-डिप्टी सीएम बोले, शिक्षकों शोषण रोकने के लिए उठाए
जाएंगे हर संभव कदम
-शिक्षकों के निस्तारण के लिए
ट्रिब्युनल गठित किए जाने पर हो रहा विचार
जागरण
संवाददाता,लखनऊ:
स्ववित्तपोषित विद्यालयों के शिक्षकों के लिए नियमावली बनाई जाएगी। जिससे उनको
शोषण रोका जा सके। उनके हितों की रक्षा के लिए ट्रिब्युनल गठित किए जाने पर भी
विचार किया जा रहा। यहा कहना था उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा का।
गुरुवार को
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ की ओर से गन्ना संस्थान सभागार में ग्रीष्मकालीन
विचारगोष्ठी एवं राज्य परिषद सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में मुख्यअतिथि
के तौर पर शामिल होने पहुंचे डिप्टी सीएम ने शिक्षकों से कहा कि सरकार से आपसी
संवाद बनाए रखें, जिससे
व्यवस्था में सार्थक कदम उठाए जा सकें। उन्होंने कहाकि 10 वी व 12 वीं कक्षा के मेधावी
छात्र-छात्राओं की उत्तर पुस्तिकाओं कों वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। इसके अलावा
नकलविहीन परीक्षा प्रणाली तैयार की जाएगी। जिससे शिक्षा को सही आयाम मिल सके।
विधान परिषद सदस्य प्रो वसीम बरेलवी ने कहा कि किसी भी देश के निर्माण की बुनियाद
सिर्फ शिक्षा है। ऐसे में प्राथमिकता शिक्षा होनी चाहिए। उन्होंने प्रदेश के सभी
जनपदों में एक आदर्श स्कूल का तैयार किए जाने की अपील की। जिससे अन्य राज्यों के
समक्ष नजीर प्रस्तुत की जा सके। उन्होंने कहा कि बिगड़ते महौल में शिक्षकों को अपनी
जिम्मेदारी समझनी होगी। जिससे भावी पीढ़ी को जीवन के सही मूल्यों की ओर ले जाने का
दायित्व निवर्हन हो सके। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा
ने कहा कि संघ द्वारा शिक्षकों के समस्याओं का हर स्तर पर निराकरण किया जाएगा। डॉ
जयपाल सिंह व्यस्त ने शिक्षकों के विनयमितिकरण, पुरानी पेंशन योजना को पुन: शुरू
किए जाने, मैटरनिटी व
चाइल्ड लीव जैसे मुद्दों पर आवाज बुलंद की। सम्मेलन में वित्त विहीन विद्यालयों
में शिक्षकों के रिक्त पदों पर पूर्ति, पुरानी पेंशन बहाली, तदर्थ शिक्षकों के विनियमितिकरण, निश्शुल्क चिकित्सा सुविधा, सहायता प्राप्त व राजकीय
विद्यालयों में बालक-बालिकाओं के लिए पृथक शौचालय निर्मित कराने के लिए समुचित
अनुदान उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी गई। इस दौरान जगवीर किशोर जैन, ध्रुव कुमार त्रिपाठी, हेम सिंह पुंडीर, सुरेश कुमार त्रिपाठी, डॉ आर पी मिश्र, एसके सिंह राठौर समेत तमाम शिक्षक
मौजूद रहे।