कभी अस्थमा से पीड़ित रहे और 100 मीटर भागने में भी हांफ जाने वाले सत्यरूप
सिद्धांत ने दुनिया के सातों महाद्वीपों में सात पहाड़ों पर तिरंगा फहराने वाले
पहले भारतीय बन गए हैं। सत्यरूप यह उपलब्धि हासिल करने वाले पांचवें भारतीय हैं।
उन्होंने दक्षिणी ध्रुव के आखिरी हिस्से में 111 किलोमीटर की
चढ़ाई महज छह दिनों में की थी। वह अंटार्कटिका में बांसुरी से राष्ट्रीय गीत की धुन
बजाने वाले पहले भारतीय हैं। सत्यरूप ने कहा कि मैं बड़े सपने देखने में विश्वास
रखता हूं और उन्हें पूरा करने में अपनी ओर से कोई कमी नहीं छोड़ता। चाहे कितने भी
विपरीत हालात हो, मैं अपने सपनों का पीछा हर हाल में करता
हूं।
सत्यरूप का मिशन एडवेंचर स्पोटर्स के क्षेत्र में क्रांति लाने के
साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना भी है। उन्होंने न सिर्फ
माउंट एवरेस्ट, बल्कि दुनिया के सात महाद्वीपों के सात सबसे ऊंचे
पर्वतों पर तिरंगा फहराया। सत्यरूप अब हर महाद्वीप में ज्वालामुखी पर्वतों पर चढ़ाई
करने के आखिरी राउंड में है। जनवरी 2019 में 35 साल 9 महीने की उम्र में वह हर महाद्वीप में मौजूद
सात ज्वालामुखी पर्वतों और सात पहाड़ों पर तिरंगा फतह हासिल करने वाले वह सबसे कम
उम्र के पर्वतारोही बन जाएंगे।
सत्यरूप ने 2017 में अंटार्कटिका में माउंट विन्सन मैसिफ पर
चढ़ाई की थी। दुनिया के छह महाद्वीपों को सबसे ऊंची चोटी को फतह कर चुके सत्यरूप
अपना ग्रैंडस्लैम खिताब पूरी करने के लिए अंटार्कटिका और चिली के दो महीने के
अभियान पर पिछले साल 30 नवंबर को रवाना हुए थे।
इससे पहले नवंबर 2015 में बांग्लादेश के वासिया नजरीन ने इस शिखर पर
चढ़ाई की थी।