यूपी में सरकारी भर्ती प्रक्रिया बिना अड़ंगेबाजी के पूरी नहीं होती : चयन सूची की फाइल गुम
फाइल गुम होने से नई मेरिट कैसे तैयार की जायेगी यह बड़ा सवाल है। मामला एलटी ग्रेड के शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा है।
प्रदेश में कोई भी सरकारी भर्ती प्रक्रिया बिना अड़ंगेबाजी के पूरी नहीं हो पाती। भर्ती के लिए विज्ञापन से शुरू होने वाली प्रक्रिया विभिन्न स्तरों पर फंसते-फंसाते अंतत: अदालत में जाकर कई सालों के लिए विचाराधीन हो जाती है। अदालत नीर-क्षीर विवेचन के बाद ज्यादातर मामलों में अभ्यर्थियों के पक्ष में निर्णय देती है, लेकिन सरकारी मुलाजिम भर्तियों में रोड़े अटकाने के लिए किसी न किसी न तरह का अड़ंगा लगा ही देते हैं। ताजा मामला एलटी ग्रेड के शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा है। राजकीय कालेज की एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती 2012 में करीब 1400 शिक्षकों की भर्ती हुई थी, लेकिन लगता है ये भर्तियां भी कई और साल के लिए खटाई में पड़ने वाली हैं। इन भर्तियों से जु़ड़ी इलाहाबाद मंडल की पुरुष चयन की मेरिट सूची की फाइल गुम हो गई है। यह फाइल कहां गई और कौन दोषी है कोई नहीं जानता। कार्रवाई के नाम पर कुछ लिपिकों का वेतन तक रोका गया, लेकिन यह प्रकरण सुलझ नहीं पाया है।दरअसल, ये भर्तियां शुरू से ही किसी न किसी झमेले में फंसती रहीं हैं। राजकीय कालेजों के लिए 1400 से अधिक एलटी ग्रेड शिक्षकों की यह भर्तियां सूबे के मंडल मुख्यालयों पर मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों ने की थी। चयन और नियमों को लेकर अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र गड़बड़ होने पर तभी गंभीर सवाल उठे थे। बाद में चयन वाले विषय के आधार पर ही परास्नातक के गुणवत्ता अंक यानि क्वालिटी पॉइंट मार्क्स देने संबंधी याचिका हाईकोर्ट में दाखिल हुई। कोर्ट ने स्नातक के विषय से अलग विषय में परास्नातक करने वाले अभ्यर्थियों को 15 क्वालिटी पॉइंट मार्क्स दिया जाना गलत माना। हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों के चयन में गुणवत्ता अंक को लेकर जो निर्णय दिया, इससे पुरुष संवर्ग की मेरिट बदलने के आसार हैं। सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन करने का निर्देश मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों को दिया है। अब जैसे तैसे छह साल बाद पुरुष संवर्ग की नई मेरिट का निर्धारण होगा, लेकिन फाइल गुम होने से नई मेरिट कैसे तैयार की जायेगी यह बड़ा सवाल है।