हरविलास शारदा
3 जून, 1867 - 20 जनवरी, 1955
हरविलास शारदा भारत के
प्रसिद्ध शिक्षाविद, राजनेता, समाज
सुधारक, न्यायविद और लेखक थे।
वह बाल-विवाह प्रथा पर
अंकुश लगाने के उद्देश्य से, बहुचर्चित 'शारदा
ऐक्ट' के प्रकल्पक थे।
हरविलास जी समाज सेवा के
क्षेत्र में आरंभ से ही अग्रणी थे। स्वामी
दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित 'परोपकारिणी
सभा' के सचिव के रूप में
उन्होंने काम किया था। उनका सबसे प्रसिद्ध ग्रन्थ- 'हिंदू
सुपीरियॉरिटी' है। इस ग्रन्थ में
उन्होंने सप्रमाण सिद्ध किया है कि इतिहास काल में सभी क्षेत्रों में हिंदू सभ्यता
अन्य देशों से बहुत आगे थी।
हरविलास शारदा का जन्म 3 जून, 1867 ई.
को अजमेर, राजस्थान में
हुआ था। अपने पिता से महाभारत और रामायण की कहानियाँ सुनकर
उनके अंदर हिंदुत्व के संस्कार पुष्ट हुए। उन्हें स्वामी
दयानंद सरस्वती के भाषण सुनने और
उनके संपर्क में आने का भी अवसर मिला। आगरा कॉलेज से स्नातक की शिक्षा पूरी करने
के बाद उन्होंने आजीविका के लिए अनेक कार्य किए।
अपनी शिक्षा पूरी करने के पश्चात् हरविलास शारदा जज
की अदालत में अनुवादक रहे। राजस्थान में जैसलमेर के
राजा के अभिभावक रहे और 1902 में
अमजेर के कमिश्नर के कार्यालय में 'वर्नाक्यूलर
सुपरिटेंडेट' भी बने। रजिस्ट्रार, सब
जज और अजमेर-मारवाड़ के
स्थानापन्न जज के रूप में काम करने के बाद 1924 में
वे इस सेवा से निवृत्त हुए।
समाज सेवा के
क्षेत्र में हरविलास शारदा आरंभ से ही अग्रणी थे। स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा
स्थापित 'परोपकारिणी सभा' के
सचिव के रूप में उन्होंने काम किया और लाहौर में
हुए 'इंडियन नेशनल सोशल
सम्मेलन' की अध्यक्षता की। 1924 में बरेली के
अखिल भारतीय वैश्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी वही थे।
हरविलास शारदा 1924 में
अजमेर-मारवाड़ से केंद्रीय असेम्बली के सदस्य चुने गए। इसी सीट से 1924 और 1930 में
उन्हें पुन: निर्वाचित किया गया। इस सदस्यता की अवधि में ही उन्होंने समाज सुधार
का ऐसा कार्य किया, जिसके लिए उनका नाम इतिहास में
स्थायी हो गया। भारत में
लड़कियों के बाल विवाह की
बड़ी चिंताजनक प्रथा थी। इन्होंने केंद्रीय असेम्बली से इसे रोकने के लिए 1925 में
एक बिल पेश किया। 'शारदा बिल' के
नाम से प्रसिद्ध यह बिल सितंबर, 1929 में
पास हुआ और 1 अप्रैल, 1930 से
पूरे देश में लागू किया गया। समाज सेवा के कार्यों के लिए सरकार ने उन्हें 'राय
बहादुर' और 'दीवान
बहादुर' की पदवियों से अलंकृत
किया था।
हरविलास शारदा जानेमाने लेखक भी थे। उनका सबसे प्रसिद्ध ग्रन्थ- 'हिंदू सुपीरियॉरिटी' है। 1906 में प्रकाशित इस
ग्रन्थ में उन्होंने सप्रमाण सिद्ध किया है कि इतिहास काल में सभी क्षेत्रों में
हिंदू सभ्यता अन्य देशों से बहुत आगे थी। उनके कुछ अन्य ग्रन्थ निम्नलिखित हैं-
1.
'महाराजा कुंभा'
2.
'महाराजा सांगा'
3.
'शंकराचार्य और
दयानन्द'
4.
'लाइफ़ ऑफ़ स्वामी
दयानन्द सरस्वती'
हरविलास शारदा का 20 जनवरी, 1952 में
देहांत हो गया।