अंबेडकरनगर - दो माह से
मानदेय न मिलने से जिले के 2 हजार 143 शिक्षामित्रों के समक्ष आर्थिक
संकट खड़ा हो गया है, घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा
है। मानदेय भुगतान की मांग प्रशासन से लेकर शासन तक से की गई लेकिन गंभीरता नहीं
दिखाई गई। नतीजतन इसका खामियाजा शिक्षामित्रों व उनके परिवारीजनों को भुगतना पड़
रहा है।
गौरतलब है कि जिले में कुल 1352 प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं। इनमें 2 हजार 143 शिक्षामित्रों की तैनाती है। सपा सरकार में शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन हुआ था लेकिन बाद में न्यायालय के निर्देश पर समायोजन रद्द कर दिया गया था। शिक्षामित्रों के लंबे समय तक चले आंदोलन के बाद प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को प्रतिमाह 10 हजार रुपये मानदेय दिए जाने की घोषणा की।
शुरुआत में तो सुचारु ढंग से मानदेय भुगतान हुआ लेकिन दो माह से भुगतान नहीं हो रहा है। इसके लिए शिक्षामित्रों ने जिलास्तरीय अधिकारियों से लेकर शासन तक से शिकायत की लेकिन राहत नहीं मिली।
नतीजतन शिक्षामित्रों के समक्ष विभिन्न प्रकार का आर्थिक संकट खड़ा हो गया। घर के खर्च से लेकर बच्चों की फीस जमा करने तक की मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। मौजूदा समय में सहालग का मौसम है। ऐसे में मानदेय न मिलने से शिक्षामित्रों को वैवाहिक आयोजन में भाग लेने में भी मुश्किलें हो रही हैं।
गौरतलब है कि जिले में कुल 1352 प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं। इनमें 2 हजार 143 शिक्षामित्रों की तैनाती है। सपा सरकार में शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन हुआ था लेकिन बाद में न्यायालय के निर्देश पर समायोजन रद्द कर दिया गया था। शिक्षामित्रों के लंबे समय तक चले आंदोलन के बाद प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को प्रतिमाह 10 हजार रुपये मानदेय दिए जाने की घोषणा की।
शुरुआत में तो सुचारु ढंग से मानदेय भुगतान हुआ लेकिन दो माह से भुगतान नहीं हो रहा है। इसके लिए शिक्षामित्रों ने जिलास्तरीय अधिकारियों से लेकर शासन तक से शिकायत की लेकिन राहत नहीं मिली।
नतीजतन शिक्षामित्रों के समक्ष विभिन्न प्रकार का आर्थिक संकट खड़ा हो गया। घर के खर्च से लेकर बच्चों की फीस जमा करने तक की मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। मौजूदा समय में सहालग का मौसम है। ऐसे में मानदेय न मिलने से शिक्षामित्रों को वैवाहिक आयोजन में भाग लेने में भी मुश्किलें हो रही हैं।