विश्व अस्थमा दिवस प्रत्येक वर्ष के मई महीने के पहले मंगलवार को
पूरे विश्व में मनाया जाता है.अस्थमा विरोध की जागरूकता एवं शिक्षा हेतु इस इस दिन
को संपूर्ण विश्व में मनाया जाता है.
देश में वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। इस वजह से अस्थमा के
मरीजों की संख्या में बढ़ रही है। इससे बच्चों, महिलाओं से लेकर
बुजुर्ग तक प्रभावित हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ऑपरेशन से पैदा होने वाले बच्चों
में अस्थमा का खतरा ज्यादा रहा रहता है।
अस्थमा एलर्जी है, जो धूल, पशुओं के फर,
वायरस, हवा के प्रदूषण से हो सकती है। बढ़ते
प्रदूषण के बीच फेफड़ों को शुद्ध ऑक्सीजन की जरूरत है। इसके लिए अपने घर, ऑफिस और आसपास ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने चाहिए। इससे भरपूर ऑक्सीजन
उचित मात्रा में मिल सकेगी।
विश्व अस्थमा दिवस का आयोजन दमा और इसके इलाज के प्रति जागरूकता
बढ़ाने के लिए किया जाता है. अस्थमा के मरीज़ों को हर मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा की
आवश्यकता होती है. वर्तमान समय में वायु प्रदूषण को देखते हुए अस्थमा के रोगियों
की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है.
विश्व अस्थमा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य विश्वभर
के लोगों को अस्थमा बीमारी के बारे में जागरूक करना है. भारत में एक अनुमान के
मुताबिक अस्थमा के रोगियों की संख्या लगभग 15 से 20 करोड़
है जिसमें लगभग 12 प्रतिशत भारतीय शिशु अस्थमा से पीड़ित हैं.
विश्व अस्थमा दिवस मई महीने के पहले मंगलवार को
पूरे विश्व में घोषित किया गया है. विश्व अस्थमा दिवस साल 1998 में पहली बार बार्सिलोना, स्पेन सहित 35 देशों में मनाया गया. विश्व अस्थमा दिवस का आयोजन प्रत्येक वर्ष ग्लोबल
इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (जीआईएनए) द्वारा किया जाता है.
ग्लोबल इनीशिएटिव फॉर अस्थमा (जीआईएनए) राष्ट्रीय
हृदय, फेफड़े और रक्त संस्थान, राष्ट्रीय
स्वास्थ्य संस्थान, संयुक्त राज्य अमेरिका एवं विश्व
स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से साल 1993 में शुरू किया गया था.
यह अस्थमा के प्रसार, रुग्णता एवं मृत्यु दर को कम करने के
लिए विश्व भर के स्वास्थ्य पेशेवरों और सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ काम
करता है.
अस्थमा के मरीजों को आजीवन कुछ सावधानियां अपनानी पड़ती हैं जिसकी
वजह से मरीज़ों को प्रत्येक मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता होती है.
अस्थमा के मरीज़ों के लिए आहार की कोई बाध्यता नहीं होती, लेकिन अगर उन्हें किसी खास प्रकार के आहार से एलर्जी हो तो उससे परहेज़
करना चाहिए.
अस्थमा के मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है, बहुत ही जल्द सांस फूल जाता है. खांसी आती है, वैसे
यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन हाल के वर्षों की बात की जाए तो
बच्चों में यह बीमारी लगातार बढ़ती जा रही है.