आज पूरी दुनिया में World AIDS Vaccine Day मनाया जाता है। एड्स आज भी एक लाइलाज बीमारी बना हुआ है और अभी तक इसकी कोई भी वैक्सीन नहीं खोजी जा सकी है। कोरोना वायरस के बारे में भी WHO के द्वारा चेतावनी दी जा चुकी है कि शायद यह वायरस दुनिया से कभी खत्म ही न हो। सालों पहले एड्स भी एक ऐसे HIV वायरस के कारण शुरू हुआ, जिसके इलाज के लिए आज तक कोई भी वैक्सीन नहीं बनाई जा सकी है।
क्यों मनाया जाता है विश्व एड्स वैक्सीन दिवस?
एचआईवी से बचाव करने और वैक्सीन को बनाने के लिए कई हर साल विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाया जाता है। विश्व एड्स वैक्सीन दिवस कई वालंटियर, कम्युनिटी मेंबर्स, हेल्थ प्रोफेशनल्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर एड्स को खत्म करने के लिए वैक्सीन बनाने के लिए उनके द्वारा किये जा रहे प्रयासों के बारे में चर्चा करने का दिन भी है। एक सुरक्षित और प्रभावी एचआईवी वैक्सीन एचआईवी महामारी को खत्म करने के लिए बहुत जरूरी है। इस दिन लोगों को एड्स से बचे रहने के उपाय और संभावित इलाज के बारे में भी जागरुक किया जाता है।यह भी है एक वजह
ऐसा कहा जाता है कि विश्व एड्स वैक्सीन दिवस 18 मई, 1997 को मॉर्गन स्टेट यूनिवर्सिटी में तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन द्वारा दिए गए एक भाषण से प्रभाव में आया। क्लिंटन ने दुनिया को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बढ़ते हुए युग में नए लक्ष्य को निर्धारित करने और अगले एक दशक के भीतर एड्स का टीका विकसित करने की बात कही, मॉर्गन ने कहा था, " सही मायने में केवल एक प्रभावी, एचआईवी निवारक टीका ही इसे सीमित कर सकता है और एड्स के खतरे को समाप्त कर सकता है।"आज तक क्यों नहीं बन पाई वैक्सीन
एड्स को खत्म करने के लिए आज भी कई सारे वैज्ञानिक लगातार शोध और प्रयोग कर रहे हैं लेकिन उन्हें अभी तक सफलता नहीं मिली है। हालांकि एक ऐसी वैक्सीन बनाई जा चुकी है जो HIV वायरस की चपेट में न आने वाले लोगों पर असरकारी साबित हो सकती है।
जबकि संक्रमित व्यक्ति के शरीर में इस
वायरस को मारने के लिए वैज्ञानिक इसका वैक्सीन इसलिए नहीं बना पा रहे हैं क्योंकि
एड्स से ग्रसित व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करने के बाद यह वायरस रोग प्रतिरोधक
क्षमता को कमजोर करने के साथ-साथ अन्य अंगों पर भी हानिकारक प्रभाव डालता है।
जिसके कारण इस वायरस के अटैक करने की प्रकृति और इसको रोकने के लिए सही वैक्सीन
बनाना मुश्किल भरा है। फिलहाल अभी तक कोई भी प्रभावी टीका नहीं बन पाया है। यूएन
एड्स 2017 की रिपोर्ट के
अनुसार भारत में 69 हजार लोगों की मौत एड्स के कारण हो चुकी
है।
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