उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से जारी एलटी ग्रेड
शिक्षक भर्ती के विज्ञापन ने नया विवाद उत्पन्न कर दिया है। हिंदी विषय की शिक्षक
भर्ती के अभ्यर्थियों की राह में संस्कृत विषय रोड़ा बन गया है।
आयोग ने आवेदन के लिए इंटरमीडिएट में संस्कृत विषय अनिवार्य
कर दिया है, जबकि पूर्व में हुई भर्तियों में ऐसा नहीं था। इससे लाखों की संख्या में
अभ्यर्थी आवेदन से वंचित हो रहे हैं।
शुक्रवार को बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने आयोग में पहुंचकर प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपा। साथ ही मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन प्रेषित इस विसंगति से अवगत कराया है।
यूपीपीएससी ने राजकीय स्कूलों में एलटी ग्रेड शिक्षकों के 10768 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला है। इनमें 1433 पद हिंदी विषय के शिक्षकों के हैं, जिनमें पुरुष शिक्षकों के 696 और महिला शिक्षकों के 737 पद हैं।
आयोग ने आवेदन के लिए योग्यता निर्धारित की है कि अभ्यर्थी हिंदी से स्नातक हो और अभ्यर्थी ने इंटरमीडिएट में संस्कृत विषय अनिवार्य रूप से लिया हो या संस्कृत के साथ समकक्ष परीक्षा दी हो। साथ ही वह शिक्षा स्नातक हो।
प्रतियोगियों को निर्धारित योग्यता पर आपत्ति है। उनका कहना है कि पूर्व में एलटी ग्रेड शिक्षकों की जितनी भर्तियां हुईं, उनमें इंटरमीडिएट में हिंदी या संस्कृत विषय योग्यता होती थी। यानी दोनों में से कोई एक विषय रहा तो अभ्यर्थी आवेदन कर सकता था।
इंटरमीडिएट में विज्ञान वर्ग के छात्र हिंदी या संस्कृत में कोई एक विषय ही रख सकते हैं। ऐसे छात्रों की संख्या लाखों में है। प्रतियोगी छात्रों ने योग्यता निर्धारण में संशोधन की मांग की है।
प्रतियोगियों ने आयोग के सचिव को ज्ञापन दिया। सचिव जगदीश ने प्रतियोगियों को बताया कि विज्ञापन शासन की नियमावली के अनुरूप जारी किया गया है और उसमें इंटर में संस्कृत को अनिवार्य किया गया है। इसलिए आयोग इसमें संशोधन नहीं कर सकता। संशोधन शासन स्तर से ही संभव है।
शुक्रवार को बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने आयोग में पहुंचकर प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपा। साथ ही मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन प्रेषित इस विसंगति से अवगत कराया है।
यूपीपीएससी ने राजकीय स्कूलों में एलटी ग्रेड शिक्षकों के 10768 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला है। इनमें 1433 पद हिंदी विषय के शिक्षकों के हैं, जिनमें पुरुष शिक्षकों के 696 और महिला शिक्षकों के 737 पद हैं।
आयोग ने आवेदन के लिए योग्यता निर्धारित की है कि अभ्यर्थी हिंदी से स्नातक हो और अभ्यर्थी ने इंटरमीडिएट में संस्कृत विषय अनिवार्य रूप से लिया हो या संस्कृत के साथ समकक्ष परीक्षा दी हो। साथ ही वह शिक्षा स्नातक हो।
प्रतियोगियों को निर्धारित योग्यता पर आपत्ति है। उनका कहना है कि पूर्व में एलटी ग्रेड शिक्षकों की जितनी भर्तियां हुईं, उनमें इंटरमीडिएट में हिंदी या संस्कृत विषय योग्यता होती थी। यानी दोनों में से कोई एक विषय रहा तो अभ्यर्थी आवेदन कर सकता था।
इंटरमीडिएट में विज्ञान वर्ग के छात्र हिंदी या संस्कृत में कोई एक विषय ही रख सकते हैं। ऐसे छात्रों की संख्या लाखों में है। प्रतियोगी छात्रों ने योग्यता निर्धारण में संशोधन की मांग की है।
प्रतियोगियों ने आयोग के सचिव को ज्ञापन दिया। सचिव जगदीश ने प्रतियोगियों को बताया कि विज्ञापन शासन की नियमावली के अनुरूप जारी किया गया है और उसमें इंटर में संस्कृत को अनिवार्य किया गया है। इसलिए आयोग इसमें संशोधन नहीं कर सकता। संशोधन शासन स्तर से ही संभव है।
आयु सीमा बढ़ाए जाने की उठी
मांग
आयोग ने एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के लिए जो विज्ञापन जारी किया है, उसमें अधिकतम आयु एक जुलाई 2018 को 40 वर्ष निर्धारित की गई है।
इससे पहले वर्ष 2016 में एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था। उस
वक्त आवेदन करने वाले हजारों अभ्यर्थी ऐसे थे, जो परीक्षा में शामिल होने के लिए अधिकतम आयु पूरी कर रहे थे। वह
परीक्षा नहीं हुई और नया विज्ञापन निकालकर नए सिरे से आवेदन मांग लिए गए लेकिन अब
वे अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर सकते, दो साल पहले अधिकतम आयु पूरी कर चुकी हैं।
कला विषय में बीएड की
अनिवार्यता पर आपत्ति
एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के तहत कला विषय में शिक्षकों के 470 पद शामिल हैं। इनमें 192 पद पुरुष और 278 पद महिला शिक्षकों के हैं।
कला में भी अभ्यर्थियों के लिए बीएड की योग्यता निर्धारित की गई है और अभ्यर्थी
इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अशासकीय
स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती करता है लेकिन वहां बीएड अनिवार्य नहीं है।
अभ्यर्थियों की मांग है कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की तर्ज पर ही
यूपीपीएससी एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के लिए योग्यता का निर्धारण करे।