सागरमल गोपा
3 नवंबर,1900 - 4 अप्रैल,1946
सागरमल गोपा भारत में जैसलमेर के स्वतंत्रता सेनानी और देशभक्त थे। उनका जन्म 3 नवंबर सन् 1900 में हुआ था। एक समृद्ध और प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार से संबंधित होने के नाते उनके पूर्वज जैसमलेर साम्राज्य के राजगुरू थे, उन्होंने सम्मानित पदों पर रहते हुए राज्य की सेवा की। उनके पिता श्री आख्या राज, जैसलमेर के राज्य में सेवारत थे।
युवावस्था के दौरान, सागरमल ने अपने गृह राज्य से स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा में उदासीन रवैये को देखा। इससे सागरमल गोपा बहुत परेशान हुए और धीरे-धीरे उनके भीतर विद्रोह के लिए जुनून की एक लौ उत्पन्न हुई। श्री सागरमल गोपा अपने परिवार के साथ नागपुर चले गए और तब उन्होंने वहाँ स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा में पूरी तरह से अपना जीवन समर्पित करने का वचन दिया।
सन् 1921 में, सागरमल ने गैर-सहकारिता आंदोलन में एक सक्रिय भूमिका निभाई, जहाँ उन्होंने क्षेत्र के शासकों द्वारा आम लोगों के लिए उदासीन रवेये के खिलाफ जोरदार विरोध किया। सागरमल ने अखिल भारतीय राजसी राज्यों की परिषदों के सम्मेलनों में भी भाग लिया है।
गुस्साए हुए प्रशासन द्वारा उन्हें जैसलमेर और हैदराबाद से निष्कासित कर दिए जाने के बावजूद भी उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के लिए काम करना जारी रखा। कई किताबें प्रकाशित करके, सागरमल ने अपना संदेश फैलाया और प्रेस के माध्यम से अपने आंदोलन में शामिल होने के लिए जनता को प्रेरित किया, जिनमें सबसे प्रसिद्ध ‘जैसलमेर राज्य का गुंडा शासन’ और ‘रघुनाथ सिंह का मुकदमा’ है।
जैसलमेर में स्वतंत्रता के लिए सागरमल का निरंतर अडिग संघर्ष जारी रहा। उनके पिता का निधन अक्टूबर सन 1938 में हो गया, जिसके बाद सागरमल को जैसलमेर राज्य के निवासी द्वारा उन पर किसी तरह के दुर्व्यवहार या कानूनी मामले के खिलाफ की गारंटी के तहत घर लौटाने का नेतृत्व किया गया।
इस आश्वासन का उल्लंघन हुआ और सागरल को 25 मई सन 1941 को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद वह कई सालों के लिए कैद कर लिए गए, जिसमें से वह अंततः कभी रिहा नहीं किए गए। क्रूरता और यातनाओं के साथ उनको कैद में रखा गया, जिसकी वजह से 4 अप्रैल 1946 में जेल में ही उनका निधन हो गया।जैसलमेर मेँ कहा जाता हें कि उनको तत्कालीन थानेदार नें जिंदा जला दिया
इस महान शहीद को भारत सरकार और डाक विभाग द्वारा ‘स्वतंत्रता के लिए भारत का संघर्ष’ शीर्षक श्रृंखला के लिए 29 दिसंबर 1986 को एक स्मारक टिकट जारी करके श्रद्धांजलि दी गई। इंदिरा गांधी नहर की डिगा शाखा branch का नाम भी उनके नाम पर रखा गया हे जो इन्दिरा गाँधी नहर के अंतिम छोर सें निकलती हें। जिसका नाम सागर मल गोपा शाखा( SMGS) हें ।