National Endangered Species Day
हर साल मई
महीने के तीसरे शुक्रवार को राष्ट्रीय लुप्तप्राय प्रजाति दिवस (National Endangered Species Day) मनाया जाता
है। इस साल 15 मई को यह दिवस मनाया जा रहा है। इसका मुख्य
उद्देश्य संसार में व्याप्त वन्यजीवों और लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए
लोगों में जागरूकता पैदा करना है।
राष्ट्रीय लुप्तप्राय
प्रजाति दिवस का इतिहास
1960 के दशक में पहली बार पर्यावरण और पर्यावरण में मौजूद वन्यजीवों की रक्षा
और भलाई के लिए चिंता प्रकट की गई। इसी समय लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण पर
भी बल दिया गया। इसके बाद 1972 में अमेरिका में लुप्तप्राय
प्रजातियों की रक्षा के लिए कई नियम और कानून बनाए गए। ऐसा कहा जाता है कि 2006
में संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक अधिनियम पारित कर लुप्तप्राय प्रजाति
दिवस मनाने पर बल दिया। इसके बाद हर साल मई महीने के तीसरे शुक्रवार को राष्ट्रीय
लुप्तप्राय प्रजाति दिवस मनाया जाने लगा।
राष्ट्रीय लुप्तप्राय
प्रजाति दिवस का महत्व
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी पर जन्म लेने वाली सभी
प्रणिधारियों की मृत्यु निश्चित है। हालांकि, पर्यावरण में असंतुलन के चलते भी धरा से कई प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं,
अथवा विलुप्त की अवस्था में हैं। इनके संरक्षण के लिए राष्ट्रीय
लुप्तप्राय प्रजाति दिवस मनाया जाता है जो कि एक सराहनीय कदम है।
कैसे
लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाया जा सकता है
-ग्लोबल वार्मिंग और मौसम
परिवर्तन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
-बढ़ते प्रदूषण को भी कम
करने की जरूरत है।
-वनों में जानवरों की
तस्करी और शिकार पर पूरी तरह से प्रतिबंध की जरूरत है।
-लुप्तप्राय प्रजातियों के
प्रजनन पर भी ध्यान रखना होगा। इससे लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाया जा सकता है।
-लुप्तप्राय प्रजातियों को उनके जीवन शैली के अनुरूप आदर्श स्थिति बनाने की जरूरत
है।
-हाल ही में देश में बाघों की संख्या में बेतहाशा कमी आई थी।
इसके बाद सरकार ने इस पर विशेष ध्यान दिया और बाघों के संरक्षण के लिए हरसंभव
प्रयास किए। इस अथक प्रयास के परिणाम स्वरूप आज देश में बाघों की संख्या दुगुनी हो
गई है।