Thursday, May 11, 2017

अब सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मिड डे मील



सरकारी स्कूलों में बच्चों को दिए जाने वाले मिड डे मील (एमडीएम) में होने वाली गड़बड़ियों पर अंकुश लगना तय है। एमडीएम योजना के तहत बच्चों को दिए जाने वाले भोजन की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा एमडीएम मॉनीट¨रग एंड रिपोर्टिग व्यवस्था तैयार की गई है। प्रदेश के सभी जनपद के बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा www.ह्वश्चद्वस्त्रद्व.श्रह्मद्द वेबसाइट के जरिए स्कूलों का ब्योरा भरना है। इसके लिए विभाग को 15 मई तक का समय दिया गया है।
दरअसल बच्चों के बौद्धिक और शारीरिक विकास के मकसद से चलाई जा रही मिड डे मील योजना में बीते वर्षो व्यापक स्तर पर गड़बड़ी के मामले सामने आते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के बाद मध्याह्न भोजन को लेकर मांगी गई जानकारी बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा ऑनलाइन उपलब्ध करानी शुरू कर दी गई है। प्रत्येक जिला स्तर पर इसके लिए तेजी से काम जारी है। लखनऊ मंडल के तहत राजधानी के करीब 2082 स्कूलों में से 1293 स्कूलों की ऑनलाइन फीडिंग की जा चुकी है। वहीं 785 स्कूलों का ब्योरा उपलब्ध कराया जाना बाकी है। इसी तरह उन्नाव के 3240 स्कूलों में से 1980, हरदोई के 4010 में से 491, सीतापुर के 4357 स्कूलों में से 4280 और रायबरेली के 2519 स्कूलों में से 2175 स्कूलों का ब्योरा ऑनलाइन उपलब्ध कराया जा चुका है।
इन बिंदुओं पर देनी है जानकारी
स्कूल में पंजीकृत छात्रों की संख्या कितनी हैं?
स्कूल द्वारा एफसीआइ से अनाज खरीदा जा रहा है अथवा उचित मूल्य की दुकान से?
एफसीआइ गोदाम या दुकान से किस माध्यम से अनाज को स्कूल लाया जाता है?
साप्ताहिक मेनू कैसे बनाया जा रहा और इसका निर्धारण कौन करता है?
क्या स्कूल में साप्ताहिक मेनू दर्शाया गया है
-एमडीएम योजना के तहत क्या न्यूट्रीशन एक्सपर्ट को भी शामिल किया गया है?
योजना के तहत बच्चों को फल और अंडे दिए जाने की क्या और कैसी व्यवस्था है?
क्या स्कूल द्वारा बच्चों को आवश्यक बर्तन जैसे थाली, गिलास, चम्मच कटोरी उपलब्ध कराई गई है?
क्या स्कूल में पीने के लिए स्वच्छ पानी की व्यवस्था है?
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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत मिड डे मील को लेकर स्कूलों का ब्योरा ऑनलाइन उपलब्ध कराने को कहा गया है। यह काम 15 मई तक पूरा होना है। अधिकांश जनपदों में डाटा फीडिंग का काम पूरा किया जा चुका है। समय के भीतर शेष स्कूलों की फीडिंग का काम भी पूरा कर लिया जाएगा।

-महेंद्र सिंह राणा, एडी बेसिक षष्ठ मंडल

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