कहते हैं, 'अगर आप मकान मालिक हैं और किराये से आपको आमदनी हो रही है, तो आप अपने किरायेदार से फॉर्म-16 की मांग कर सकते हैं, जिसमें आपको मिले किराये पर टीडीएस की कटौती का जिक्र होगा।' मौजूदा आयकर कानून के तहत आगर मासिक किराया 50 हजार रुपये से अधिक है तो टीडीएस कटौती जरूरी है।
4. फॉर्म-26एएस
फॉर्म 26-एएस आपका कंसॉलिडेटेड एनुअल टैक्स स्टेटमेंट है। यह आपके टैक्स पासबुक की तरह है, जिसमें आपके द्वारा जमा किए गए तमाम टैक्स का विवरण होता है। इसे आप TRACES (Tax reconcillation Analysis and Correction Enabling System) वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं।
5. टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट प्रूफ
अपने तमाम तरह के टैक्स-सेविंग इन्वेस्टमेंट्स और खर्च के एवज में वित्त वर्ष 2018-19 में सेक्शन 80सी, 80सीसीसी और 80सीसीडी(1) के तहत टैक्स छूट के पात्र हैं और इससे आपका टैक्स कम हो सकता है। आयकर की इन तीनों धाराओं के तहत आप एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख से अधिक टैक्स छूट का दावा नहीं कर सकते।
सेक्शन 80सी के तहत कुछ टैक्स छूट निम्न हैं
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ईपीएफ
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पीपीएफ
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ईएलएसएस
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लाइफ इंश्योरेंस
प्रीमियम का भुगतान
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एनपीएस इत्यादि