गणेश
दामोदर सावरकर
13 जून 1879
– 16 मार्च 1945
गणेश
दामोदर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक
महत्वपूर्ण सेनानी थे। वे वीर सावरकर के बड़े भाई थे। वे 'बाबाराव
सावरकर' नाम से प्रसिद्ध हैं।
प्रसिद्ध क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर के
बड़े भाई गणेश दामोदर सावरकर (बाबा सावरकर) का जन्म 1879 ई. में महाराष्ट्र राज्य के नासिक नगर के निकट भागपुर नामक स्थान
में हुआ था।
नासिक में ही उनकी शिक्षा
हुई। आरंभ में उनकी रुचि धर्म, योग, जप,
तप आदि विषयों की ओर थी।
1897 में
प्लेग आफीसर रेंड के अत्याचारों से क्रुद्ध चापेकर बंधुओं ने उसकी हत्या की और
उससे पूरे महाराष्ट्र में हलचल मच गई तो गणेश पर,
जो बाबा सावरकर कहलाते थे, इसका कोई प्रभाव
नहीं पड़ा।
एक बार तो वे सन्न्यास लेने
की सोचने लगे थे पर प्लेग में पिता की मृत्यु हो जाने से छोटे
भाईयों की शिक्षा-दीक्षा आदि का दायित्व आ जाने से उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो
सकी।
महाराष्ट्र में उस समय ‘अभिनव भारत’
नामक क्रांतिकारी दल काम कर रहा था। विनायक सावरकर इस दल से संबद्ध
थे। वे जब इंग्लैण्ड चले गए तो उनका काम बाबा
सावरकर ने अपने हाथों में ले लिया।
वे विनायक की देशभक्त की
रचनाएँ और उनकी इंगलैण्ड से भेजी सामग्री मुद्रित कराते, उसका वितरण
करते और ‘अभिनव भारत’ के लिए धन एकत्र
करते। यह कार्य सरकार की दृष्टि से ओझल नहीं रहा।
1909 में वे
गिरफ्तार किए गए। देशद्रोह का मुक़दमा चला और आजीवन कारावास की सज़ा देकर अंडमान भेज दिए
गए। 1921 में वहाँ से भारत लाए गए और एक वर्ष साबरमती जेल
में बंद रह कर 1922 में रिहा हो सके।
गणेश सावरकर डॉ. हेडगेवार
के संपर्क में आए जिन्होंने 1925 में ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ की स्थापना की। सावरकर आर. एस. एस. के प्रचार कार्य में लग गए।
गणेश दामोदर सावरकर ने अनेक
पुस्तकें लिखीं। दुर्गानंद के छद्म नाम से उनकी पुस्तक ‘इंडिया एज़
ए नेशन’ सरकार ने जब्त कर ली थी। वे हिन्दू राष्ट्र और हिन्दी के समर्थक थे।
1945 में
उनका देहांत हो गया।