Tuesday, June 4, 2019

तियानानमेन चौक विरोध प्रदर्शन, 1989


तियेनएनमेन चौक वाक़ई में दुनिया में अपने आप में इकलौता है. तियेनएनमेन शब्द का मतलब होता है "स्वर्गीय शांति का दरवाज़ा".
लेकिन सच्चाई तो ये है कि ये जगह चाहे कुछ भी हो लेकिन स्वर्गीय शांति तो नहीं ही हो सकती है.
डॉक्टर सन-यात-सेन की अगुवाई में साल 1911 में हुई क्रांति से पहले ये चौक चीन में एक खेल का मैदान था.
1911 में हुई क्रांति के समय चीन के आख़िरी बादशाह को हटाए जाने के बाद से इस चौक का इस्तेमाल राजनीतिक कार्यों के लिए होने लगा.
लेकिन इस चौक ने असल में राजनीतिक हैसियत तब हासिल की जब साल 1949 में एक ख़ूनी गृह युद्ध के बाद कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन में सत्ता हासिल की.
एक अक्तूबर 1949 को तियेनएनमेन चौक में जमा जनता के सामने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के तत्कालीन चेयरमैन माओ ने चीनी गणराज्य की स्थापना की घोषणा की थी.
उस वक़्त जो लोग एक नए चीन का सपना देखते थे उनके लिए तियेनएनमेन चौक 'मक्का' था, धरती पर सबसे पवित्र जगह.
कम्युनिस्ट पार्टी के शासन के पहले दशक में इस चौक को कई बार बढ़ाया गया और इस तरह इसने अपना मौजूदा आकार, 4.40 लाख वर्ग मीटर, यानी फ़ुटबॉल के क़रीब 70 मैदान तक पहुंचा.
इस मैदान में एक साथ छह लाख लोग जमा हो सकते हैं.

'राजनीति के लिए अहम'

ये लोगों के लिए आराम करने या एक दूसरे से मिलने-जुलने की जगह नहीं है. न यहां कोई बेंच है, न पेड़ और न ही धूप या बारिश से बचने के लिए कोई जगह. यहां कोई टॉयलेट भी नहीं है.
कम्युनिस्ट पार्टी ने इस चौक को नया आकार इसीलिए दिया था ताकि ये सिर्फ़ राजनीतिक काम में इस्तेमाल किया जा सके.
अगर ऐसा कोई वीडियो कैमरा होता जो तियेनएनमेन चौक में साल 1949 से अब तक हुई घटनाओं को रिकॉर्ड कर सकता तो ये चीन में तब से हुई घटनाओं का भी पूरा और विस्तृत रिकॉर्ड होता क्योंकि इतिहास का हर मोड़ या तो यहां देखा गया या महसूस किया गया.
लेकिन तियेनएनमेन चौक पूरी दुनिया में एक ऐसी घटना की वजह से मशहूर हुआ जो यहां साल 1989 में हुई थी.
1989 में बीजिंग के तियानानमेन चौक पर छात्रों के नेतृत्व में विशाल विरोध प्रदर्शन हुआ था जिसे नगरवासियों से भारी समर्थन मिला। इस प्रदर्शन से चीन के राजनीतिक नेतृत्व के बीच आपसी मतभेद खुलकर बाहर आ गये थे। इस विरोध प्रदर्शन को बलपूर्वक दबा दिया गया और बीजिंग में मार्शन लॉ लागू कर दिया गया। 3-4 जून 1989 को इस चौक पर सेना ने नरसंहार किया। इन प्रदर्शनों का जिस तरह से हिंसक दमन किया गया ऐसा बीजिंग के इतिहास में कभी नहीं हुआ था। आज तक इस हिंसक दमन की आलोचना की जाती है और बार बार इस प्रदर्शन में मारे गए छात्रों के परिजनों की आवाज सामने आती है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 200 लोग मारे गए और लगभग 7 हजार घायल हुए थे। किन्तु मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार हजारों लोग मारे गए थे।
चीन की राजधानी बीजिंग में तियानानमेन चौक पर तीन और चार जून 1989 को सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने प्रदर्शन का निर्दयतापूर्वक से दमन किया। चीन की सेना ने बंदूकों और टैंकरों के जरिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे निशस्त्र नागरिकों का दमन किया। ये लोग बीजिंग के इस मशहूर चौक पर सेना को रोकने की कोशिश कर रहे थे। यहां छात्र सात सप्ताह से डेरा जमाए बैठे थे।
ये विरोध प्रदर्शन अप्रैल 1989 में चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के पू्र्व महासचिव और उदार सुधारवादी हू याओबांग की मौत के बाद शुरू हुए थे। हू चीन के रुढ़िवादियों और सरकार की आर्थिक और राजनीतिक नीति के विरोध में थे और हारने के कारण उन्हें हटा दिया गया था। छात्रों ने उन्हीं की याद में मार्च आयोजित किया था।

समस्या ज़ाहिर करने की जगह

पहले ये काफ़ी खुला हुआ था और बीजिंग के निवासी यहां शाम में आया करते थे. कुछ लोग यहां पतंग उड़ाया करते थे. लेकिन अब इसे क़िले की तरह बना दिया गया है. अब इसे लोहे की दीवारों से घेर दिया गया है और इसके चार कोनों में बनी अंडरग्राउंड सुरंगों से ही यहां पहुंचा जा सकता है. यहां सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. और पुलिसकर्मी चौबीसों घंटे इसकी निगरानी करते हैं.
तियेनएनमेन चौक ने ऐसी भूमिका हासिल कर ली है जिसकी न तो योजना थी और न ही कम्युनिस्ट पार्टी ने कभी ऐसी इच्छा की थी.
ये लोगों के लिए अपनी समस्याएं ज़ाहिर करने की जगह बन चुका है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और कम्युनिस्ट पार्टी के विरोधियों ने इस जगह का इस्तेमाल पार्टी को खुली चुनौती देने के लिए किया है.
ऐसे समय जब कम्युनिस्ट पार्टी अपने राज की वैधता को लेकर संकट से जूझ रही है, उस पर सामाजिक स्थिरता को बनाए रखने की धुन सवार है.
कम्युनिस्ट पार्टी को डर है कि तियेनएनमेन चौक में अगर कोई प्रदर्शन या विरोध होता है तो उसे पार्टी की कमज़ोरी के तौर पर समझा जाएगा. इसीलिए वो इस चौक पर प्रदर्शन रोकने के लिए सभी तरीक़े आज़माने को तैयार है.
ये साफ़ नहीं है कि तियेनएनमेन चौक में जो घटना हुई वो हादसा थी या किसी तरह का राजनीतिक संदेश देने की कोशिश. एक चीज़ ज़रूर साफ़ है, तियेनएनमेन चौक में सुरक्षा और बढ़ा दी है.

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