World Laughter Day
विश्व
हास्य दिवस प्रत्येक वर्ष 'मई' माह के प्रथम रविवार को मनाया जाता है। मनोवैज्ञानिक प्रयोगों
से यह स्पष्ट हुआ है कि अधिक हँसने वाले बच्चे अधिक बुद्धिमान होते हैं। हँसना सभी
के शारीरिक व मानसिक विकास में अत्यंत सहायक है। जापान के लोग अपने बच्चों को प्रारंभ से ही हँसते
रहने की शिक्षा देते हैं। इस समय जब अधिकांश विश्व आतंकवाद के डर से सहमा हुआ है,
तब 'विश्व हास्य दिवस' की
अत्यधिक आवश्यकता महसूस होती है। इससे पहले इस दुनिया में इतनी अशांति कभी नहीं
देखी गई। आज हर व्यक्ति के अंदर कोहराम मचा हुआ है। ऐसे में हंसी दुनियाभर में
सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकती है।
'हास्य दिवस' का 'विश्व दिवस' के रूप में प्रथम आयोजन 11 जनवरी, 1998 को मुंबई में किया गया था। 'विश्व
हास्य योग आंदोलन' की स्थापना का श्रेय डॉ. मदन कटारिया को
जाता है। 'विश्व हास्य दिवस' का आरंभ
संसार में शांति की स्थापना और मानवमात्र में भाईचारे और सदभाव के उद्देश्य से हुआ
है। इस दिवस की लोकप्रियता 'हास्य योग आंदोलन' के माध्यम से पूरी दुनिया में फैल गई। आज पूरे विश्व में छह हज़ार से भी
अधिक हास्य क्लब हैं। इस मौके पर विश्व के बहुत से शहरों में रैलियां, गोष्ठियां एवं सम्मेलन आयोजित किये जाते हैं।
इस समय जब अधिकांश विश्व आतंकवाद के डर से सहमा हुआ है, तब 'हास्य
दिवस' की अत्यधिक आवश्यकता महसूस होती है। इससे पहले इस
दुनिया में इतनी अशांति कभी नहीं देखी गई। हर व्यक्ति के अंतर आत्मद्वंद्व मचा हुआ
है। ऐसे में हंसी दुनियाभर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकती है। हास्य योग के
अनुसार, "हास्य सकारात्मक और शक्तिशाली भावना है,
जिसमें व्यक्ति को ऊर्जावान और संसार को शांतिपूर्ण बनाने के सभी
तत्त्व उपस्थित रहते हैं। यह व्यक्ति के विद्युत चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करता
है और व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। जब व्यक्ति समूह में हंसता
है तो उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा पूरे क्षेत्र में फैल जाती है और क्षेत्र से
नकारात्मक ऊर्जा हटती है।
आपके पास दो विकल्प हैं, एक ऐसे लोगों के साथ रहने का है, जो धीर-गंभीर और बोझिलता से भरा हो, दूसरा विकल्प है
एक ज़िंदादिल इंसान के साथ रहने का। आप किसे चुनना पसंद करेंगे? ज़ाहिर है कि दूसरा विकल्प ज़्यादा लोगों को पसंद आएगा। क्योंकि कहा ही
जाता है कि "ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है, मुर्दादिल
क्या खाक जिया करते हैं"। इसीलिए हंसना बहुत ज़रूरी है। विश्व भर में एक दिन
हंसने के नाम समर्पित है। लखनऊ के रेलवे स्टेशन से आदमी बाहर निकलता है तो
बड़े अक्षरों में लिखे बोर्ड पर नज़र टिकती है- "मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में
हैं"। यह वाक्य पढ़ते ही यात्रियों के चेहरे पर मुस्कुराहट फैल जाती है। इस
