Monday, June 22, 2020

Ganesh Ghosh

गणेश घोष 
22 जून1900बंगाल - 16 अक्टूबर1994
 गणेश घोष  बंगाली भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी और राजनीतिज्ञ थे। 'मानिकतल्ला बम कांड' के सिलसिले में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। 1928 में वे जेल से बाहर निकले और कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में भाग लिया। सन 1946 में गणेश घोष कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बन गए थे। वे 1952 में बंगाल विधान सभा के और 1967 में लोकसभा के सदस्य चुने गए।
गणेश घोष का जन्म 22 जून, सन 1900 ई. में ब्रिटिशकालीन भारत में बंगाल में हुआ था। विद्यार्थी जीवन में ही वे स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हो गए थे। 1922 की गया कांग्रेस में जब बहिष्कार का प्रस्ताव स्वीकार हो गया तो गणेश घोष और उनके साथी अनंत सिंह ने नगर का सबसे बड़ा विद्यालय बंद करा दिया था। इन दोनों युवकों ने चिटगाँव की सबसे बड़ी मज़दूर हड़ताल की भी अगुवाई की।
जब गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया तो गणेश कोलकाता के जादवपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में भर्ती हो गए। 1923 में उन्हें 'मानिकतल्ला बम कांड' के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया गया। कोई प्रमाण न मिलने के कारण उन्हें सज़ा तो नहीं हुई पर सरकार ने 4 वर्ष के लिए नज़रबंद कर दिया था।
1928 में वे बाहर निकले और कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में भाग लिया। फिर वे प्रसिद्ध क्रांतिकारी सूर्य सेन के संपर्क में आए और शस्त्र बल से अंग्रेज़ों की सत्ता समाप्त करके चिटगाँव में राष्ट्रीय सरकार की स्थापना की तैयारी करने लगे। पूरी तैयारी के बाद इन क्रांतिकारियों ने वहाँ के शास्त्रगार और टेलिफोन, तार आदि अन्य महत्त्व के स्थानों पर एकसाथ आक्रमण कर दिया। इनका इरादा शस्त्रागार पर कब्ज़ा करके फिर ब्रिटिश सरकार के सैनिकों का सामना करने का था। इस अकस्मात आक्रमण से अधिकारी एक बार तो सकते में आ गए। परंतु क्रांतिकारियों को शस्त्रागार से शस्त्र तो मिल गए, पर गोला-बारूद, जिसे अंग्रेज़ों ने दूसरी जगह छिपा कर रखा था, नहीं मिल सका। इसलिए स्वतंत्र क्रांतिकारी की घोषणा करने के बाद भी ये उसे कायम नहीं रख सके और इन्हें सूर्य सेन के साथ जलालाबाद की पहाड़ियों में चले जाना पाड़ा।
इस बीच गणेश अपने साथियों से बिछुड़ गए और फ्रांसीसी बस्ती चंद्र नगर चले गए। वहीं गिरफ्तार करके कोलकाता लाए गए और 1932 में आजन्म कारावास की सज़ा देकर अंडमान भेज दिए गए। स्वतंत्रता के बाद भी उन्होंने अनेक आंदोलनों में भाग लिया और अपने जीवन के लगभग 27 वर्ष जेलों में बिताए।[1]
वहाँ वे कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित हुए और 1946 में जेल से छूटने पर कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बन गए। 1964 में जब कम्युनिस्ट पार्टी का विभाजन हुआ तो वे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी में सम्मिलित हो गए।
गणेश घोष 1952 में बंगाल विधान सभा के और 1967 में लोकसभा के सदस्य चुने गए।

गणेश घोष जी की मृत्यु 16 अक्टूबर1994 को कोलकाता में हुआ था।

ensoul

money maker

shikshakdiary

bhajapuriya bhajapur ke