Friday, May 12, 2017

अब यूपी में अभिभावकों को नहीं खरीदनी पड़ेगी महंगी किताबें

योगी राज में यूपी की शिक्षा व्यवस्‍था में बड़ा बदलाव

कई अहम फैसले


यूपी की बदहाल शिक्षा व्यवस्‍था को दुरुस्त करने के लिए सूबे की योगी सरकार ने कमर कस ली है। प्रदेश सरकार ने अब ऐसी व्यवस्‍था बनाई है जिससे यूपी बोर्ड के बच्चे भी सीबीएसई बोर्ड के बच्चों की तरह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल कर सकेंगे।
प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि यूपी बोर्ड में अब एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई होगी और उसी के हिसाब से पाठ्यक्रम भी बनेगा। एक अप्रैल 2018 से स्कूल-कालेजों में नया शैक्षिक कैलेंडर लागू होगा।

प्रदेश सरकार ने कान्वेंट स्कूलों की मनमानी की अभिभावकों की एक बड़ी शिकायत दूर करने के लिए नीति बनाने की घोषणा की है। सरकार ने ये भी स्पष्ट किया है कि अब स्कूल सुविधाएं बढ़ाने के नाम पर मनमानी तरीके से फीस नहीं बढ़ा सकेंगे। सरकार ने ये भी फैसला किया है कि सभी स्कूलों को अपने फीस का ढांचा ऑनलाइन करना होगा ताकि सार्वजनिक रुप से जांच की जा सके। 

सरकार ने जो मसौदा तैयार किया है उसमें अभिभावकों को एक और सहूलियत दी गई है। अभिभावक अपने बच्चे का एडमिशन कराने के 15 दिन यह महसूस करते हैं कि फीस बहुत ज्यादा है तो बच्चे का नाम काटकर उन्हें पूरी फीस वापस कर दी जाएगी। 

योगी सरकार के ये फैसले बेहद अहम माने जा रहे हैं। इससे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बच्चों को काफी फायदा होगा। अब ज्यादातर प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्र सीबीएसई की किताबों के आधार पर ही पूछे जाते हैं। 

सरकार की कोशिश है कि प्रदेश के स्कूलों में अब कम से कम 220 दिन पढ़ाई हो, इसके लिए निर्देश जारी किए जा रहे हैं। इनमें शिक्षकों को 200 दिन के अंदर कोर्स पूरा करना होगा । बाकी के 20 दिन में ये कमजोर बच्चों को पुन: अभ्यास कराने में लगाएंगे।

सरकार की अब प्रदेश भर के माध्यमिक विद्यालयों में एकसमान शिक्षा लागू करने की तैयारी है। यह कार्य नए शैक्षिक सत्र यानी जुलाई से शुरू करने पर मंथन चल रहा है लेकिन, इतने कम समय में गांवों से लेकर शहर तक के लाखों छात्र-छात्राओं को समय पर पुस्तकें मुहैया करा पाना आसान नहीं होगा। माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड परीक्षार्थियों की संख्या के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा बोर्ड है।


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