एक वाक्य में लखनऊ की ज़िंदादिली व खुशमिज़ाजी के दर्शन होते हैं। हँसना एक मानवीय
लक्षण है, सृष्टि का कोई भी जीवधारी नहीं हँसता, लेकिन एक हम मनुष्य ही हँसने वाले प्राणी हैं, जीवन
में निरोगी रहने के लिए हमेशा मुस्कुराते रहना चाहिए। खाना खाते समय मुस्कुराइए,
आपको महसूस होगा कि खाना अब अधिक स्वादिष्ट लग रहा है।
लाभ
हँसने के कई लाभ हैं, जो इस प्रकार हैं-
- हास्य
सकारात्मक और शक्तिशाली भावना है, जिसमें व्यक्ति को ऊर्जावान और संसार को शांतिपर्ण
बनाने के सभी तत्त्व उपस्थित रहते हैं।
- हंसने
से तमाम बीमारियां अपने आप छूमंतर हो जाती है।
- मनोवैज्ञानिक
प्रयोगों से यह स्पष्ट हुआ है कि अधिक हँसने वाले बच्चे अधिक बुद्धिमान होते
हैं। हँसना सभी के शारीरिक व मानसिक विकास में अत्यंत सहायक है। जापान के लोग अपने
बच्चों को प्रारंभ से ही हँसते रहने की शिक्षा देते हैं।
- मानव शरीर में पेट और
छाती के बीच में एक डायफ्राम होता है, जो हँसते समय
धुकधुकी का कार्य करता है। फलस्वरूप पेट, फेफड़े और यकृत की मालिश हो जाती
है।
- हँसने
से ऑक्सीजन का संचार अधिक
होता है व दूषित वायु बाहर निकलती है।
- नियमित
रूप से खुलकर हँसना शरीर के सभी अवयवों को ताकतवर और पुष्ट करता है व शरीर में
रक्त संचार की गति बढ़ जाती है तथा पाचन तंत्र अधिक
कुशलता से कार्य करता है।
- ज़ोर
से कहकहे लगाने से पूरे शरीर में प्रत्येक अंग को गति मिलती है,
फलस्वरूप शरीर में मौजूद एंडोफ्राइन ग्रंथि (हारमोन दाता
प्रणाली) सुचारु रूप से चलने लगती है, जो कि कई रोगों
से छुटकारा दिलाने में सहायक है।
- दुनिया
में सुख एवं दुःख दोनों ही धूप-छाँव की भाँति आते-जाते हैं। यदि मनुष्य दोनों
परिस्थितियों में हँसमुख रहे तो उसका मन सदैव काबू में रहता है व वह चिंता से
बचा रह सकता है।
विद्वान विचार
'थैकर' एवं 'शेक्सपियर' जैसे विचारकों
ने भी इस बात की पुष्टि की है कि प्रसन्नचित व्यक्ति अधिक जीता है। मनुष्य की आत्मा की संतुष्टि, शारीरिक स्वस्थता व बुद्धि की स्थिरता को नापने का एक पैमाना है और वह है
चेहरे पर खिली प्रसन्नता। आज के इस तनावपूर्ण वातावरण में व्यक्ति अपनी मुस्कुराहट
व हँसी को भूलता जा रहा है, फलस्वरूप तनावजन्य बीमारियाँ,
जैसे- उच्च रक्तचाप, शुगर, माइग्रेन, हिस्टीरिया, पागलपन, डिप्रेशन
आदि बहुत-सी बीमारियों को निमंत्रण दे रहा है।
हास्य एक सार्वभौमिक भाषा है। इसमें जाति, धर्म, रंग, लिंग से परे रहकर मानवता को समन्वय करने की
क्षमता है। हंसी विभिन्न समुदायों को जोड़कर नए विश्व का निर्माण कर सकती है। यह
विचार भले ही काल्पनिक लगता हो, लेकिन लोगों में गहरा
विश्वास है कि हंसी ही दुनिया को एकजुट कर सकती है। हँसी जीवन का प्रभात है,
यह शीतकाल की मधुर धूप है तो ग्रीष्म की तपती दुपहरी में सघन छाया। हँसने से
आत्मा खिल उठती है। इससे आप तो आनंद पाते ही हैं दूसरों को भी आनंदित करते हैं।
हास-परिहास पीड़ा का दुश्मन है, निराशा और चिंता का अचूक
इलाज और दुःखों के लिए रामबाण औषधि है।