Thursday, March 15, 2018

जीवन की सांझ में शिक्षा का उजियारा

इलाहाबाद : स्थान कुलभास्कर आश्रम पीजी कॉलेज का गेट। छत्रपति साहूजी महराज विश्वविद्यालय कानपुर की वार्षिक परीक्षा के लिए एडमिट कार्डो की गेट पर चेकिंग चल रही थी। गेट में एक बुजुर्ग को देखकर गेट पर खड़े डॉ. आरए अवस्थी ने पूछा, आप यहां कैसे? साहब परीक्षार्थी हूं। आप और परीक्षार्थी? डॉ. अवस्थी असहज हो गए। भौंचक हो 72 वर्षीय बुजुर्ग को एकटक निहारते ही रह गए। सहसा विश्वास ही नहीं हो रहा था कि इतने बुजुर्ग व्यक्ति को भला पढ़ाई की धुन क्यों सवार है जैसे सैकड़ों सवाल दिमाग में कौंध गए। क्या मजाक कर रहे हो बाबा जी। साहब मजाक नहीं सच बोल रहा हूं। जेब से एडमिटकार्ड निकाला और डॉ. अवस्थी के हाथ में रख दिया। एडमिट कार्ड पर नाम दीनानाथ शुक्ल और कक्षा बीए तृतीय वर्ष लिखा था। जन्म तिथि के अनुसार उम्र 72 वर्ष। परीक्षा दर्शनशास्त्र की थी। डॉ. अवस्थी के साथ अन्य लोगों के बीच दीनानाथ शुक्ल चर्चा का विषय बन गए।
इन दिनों छत्रपति शाहू जी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय की परीक्षाएं चल रही हैं। बुधवार को भी कानपुर यूनिवर्सिटी की परीक्षा थी। इसके लिए कुलभास्कर आश्रम डिग्री कॉलेज को परीक्षा केंद्र बनाया गया था। यहां पुराना अल्लापुर के रहने वाले 72 वर्षीय बुजुर्ग दीनानाथ शुक्ल पुत्र राम खेलावन शुक्ल बीए तृतीय वर्ष की परीक्षा देने आए थे। उनकी दर्शनशास्त्र विषय की परीक्षा होनी थी। परीक्षा का समय सुबह 11 बजे से अपराह्न दो बजे तक का था। दीनानाथ शुक्ल कॉलेज में परीक्षा देने पहुंचे तो इंट्री गेट से लेकर परीक्षा कक्ष तक वे कौतूहल का विषय बने रहे। किसी को विश्वास ही नहीं हो पा रहा था कि इतना बुजुर्ग व्यक्ति परीक्षा देने आया है। सभी को यह जानने में दिलचस्पी थी कि आखिर वे बीए की पढ़ाई क्यों कर रहे हैं?
दीनानाथ वैसे तो पेशे से इंजीनियर हैं और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं पर बीए की पढ़ाई के पीछे उनका तर्क बड़ा रोचक है। कहा-बैठे बैठे इंसान को भी जंग लग जाती है। चलते रहना चाहिए। पढ़ते रहना चाहिए। पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। मेरा बीए करने का मकसद बस यही है कि समाज में एक संदेश दे सकूं।

ensoul

money maker

shikshakdiary

bhajapuriya bhajapur ke