Saturday, June 15, 2019

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए किन डॉक्युमेंट्स की पड़ेगी जरूरत



केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) फॉर्म को अधिसूचित कर दिया है। रिटर्न भरने के लिए आपको अभी से ही जरूरी डॉक्युमेंट्स को इकट्ठा करना शुरू कर देना चाहिए। रिटर्न फाइल करने के लिए हालांकि आपके पास 31 मई, 2019 तक का वक्त है। डॉक्युमेंट्स को पहले ही इकट्ठा कर अपने पास रख लेने से रिटर्न भरने में आपको सहूलियत होगी। 

नीचे हम कुछ जरूरी डॉक्युमेंट्स के बारे में बता रहे हैं, जिनकी आपको वित्त वर्ष 2018-19 का रिटर्न भरने के दौरान जरूरत पड़ेगी। इस बात को ध्यान में रखें कि वेतनभोगी लोग सामान्यतः आईटीआर-1 या आईटीआर-2 फॉर्म के जरिये आईटीआर दाखिल करते हैं, जो ई-फाइलिंग वेबसाइट पर मौजूद हैं। 

1. फॉर्म-16 
अगर आप सैलरीड क्लास से हैं तो आईटीआर फाइल करने के लिए यह एक बेहद अहम डॉक्युमेंट है। फॉर्म 16 एक सर्टिफिकेट है, जिसे नियोक्ता द्वारा जारी किया जाता है, जो यह प्रमाणित करता है कि कर्मचारी के वेतन से टीडीएस की कटौती कर ली गई है और उसे सरकार के पास जमा करा दिया गया है। फॉर्म के पार्ट '' में नियोक्ता का टैन, नियोक्ता तथा कर्मचारी का पैन, अड्रेस, आकलन वर्ष, एंप्लॉयमेंट पीरियड और सरकार के पास जमा कराए गए टीडीएस का संक्षिप्त विवरण होता है। फॉर्म 16 के पार्ट 'बी' में सैलरी ब्रेकअप, डिडक्शन क्लेम का विवरण, कुल टैक्सेबल इनकम तथा सैलरी से काटे गए टैक्स का विवरण होता है। नियोक्ता को आकलन वर्ष में 31 मई से पहले फॉर्म 16 जारी करना पड़ता है। 

2. बैंकों और पोस्ट ऑफिस द्वारा जारी इंट्रेस्ट सर्टिफिकेट्स 
इस बार जब आप आईटीआर भरेंगे तो आपको इंट्रेस्ट से होने वाली आय का स्रोत बताना होगा। मतलब इंट्रेस्ट से जो आपकी इनकम है वह सेविंग अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट या आय के किसी अन्य स्रोत से हुई है। इंट्रेस्ट से होने वाली कुल आय की जानकारी के लिए आपको बैंक या पोस्ट ऑफिस या किसी अन्य वित्तीय संस्थान से इंट्रेस्ट सर्टिफिकेट लेना होगा। 

अगर आपको किसी कारणवश इंट्रेस्ट सर्टिफिकेट नहीं मिल पाता है तो यह सुनिश्चित कर लें कि आपका पासबुक अपडेटेड हो और उसमें 31 मार्च, 2019 तक जमा किए गए इंट्रेस्ट का पूरा विवरण हो। 

3. फॉर्म-16ए/फॉर्म-16बी/फॉर्म-16सी 
अगर वेतन के अलावा, किसी अन्य भुगतान जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट या रेकरिंग डिपॉजिट पर मिले इंट्रेस्ट पर टीडीएस काटा जाता है तो बैंक आपको फॉर्म-16ए देगा, जिसमें टीडीएस कटौती की रकम का जिक्र होगा। वहीं, अगर आपने किसी संपत्ति की बिक्री की है, तो खरीदार आपको फॉर्म-16बी देगा, जिसमें आपके द्वारा किए गए भुगतान पर टीडीएस की कटौती का जिक्र होगा। 

tax2win.in के सीईओ अभिषेक सोनी कहते हैं, 'अगर आप मकान मालिक हैं और किराये से आपको आमदनी हो रही है, तो आप अपने किरायेदार से फॉर्म-16 की मांग कर सकते हैं, जिसमें आपको मिले किराये पर टीडीएस की कटौती का जिक्र होगा।' मौजूदा 
आयकर कानून के तहत आगर मासिक किराया 50 हजार रुपये से अधिक है तो टीडीएस कटौती जरूरी है। 

4. फॉर्म-26एएस 
फॉर्म 26-एएस आपका कंसॉलिडेटेड एनुअल टैक्स स्टेटमेंट है। यह आपके टैक्स पासबुक की तरह है, जिसमें आपके द्वारा जमा किए गए तमाम टैक्स का विवरण होता है। इसे आप TRACES (Tax reconcillation Analysis and Correction Enabling System) वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं। 

5. टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट प्रूफ 
अपने तमाम तरह के टैक्स-सेविंग इन्वेस्टमेंट्स और खर्च के एवज में वित्त वर्ष 2018-19 में सेक्शन 80सी, 80सीसीसी और 80सीसीडी(1) के तहत टैक्स छूट के पात्र हैं और इससे आपका टैक्स कम हो सकता है। आयकर की इन तीनों धाराओं के तहत आप एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख से अधिक टैक्स छूट का दावा नहीं कर सकते। 

