अब्राहम ओर्टेलियस का
जन्म 4 अप्रैल 1527 को एंटवर्प, बेल्जियम
में हुआ था। अब्राहम दुनिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने
मानचित्र की कल्पना की हो। आज के समय में देखी जाने वाले मानचित्र अब्राहम के
दिमाग का नतीजा है। एटलस को बनाने के लिए उन्होंने कई भौगोलिक मानचित्रों को बनाया
था। इनके पहले एटलस में 53 मैप थे। इनका आखिरी एटलस संस्करण
साल 1622 में प्रकाशित हुआ। इसमें कीरब 167 मैप थे।
उन्होंने दुनिया का
पहला मानचित्र बनाया जिसे 20 मई, 1570 को पहली बार प्रकाशित किया गया था। ओर्टेलियस के इस मानचित्र को थिअटरम
ऑर्बिस टेरेरम (Theatrum Orbis Terrarum) या दुनिया का थिअटर
के नाम से जाना गया।
अब्राहम ओर्टेलियस के
नक्शे की खास बात महाद्वीपीय विस्थापन या महाद्वीपीय बहाव जैसी भौगोलिक घटना की
जानकारी देना है। इस थिअरी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि दुनिया के सभी महाद्वीप
पहले एक-दूसरे से जुड़े हुए थे और धीरे-धीरे वे अलग होते गए। उनके मानचित्र में
दुनिया के नक्शे को अलग-अलग बिंदुओं से दिखाया गया है। उन्होंने दुनिया का
मानचित्र बनाते समय बहुत ही अद्भुत बात कही। उन्होंने कहा अमेरिका पहले यूरोप और
अफ्रीका के साथ जुड़ा हुआ था जो बाद में भूकंप और बाढ़ के कारण टूट कर अलग हो गया।
अब्राहम को न सिर्फ
मानचित्र बनाने पर दक्षता हासिल थी बल्कि कई भाषाओं जैसे डच, ग्रीक, लैटिन, इतालवी, फ्रेंच, स्पैनिश, जर्मन और
इंग्लिश पर उनकी मजबूत पकड़ थी।
मैपों का अस्तित्व
संभवतः 8000 साल से भी पहले का है। नक्शा बनाने की विधियों को प्राचीन ग्रीस में काफी
उन्नत बनाया गया था। एक गोलाकार पृथ्वी की धारणा को अरस्तू के समय तक यूनानी दार्शनिकों
के बीच मान्यता प्राप्त हो गई थी और तब से समस्त भूगोलविदों द्वारा इसे स्वीकारा
गया है। नक्शे के इतिहास की शुरुआत में रॉक नक्काशियों से बनाए गए ग्रीस, बेबीलोन और एशिया के प्राचीन नक्शे शुमार हैं। प्राचीन समय से आज तक लोगों
ने पहचानने, समझने और आस-पास नेवेगिट करने के लिए आवश्यक
उपकरण के रूप में नक्शे का उपयोग किया है।
एक मत के अनुसार 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में यूनानियों को गणित के आधार पर नक्शा बनाने का
श्रेय दिया जाता है। उनके अनुसार दुनिया का सबसे पहला मानचित्र प्राचीन ग्रीक के 'अनेग्जीमेंडर' ने किया था। कहते हैं कि उन्होंने
इसके लिए शुरुआत में पृथ्वी को बेलनाकार मानते हुए मानचित्र के स्वरुप की कल्पना
की थी। जिसका उपयोग करते हुए बाद में 'इरैटोस्थनिज' नाम के यूनानी ने मानचित्र को आकार दिया। इरैटोस्थनिज के मानचित्र में
अक्षांश रेखाएं, रेखांश और शंकु को जगह मिला। आगे के सफर में
इसको 150 ईस्वी के आस-पास छह खंड वाले एक ऐटलस के रुप में
विस्तार दिया गया।
आधुनिक समय में
मानचित्र का स्वरुप पूरी तरह से बदल चुका है। आज के समय में तो लोग ऑनलाइन
मानचित्र का ही इस्तेमाल करते हैं। इस तरह के ऑनलाइन मानचित्र के लिए सैटलाईट का
प्रयोग किया जाता है। यह हर देश की रूपरेखा को अन्य देशों के साथ साझा की गई सीमा
को दिखाता है। आज के समय में सैटलाइट के माध्यम से आप भारत के एक छोटे से गांव का
घर भी आराम से देख सकते हैं। यह सैटलाइट का ही कमाल है कि आज हम अपने स्मार्टफोन
पर जूम करके किसी भी लोकेशन को आसानी से देख सकते हैं।