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उठो
जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता।
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हर
आत्मा ईश्वर से जुड़ी है, करना
ये है कि हम इसकी दिव्यता को पहचाने अपने आप को अंदर या बाहर से सुधारकर। कर्म,
पूजा, अंतर मन या जीवन दर्शन इनमें से किसी एक
या सब से ऐसा किया जा सकता है और फिर अपने आपको खोल दें। यही सभी धर्मो का सारांश
है। मंदिर, परंपराएं , किताबें या
पढ़ाई ये सब इससे कम महत्वपूर्ण है।
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एक
विचार लें और इसे ही अपनी जिंदगी का एकमात्र विचार बना लें। इसी विचार के बारे में
सोचे, सपना देखे और इसी विचार पर जिएं। आपके मस्तिष्क ,
दिमाग और रगों में यही एक विचार भर जाए। यही सफलता का रास्ता है।
इसी तरह से बड़े बड़े आध्यात्मिक धर्म पुरुष बनते हैं।
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एक
समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकि सब कुछ
भूल जाओ
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पहले
हर अच्छी बात का मजाक बनता है फिर विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार लिया जाता है।
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एक
अच्छे चरित्र का निर्माण हजारो बार ठोकर खाने के बाद ही होता है।
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जीवन
में ज्यादा रिश्ते होना जरुरी नहीं लेकिन रिश्तो में जीवन होना बहुत जरुरी है।