सेक्शन 80सी के तहत कुछ टैक्स छूट निम्न हैं 

·         ईपीएफ
·         पीपीएफ
·         ईएलएसएस
·         लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान
·         एनपीएस इत्यादि


6. 80 डी के तहत डिडक्शन क्लेम करने के लिए डॉक्युमेंट 
सेक्शन 80-सी के तहत टैक्स-सेविंग इन्वेस्टेमेंट्स और खर्च के अलावा, कुछ और खर्च हैं जिनपर आयकर की विभिन्न धाराओं के तहत आप टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। जैसे हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर आप सेक्शन 80-डी के तहत सालाना अधिकतम 25 हजार रुपये की टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। इसके अलावा, आप सेक्शन 80-ई के तहत एजुकेशन लोन पर अदा किए गए इंट्रेस्ट पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। 

7. बैंक/एनबीएफसी से होम लोन स्टेटमेंट लें 
अगर आपने बैंक या किसी अन्य वित्तीय संस्थन से होम लोन लिया है तो उससे पिछले वित्त वर्ष के लिए लोन स्टेटमेंट लेना न भूलें। इसमें इसका जिक्र होता है कि आपने प्रिंसिपल और इंट्रेस्ट के रूप में कितनी राशि का भुगतान किया है। यह स्टेटमेंट आयकर रिटर्न फाइल करने के लिए प्रूफ के साथ-साथ सूचना के स्रोत के रूप में जरूरी है। 

8. कैपिटल गेंस 
अगर आपने प्रॉपर्टी की बिक्री/म्यूचुअल फंड/इक्विटी शेयरों से कैपिटल गेन कमाया है तो आपको आईटीआर में इसका विवरण देना पड़ेगा। सोनी ने कहा, 'हाउस प्रॉपर्टी, जमीन या इमारत की बिक्री से कैपिटल गेन (शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म) की गणना के लिए उन प्रॉपर्टी के परचेज डीड और सेल डीड की जरूरत होगी।

वहीं, म्यूचुअल फंड और/या शेयरों की बिक्री से कैपिटल गेन के मामले में म्यूचुअल फंड हाउसेज और/या ब्रोकर से स्टेटमेंट लेना होगा। 
इक्विटी शेयर और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड पर एलटीसीजी की घोषणा 2018 के बजट में की गई थी। इसलिए, अगर आपने उन इक्विटी शेयर्स और/या इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड्स को वित्त वर्ष 2018-19 में बेचा है और अगर उसे आपने एक साल से अधिक वक्त तक अपने पास रखा है तो उसपर आपको वित्त वर्ष 2018-19 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त टैक्स का भुगतान करना होगा। अगर यह लाभ एक लाख रुपये से अधिक होगा, तो एलटीसीजी पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा और इसपर इंडेक्सेशन का फायदा नहीं मिलेगा।

9. ईसीएस रिफंड के लिए बैंक अकाउंट का प्री-वैलिडेशन 
आयकर विभाग ने घोषणा की है कि एक मार्च, 2019 से वह केवल ई-रिफंड ही जारी करेगा। ये रिफंड उन बैंक अकाउंट में भेजे जाएंगे, जो पैन से लिंक होंगे। इसलिए इनकम टैक्स रिफंड पाने के लिए आपको अपने बैंक अकाउंट को प्री-वैलिडेट करना होगा और उसे पैन से लिंक करना होगा। 

10. आधार कार्ड 
आईटीआर सफलतापूर्वक फाइल करने के लिए आपको आधार का विवरण देना अनिवार्य है। आयकर विभाग ने एक अप्रैल, 2019 से आईटीआर फाइल करने के लिए आधार अनिवार्य कर दिया है। 

11. गैर-सूचीबद्ध शेयरों में निवेश का विवरण जमा करें 
अगर आपने गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में निवेश किया है तो आपको इस साल आईटीआर-2 भरने के दौरान उससे जुड़े तमाम विवरणों को मुहैया कराना होगा। सोनी ने कहा, 'अगर आपकी आमदनी का स्रोत वेतन है और अगर आपने गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश किया है तो आपको आईटीआर-2 भरना अनिवार्य है।

12. बैंक अकाउंट का विरण जमा करें
 
आईटीआर फाइल करते समय आपको अपने तमाम बैंक खातों के बारे में जानकारी देनी होगी। रिटर्न फाइल करते समय आपको बैंक का नाम, खाता संख्या, खाते का प्रकार और आईएफएससी कोड देना होगा। 

13. बैंक और पोस्ट ऑफिस सेविंग्स अकाउंट पासबुक, पीपीएफ अकाउंट पासबुक को अपडेट करें
 
वित्त वर्ष 2018-19 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए आपको बैंक पासबुक को अपडेट और चेक करना होगा। 

14. सैलरी स्लिप 
आपको सैलरी स्लिप की भी जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि हाल में आयकर विभाग ने जो आईटीआर2 जारी किया है, उसमें सैलरी इनकम की प्रकृति जैसे बेसिक, डीए, एचआरए की जानकारी देनी पड़ेगी। 

साभार 

ensoul

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