राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस National
Doctor's Day पृथ्वी पर मानवों का भगवान कहे जाने वाले चिकित्सकों को समर्पित है। अलग-अलग देशों में यह दिवस भिन्न-भिन्न तिथियों पर मनाया जाता है। भारत में 'चिकित्सक दिवस' प्रतिवर्ष 1 जुलाई को मनाया जाता है। इस ख़ास दिन पर पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री बिधान चन्द्र राय को भी याद किया जाता है। बिधान चन्द्र राय देश के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ एक चिकित्सक भी थे। आज़ादी के बाद उन्होंने अपना सारा जीवन लोगों के लिए चिकित्सा सेवा को समर्पित कर दिया। बिधान चन्द्र राय की स्मृति में ही 'राष्ट्रीय चिकित्सा दिवस' भारत में 1 जुलाई को मनाया जाता है।
चिकित्सकों का महत्त्व रेखांकित करने की आवश्यकता अमेरिका के जॉर्जिया निवासी डॉ. चार्ल्स बी आल्मोंद की पत्नी यूदोरा ब्राउन आल्मोंद ने महसूस की थी। उनके प्रयासों से ही पहली बार 30 मार्च, 1930 को अमेरिका में 'डॉक्टर्स डे' (चिकित्सक दिवस) मनाया गया। इस दिन को मनाने के पीछे चिकित्सकों का दैनिक जीवन में महत्त्व बताने की भावना प्रमुख थी। इसके लिए 30 मार्च की तारीख़ इसलिए चुनी गई थी, क्योंकि जॉर्जिया में इसी दिन डॉ. क्राफोर्ड डब्ल्यू लोंग ने पहली बार ऑपरेशन के लिए एनेस्थीसिया का इस्तेमाल किया था। इसीलिए तब से 'चिकित्सक दिवस' मनाने का चलन शुरू हो गया।
भारत में चिकित्सक दिवस
विधान चन्द्र राय |
अलग-अलग देशों में 'चिकित्सक दिवस' अलग-अलग तिथि को मनाया जाता है। भारत में 1 जुलाई का दिन चिकित्सकों के लिए समर्पित है। वर्ष 1991 से भारत में इस दिन को 'राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस' के रूप में मनाने की शुरूआत हुई थी। 1 जुलाई को देश के प्रख्यात चिकित्सक, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सेवी डॉ. बिधान चन्द्र राय का जन्मदिन और पुण्य तिथि दोनों ही हैं। 1 जुलाई, 1882 को बिहार में जन्मे बिधान चन्द्र राय 'भारतीय स्वतंत्रता संग्राम'
के एक अहम सिपाही रहे थे। आज़ादी के बाद उन्होंने अपना सारा जीवन अपने व्यवसाय यानि चिकित्सा सेवा को समर्पित कर दिया। पश्चिम बंगाल में अपने मुख्यमंत्री काल के दौरान उन्होंने कई अहम विकास कार्य किए। अपने अथक प्रयासों और समाज कल्याण के कार्यों के लिए उन्हें 1961 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न'
से भी सम्मानित किया गया था। 1 जुलाई, 1962 को उनका निधन हुआ।
चिकित्सक धरती पर भगवान का दूसरा रुप होता है। भगवान तो एक बार जीवन देता है, किंतु डॉक्टर हमारी अमूल्य जान को बार-बार बचाता है। दुनिया में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहाँ डॉक्टरों ने भगवान से भी बढ़कर काम किया है। बच्चे को जन्म देना हो या किसी वृद्ध को बचाना हो, चिकित्सक की मदद हमेशा मुसीबतों से मानव को बचाती है। यही एक ऐसा पेशा है, जहाँ दवा और दुआ का अनोखा संगम देखने को मिलता है, इंसान को भगवान भी यहीं बनाया जाता है। चिकित्सकों ने मानव जाति के लिए बहुत समर्पण किया है। यदि भारत की बात की जाए तो देखेंगे कि यहाँ आज भी चिकित्सकों और वैद्यों का विशेष आदर-सत्कार किया जाता है। आधुनिक युग में तो चिकित्सकों की मांग और भी बढ़ गई है। चिकित्सक के इसी समर्पण और त्याग को याद करते हुए 1 जुलाई का दिन भारत में 'राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस' के रूप में मनाया जाता है। चिकित्सक दिवस मनाने का सबसे बड़ा महत्त्व यह है कि सभी चिकित्सक अपनी ज़िम्मेदारियों को समझें और लोगों के स्वास्थ्य से सम्बन्धित दु:ख, तकलीफ और रोग आदि के प्रति सजग रहें।
जनता के विश्वास की डोर
वर्तमान में चिकित्सा ही एक ऐसा व्यवसाय है, जिस पर लोग विश्वास करते हैं। इसे बनाए रखने की जिम्मेदारी सभी चिकित्सकों पर है। 'चिकित्सा दिवस' स्वयं चिकित्सकों के लिए एक महत्त्वपूर्ण दिन है, क्योंकि यह उन्हें अपने चिकित्सकीय प्रशिक्षण को पुनर्जीवित करने का अवसर प्रदान करता है। सारे चिकित्सक जब अपने चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत करते हैं तो उनके मन में नैतिकता और ज़रूरतमंदों की मदद का जज्बा होता है, जिसकी वे कसम भी खाते हैं। इसके बाद भी कुछ लोग इस विचार से पथ भ्रमित होकर अनैतिकता की राह पर चल पड़ते हैं। 'चिकित्सक दिवस' के दिन डॉक्टरों को यह मौका मिलता है कि वे अपने अंतर्मन में झाँके, अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझें और चिकित्सा को पैसा कमाने का पेशा न बनाकर, मानवीय सेवा का पेशा बनाएँ, तभी हमारा यह 'चिकित्सा दिवस' मनाना सही और सार्थक सिद्ध होगा।