शहीद पंडित रामरक्खा
बाली
पंडित राम रक्खा बाली सुपत्र श्री जवाहिर राम पंजाब के होशियारपुर जिले के रहने वाले थे। उनका जन्म ससौली गांव में हुआ था। वे मांडले षड्यंत्र कांड में उम्र कैद की सजा पाकर काला पानी पहुंचे थे।
सेल्युलर जेल अधिकारियों ने उनके जनेऊ धारण करने पर आपत्ति जताई तो उन्होंने जमकर प्रतिकार किया। यहां सवाल उनकी आस्था का था। इस पर वे चोट बर्दाश्त नहीं कर सकते थे। ये मामला बढ़ता गया। बाद में उन्होंने जेल में भूख हड़ताल की। तीन महीने तक भूख हड़ताल पर रहे पर वे यातना के आगे झुके नहीं।
अंततोगत्वा उन्होंने 1 जून 1919 को 93 दिन भूख हड़ताल रखने के बाद अंडमान की सेलुलर जेल में अपने प्राण देश और धर्म के नाम पर कुर्बान कर दिए थे। पर अपने जमीर से कोई समझौता नहीं किया।
पंडित राम रक्खा बाली सुपत्र श्री जवाहिर राम पंजाब के होशियारपुर जिले के रहने वाले थे। उनका जन्म ससौली गांव में हुआ था। वे मांडले षड्यंत्र कांड में उम्र कैद की सजा पाकर काला पानी पहुंचे थे।
सेल्युलर जेल अधिकारियों ने उनके जनेऊ धारण करने पर आपत्ति जताई तो उन्होंने जमकर प्रतिकार किया। यहां सवाल उनकी आस्था का था। इस पर वे चोट बर्दाश्त नहीं कर सकते थे। ये मामला बढ़ता गया। बाद में उन्होंने जेल में भूख हड़ताल की। तीन महीने तक भूख हड़ताल पर रहे पर वे यातना के आगे झुके नहीं।
अंततोगत्वा उन्होंने 1 जून 1919 को 93 दिन भूख हड़ताल रखने के बाद अंडमान की सेलुलर जेल में अपने प्राण देश और धर्म के नाम पर कुर्बान कर दिए थे। पर अपने जमीर से कोई समझौता नहीं किया।