भारत में स्वामी विवेकानन्द की जयन्ती,
अर्थात 12 जनवरी को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय
युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
'युवा'शब्द से ही उत्साह, स्फूर्ति,
सक्रियता आदि गुणों का बोध होता है।'युवा'
शब्द वास्तव में आयु- रूप- अर्थ प्रदान करने से परे सकारात्मक गुणों,
सक्रिय व्यक्तित्व का बोध अधिक करवाता है।स्वामी विवेकानन्द ने युवा
शक्ति का केंद्र शारीरिक बल को नहीं, वरन् मानसिक शक्तियों
को माना। युवा होने की परिपूर्णता उसमें है, जिसमें अविराम
संघर्ष करने का जज़्बा हो, जिसमें हर पल जीवन में कुछ नवीन
करने की उमंग हो।जिसमें प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अजेय मनःस्थिति हो,जिसमें विनाश की विभीषिका में सृजन के गीत गाने की सामर्थ्य हो, जिसमें असफलताओं की ज्वाला में सफलता के प्रकाश को जन्म देने का भाव हो।
ऐसे युवाओं के आदर्श के रूप में स्वामी विवेकानंद के संदेश आज भी उतने प्रासंगिक
हैं जितने शताब्दी पहले थे।
नए सर्वेक्षण बताते हैं कि कुछ एक अपवादों को छोड़कर भारतीय युवा
इस समय दुनिया के सबसे जागरूक युवाओं में से एक हैं ।आज दुनिया अमेरिका और चीन के
बाद भारत को तीसरी शक्ति के रूप में स्वीकार करने को मजबूर है।इसमें निश्चित रूप
से हमारे युवाओं की रचनात्मकता का बहुत बड़ा योगदान है ।आज भारत देश की भाँति
दुनिया का कोई और देश ऐसा नहीं है, जो युवाओं की इतनी बड़ी आबादी के साथ तरक्की की
राह पर तेज गति से अग्रसर हो।
स्वामी विवेकानंद के वचन आज भी युवापीढ़ी के लिए प्रेरक व
मार्गदर्शक हैं ।उन्होंने कहा था "मेरा विश्वास युवा पीढ़ी में है, नई पीढ़ी में है।भारतीय युवा सिंहों की भाँति सभी समस्याओं का हल
निकालेंगे ।उन्हीं के प्रयत्न व पुरुषार्थ से भारत देश गौरवान्वित होगा।उन्होंने
कहा था--- कि इक्कीसवीं सदी भारत की होगी।
संयुक्त राष्ट्र संघ के
निर्णयानुसार सन् 1984 ई. को 'अन्तरराष्ट्रीय युवा वर्ष' घोषित
किया गया। इसके महत्त्व का विचार करते हुए भारत
सरकार ने घोषणा की कि सन 1984 से 12 जनवरी यानी स्वामी विवेकानन्द जयन्ती का
दिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में देशभर में सर्वत्र मनाया जाए।
इस सन्दर्भ में भारत सरकार का विचार था कि -
ऐसा अनुभव हुआ कि स्वामी जी का दर्शन एवं स्वामी जी के जीवन तथा
कार्य के पश्चात निहित उनका आदर्श—यही भारतीय युवकों के लिए प्रेरणा का बहुत बड़ा स्रोत हो सकता है।
इस दिन देश भर के विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में तरह-तरह के
कार्यक्रम होते हैं; रैलियाँ निकाली जाती हैं; योगासन
की स्पर्धा आयोजित की जाती है; पूजा-पाठ होता है; व्याख्यान होते हैं; विवेकानन्द साहित्य की
प्रदर्शनी लगती है।
राष्ट्रीय युवा दिवस का उद्देश्य
भारत के युवाओं को प्रेरित करने और बढ़ावा देने के लिये हर वर्ष
राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद मानते थे कि युवा देश के
महत्वपूर्णं अंग ही नहीं बल्कि देश का आधार होता है। जो देश की भावी नीति निर्माण
और देश को परिपक बनाता है। अतः वे युवाओं के लिए प्रेरणा श्रोत हैं उनके कहे कई
शब्द आज भी युवाओं में जोश भरते हैं ।
“महसूस करो कि तुम महान हो और तुम महान बन जाओगें।” – स्वामी विवेकानंद
“उठो, जागो और जब तक मत रुको तब तक लक्ष्य की
प्राप्ति न हो। ”– स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद के विचार,दर्शन, सिद्धांत, और आदर्श अध्यापन भारत की महान सांस्कृतिक और पारंपरिक संपत्ति हैं। राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने का मुख्य लक्ष्य भारत के युवाओं के बीच स्वामी विवेकानंद के आदर्शों और विचारों के महत्व और विचारों के प्रति जागरूकता को फैलाना है। जिससे समाज में जात पात,ऊंच नीच का भेद कम हो। लोग मानवीय कार्यों में लगें। तार्किक बनें और समाज का उद्धार करें।
वास्तव में स्वामी विवेकानन्द आधुनिक मानव के
आदर्श प्रतिनिधि हैं। विशेषकर भारतीय युवकों के लिए स्वामी विवेकानन्द से बढ़कर
दूसरा कोई नेता नहीं हो सकता। उन्होंने हमें कुछ ऐसी वस्तु दी है जो हममें अपनी
उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त परम्परा के प्रति एक प्रकार का अभिमान जगा देती
है। स्वामी जी ने जो कुछ भी लिखा है वह हमारे लिए हितकर है और होना ही चाहिए तथा
वह आने वाले लम्बे समय तक हमें प्रभावित करता रहेगा। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप
में उन्होंने वर्तमान भारत को दृढ़ रूप से प्रभावित किया है। भारत की युवा पीढ़ी स्वामी
विवेकानन्द से निःसृत होने वाले ज्ञान, प्रेरणा एवं तेज के स्रोत से लाभ उठाएगी।