बलराज भल्ला
जन्म- 10 जून, 1888,
मृत्यु- 26 अक्टूबर, 1956
बलराज भल्ला भारत के प्रसिद्ध
क्रांतिकारियों में से एक थे। इनके पिता महात्मा हंसराज प्रसिद्ध
शिक्षाशास्त्री और 'डी. ए. वी. कॉलेज', लाहौर के प्रथम प्रधानाचार्य
थे। बलराज भल्ला बड़े ही साहसिक थे और जोखिम उठाने को सदा तैयार रहते थे। जीवन के
अंतिम दिनों में वे गाँधीजी के अनुयायी हो गए थे।
क्रांतिकारी बलराज भल्ला का जन्म 10 जून,
1888 ई. को पंजाब के गुजरांवाला ज़िले
में हुआ था।
महात्मा हंसराज इनके पिता थे,
जो एक प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री और 'डी.ए.वी.
कॉलेज', लाहौर के प्रथम प्रधानाचार्य
थे।
बलराज भल्ला ने 1911 ई. में एम. ए. की परेक्षा पास की थी, परंतु रासबिहारी बोस और खुदीराम बोस आदि के प्रभाव से
वे छोटी उम्र में ही क्रांतिकारी आंदोलन में सम्मिलित हो गए थे। इस कारण उनकी
विश्वविद्यालय की डिग्रियाँ वापस ले ली गईं।
बलराज बड़े साहसी थे और बड़े से बड़ा खतरा उठाने के
लिए तैयार रहते थे। उनका विश्वास था कि स्वतंत्रता के पवित्र उद्देश्य की पूर्ति
के लिए साम्राज्यवाद के कुछ प्रतिनिधियों की जान लेने या सरकारी बैंकों को लूटने
में कोई बुराई नहीं है।
वाइसराय की गाड़ी पर बम
फेंकने के अभियोग में वर्ष 1919 में बलराज भल्ला को तीन वर्ष की सज़ा हुई थी।
दूसरे 'लाहौर षड्यंत्र केस' में भी उन पर मुकदमा चला था और कठोर करावास की सज़ा उन्हें दी गई।
बलराज भल्ला भारत के ही प्रसिद्ध
क्रांतिकारी लाला लाजपतराय के अनुयायी थे।
अपने कार्यों के लिए सहयोग प्राप्त करने के उद्देश्य
से बलराज भल्ला ने एक बार गुप्त रूप से जर्मनी की भी यात्रा की थी।
जीवन के अंतिम दिनों में बलराज भल्ला का राजनीतिक
हिंसा पर से विश्वास उठ गया था और वे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के अहिंसक मार्ग के अनुयायी बन गए थे।
26 अक्टूबर, 1956 ई. को बलराज भल्ला का देहांत हुआ।