वित्त मंत्री अरूण जेटली ने भले ही
स्वास्थ्य एवं कृषि क्षेत्र को जमकर सौगातें दी हों, लेकिन
शिक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन करते समय उन्होंने अपने हाथ नहीं खोले। इस बजट में
शिक्षा क्षेत्र में कुल 85010 करोड़
रुपए का आवंटन किया है, जो पिछले
साल के संशोधित बजट से मात्र 3141 करोड़ ही
अधिक है। इस तरह देश के शिक्षा बजट में इस साल महज 3.69 फीसदी का
ही इजाफा हुआ। इसके साथ ही वित्त मंत्री ने शिक्षा क्षेत्र के लिए किसी बड़ी योजना
की भी घोषणा नहीं की।
देश के
उच्च शिक्षा संस्थानों में रिसर्च से जुड़ी अधोसंरचनाओं को सुधारने के लिए वित्त
मंत्री ने नए अभियान राइज (रिवाइटलाइजिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड सिस्टम्स इन
एजुकेशन) को शुरू करने का ऐलान किया है। इसके तहत अगले चार साल में उच्च शिक्षा
संस्थानों के अधोसंरचना सुधारने के लिए एक लाख करोड़ रुपए निवेश किए जाएंगे। ये
निवेश हायर एजुकेशन फाइनेंसिंग एजेंसी (हीफा) के जरिए किया जाएगा।
तकनीकी
के क्षेत्र में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री ने प्राइम मिनिस्टर्स
रिसर्च फेलो स्कीम को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत देशभर से एक हजार बीटेक छात्र—छात्राओं को आईआईटी में रिसर्च के लिए चुना जाएगा और इन्हें
सरकार आकर्षक फेलोशिप देगी। वहीं, आदिवासी
बाहुल्य क्षेत्रों में बेहतर स्कूली शिक्षा के लिए वित्त मंत्री ने वर्ष 2022 तक 50 फीसदी
आदिवासी जनसंख्या वाले ब्लॉक्स में एक एकलव्य स्कूल खोलने की घोषणा की है। ये
स्कूल नवोदय विद्यालयों की तर्ज पर खोले जाएंगे। वित्त मंत्री ने आईआईटी और एनआईटी
में 18 नए स्कूल ऑफ प्लानिंग और आर्किटेक्चर खोलने की भी घोषणा की
है। जेटली ने प्री—नर्सरी
से लेकर 12वीं तक की शिक्षा को समग्र रुप से लेने की बात भी कही।