फैजाबाद
जिले में बुनियादी शिक्षा का सहारा बने दो हजार शिक्षामित्रों के मानदेय का भुगतान
न होने से उनके सामने परिवार के भरण-पोषण का संकट उत्पन्न हो गया है। वहीं, बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से
कार्य कर रहे 382 शिक्षामित्रों को तो छह माह से
फूटी कौड़ी भी नसीब नहीं हुई है। ऐसे में सभी शिक्षामित्र आर्थिक तंगी से जूझ रहे
हैं और बिना पैसे के ही शिक्षण कार्य करने को मजबूर हैं।
जिले के कुल 1992 समायोजित शिक्षामित्रों का समायोजन बीती जुलाई में रद्द कर दिया गया। इसके बाद सरकार ने शिक्षामित्रों को दस हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय देने की घोषणा की। पहले तो शिक्षामित्र इसे लेने से इन्कार करते रहे, लेकिन सरकार का रुख नरम न होने व कार्रवाई के भय से शिक्षामित्र काम पर लौट आए। तब से शिक्षामित्र विद्यालयों में पढ़ा रहे हैं, मगर बदले में इन्हें मानदेय नहीं मिल रहा है।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत कार्य रहे 1688 शिक्षामित्रों को तो नवंबर तक भुगतान किया गया, लेकिन बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से कार्य कर रहे 382 शिक्षामित्र छह माह से खाली हाथ हैं। इसके अलावा समायोजन रद्द होने के बाद जुलाई के छह दिन का अवशेष का भुगतान भी आज तक नहीं हो सका है।
मानदेय भुगतान के लिए कई बार शिक्षामित्रों ने बीएसए, जिलाधिकारी सहित कई उच्चाधिकारियों से मांग भी की है। शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने से ये पहले ही दुश्वारियों से गुजर रहे थे। अब दस हजार रुपये मानदेय का भुगतान भी न होने से शिक्षामित्र आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। किसी शिक्षामित्र को बच्चे की फीस जमा करनी है, तो किसी को कर्ज चुकाना है।
जिले के कुल 1992 समायोजित शिक्षामित्रों का समायोजन बीती जुलाई में रद्द कर दिया गया। इसके बाद सरकार ने शिक्षामित्रों को दस हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय देने की घोषणा की। पहले तो शिक्षामित्र इसे लेने से इन्कार करते रहे, लेकिन सरकार का रुख नरम न होने व कार्रवाई के भय से शिक्षामित्र काम पर लौट आए। तब से शिक्षामित्र विद्यालयों में पढ़ा रहे हैं, मगर बदले में इन्हें मानदेय नहीं मिल रहा है।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत कार्य रहे 1688 शिक्षामित्रों को तो नवंबर तक भुगतान किया गया, लेकिन बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से कार्य कर रहे 382 शिक्षामित्र छह माह से खाली हाथ हैं। इसके अलावा समायोजन रद्द होने के बाद जुलाई के छह दिन का अवशेष का भुगतान भी आज तक नहीं हो सका है।
मानदेय भुगतान के लिए कई बार शिक्षामित्रों ने बीएसए, जिलाधिकारी सहित कई उच्चाधिकारियों से मांग भी की है। शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने से ये पहले ही दुश्वारियों से गुजर रहे थे। अब दस हजार रुपये मानदेय का भुगतान भी न होने से शिक्षामित्र आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। किसी शिक्षामित्र को बच्चे की फीस जमा करनी है, तो किसी को कर्ज चुकाना है।