Tuesday, June 2, 2020

Harbilas Sharda

हरविलास शारदा 
जून1867 - 20 जनवरी1955
हरविलास शारदा  भारत के प्रसिद्ध शिक्षाविदराजनेतासमाज सुधारकन्यायविद और लेखक थे। वह बाल-विवाह प्रथा पर अंकुश लगाने के उद्देश्य सेबहुचर्चित 'शारदा ऐक्टके प्रकल्पक थे। हरविलास जी समाज सेवा के क्षेत्र में आरंभ से ही अग्रणी थे। स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित 'परोपकारिणी सभाके सचिव के रूप में उन्होंने काम किया था। उनका सबसे प्रसिद्ध ग्रन्थ- 'हिंदू सुपीरियॉरिटीहै। इस ग्रन्थ में उन्होंने सप्रमाण सिद्ध किया है कि इतिहास काल में सभी क्षेत्रों में हिंदू सभ्यता अन्य देशों से बहुत आगे थी।
हरविलास शारदा का जन्म जून1867 ई. को अजमेरराजस्थान में हुआ था। अपने पिता से महाभारत और रामायण की कहानियाँ सुनकर उनके अंदर हिंदुत्व के संस्कार पुष्ट हुए। उन्हें स्वामी दयानंद सरस्वती के भाषण सुनने और उनके संपर्क में आने का भी अवसर मिला। आगरा कॉलेज से स्नातक की शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने आजीविका के लिए अनेक कार्य किए।
अपनी शिक्षा पूरी करने के पश्चात् हरविलास शारदा जज की अदालत में अनुवादक रहे। राजस्थान में जैसलमेर के राजा के अभिभावक रहे और 1902 में अमजेर के कमिश्नर के कार्यालय में 'वर्नाक्यूलर सुपरिटेंडेटभी बने। रजिस्ट्रारसब जज और अजमेर-मारवाड़ के स्थानापन्न जज के रूप में काम करने के बाद 1924 में वे इस सेवा से निवृत्त हुए।
समाज सेवा के क्षेत्र में हरविलास शारदा आरंभ से ही अग्रणी थे। स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित 'परोपकारिणी सभाके सचिव के रूप में उन्होंने काम किया और लाहौर में हुए 'इंडियन नेशनल सोशल सम्मेलनकी अध्यक्षता की। 1924 में बरेली के अखिल भारतीय वैश्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी वही थे।
हरविलास शारदा 1924 में अजमेर-मारवाड़ से केंद्रीय असेम्बली के सदस्य चुने गए। इसी सीट से 1924 और 1930 में उन्हें पुन: निर्वाचित किया गया। इस सदस्यता की अवधि में ही उन्होंने समाज सुधार का ऐसा कार्य कियाजिसके लिए उनका नाम इतिहास में स्थायी हो गया। भारत में लड़कियों के बाल विवाह की बड़ी चिंताजनक प्रथा थी। इन्होंने केंद्रीय असेम्बली से इसे रोकने के लिए 1925 में एक बिल पेश किया। 'शारदा बिलके नाम से प्रसिद्ध यह बिल सितंबर1929 में पास हुआ और अप्रैल1930 से पूरे देश में लागू किया गया। समाज सेवा के कार्यों के लिए सरकार ने उन्हें 'राय बहादुरऔर 'दीवान बहादुरकी पदवियों से अलंकृत किया था।
हरविलास शारदा जानेमाने लेखक भी थे। उनका सबसे प्रसिद्ध ग्रन्थ- 'हिंदू सुपीरियॉरिटीहै। 1906 में प्रकाशित इस ग्रन्थ में उन्होंने सप्रमाण सिद्ध किया है कि इतिहास काल में सभी क्षेत्रों में हिंदू सभ्यता अन्य देशों से बहुत आगे थी। उनके कुछ अन्य ग्रन्थ निम्नलिखित हैं-
1.     'महाराजा कुंभा'
2.     'महाराजा सांगा'
3.     'शंकराचार्य और दयानन्द'
4.     'लाइफ़ ऑफ़ स्वामी दयानन्द सरस्वती'
हरविलास शारदा का 20 जनवरी1952 में देहांत हो गया।

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