बच्चों को उच्च
कक्षाओं में अच्छे अंक नहीं मिलने के कारण सिर्फ स्कूल प्रशासन और अभिभावक ही नहीं
अब सरकार भी परेशान होने लगी है। बच्चों के गिरते शिक्षा स्तर को देखते हुए मार्च 2019 से
कक्षा पांचवीं और आठवीं ने केंद्र सरकार की नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म कर सकती है।
नेशनल अचीवमेंट सर्वे में कहा गया
है कि कक्षा पांच से आठ तक बच्चों को पास किए जाने के कारण उनके प्रदर्शन पर बुरा
असर पड़ रहा है। यहां तक की बच्चे दसवीं की बोर्ड परीक्षा में 40 फीसदी
अंक भी हासिल नहीं करने के लिए उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ रही है। एनएएस ने अपने
सर्वे में बताया है कि कक्षा दसवीं के बच्चों को गणित, सामाजिक
विज्ञान, विज्ञान और अंग्रेजी में इन बच्चों की हालत बहुत ही
खराब है। ये बच्चे सिर्फ भारतीय भाषाओं में ही कुछ अच्छा कर पा रहे हैं।
एनएएस ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 15लाख विद्यार्थियों पर सर्वेक्षण किया गया जिसमें यह पता चला कि वह छात्र जिन्होंने कक्षा तीन और पांच में बेहतर प्रदर्शन किया था उनका प्रदर्शन कक्षा दस तक आते आते बदतर हो गया।
यही नहीं जांच में यह भी पता चला कि लगातार पास किए जाने की वजह से स्टूडेंट के परफॉरमेंस पर बुरा असर पड़ रहा है। सर्वे के दौरान पचा चला कि पढ़ाई में गड़बड़ी और नो डिटेंशन पॉलिसी की वजह से बच्चों की पढ़ाई दिन ब दिन खराब होती जा रही है। सर्वे में यह भी पता चला कि कक्षा तीन के जिन विद्यार्थियों ने गणित के सवालों के जवाब 64 फीसदी सही दिए हैं वहीं बच्चे बड़ी कक्षाओं में पहुंचते पहुंचते उनका आंकड़ा 40 फीसदी तक पहुंच जाता है। वहीं एनएएस ने सर्वे में पाया की छोटी कक्षाओं जैसे कक्षा पांच में 54 फीसदी वहीं कक्षा आठ में 42 फीसदी अंक प्राप्त किए हैं।
एनएएस ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 15लाख विद्यार्थियों पर सर्वेक्षण किया गया जिसमें यह पता चला कि वह छात्र जिन्होंने कक्षा तीन और पांच में बेहतर प्रदर्शन किया था उनका प्रदर्शन कक्षा दस तक आते आते बदतर हो गया।
यही नहीं जांच में यह भी पता चला कि लगातार पास किए जाने की वजह से स्टूडेंट के परफॉरमेंस पर बुरा असर पड़ रहा है। सर्वे के दौरान पचा चला कि पढ़ाई में गड़बड़ी और नो डिटेंशन पॉलिसी की वजह से बच्चों की पढ़ाई दिन ब दिन खराब होती जा रही है। सर्वे में यह भी पता चला कि कक्षा तीन के जिन विद्यार्थियों ने गणित के सवालों के जवाब 64 फीसदी सही दिए हैं वहीं बच्चे बड़ी कक्षाओं में पहुंचते पहुंचते उनका आंकड़ा 40 फीसदी तक पहुंच जाता है। वहीं एनएएस ने सर्वे में पाया की छोटी कक्षाओं जैसे कक्षा पांच में 54 फीसदी वहीं कक्षा आठ में 42 फीसदी अंक प्राप्त किए हैं।
नो
डिटेंशन पॉलिसी शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत लागू किया गया था
कुछ ऐसा ही प्रदर्शन इंगलिश में भी देखने को मिला। मणिपुर सहित कई
राज्यों में कक्षा तीन के छात्रों ने जहां अंग्रेजी के सवाल के जवाब में 67 फीसदी सही जवाब दिया वहीं कक्षा पांच के छात्रों
ने 58 पीसदी और कक्षा 8 के महज 56
फीसदी छात्रों ने ही सही जवाब दिए। ये आंकड़े तब चौंकाते हैं जब
कक्षा दस के महज 42 फीसदी छात्रों ने ही सही जवाब दिया।
सूत्रों का हवाला देते हुए अंग्रेजी अखबार ने लिखा है कि नो डिटेंशन पॉलिसी ने
विद्यार्थियों को आगे ले जाने के बजाए उनके प्रदर्शन पर बुरा असर डाला है।
उन्होंने बताया कि नो डिटेंशन पॉलिसी शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत लागू किया गया था लेकिन इसने विद्यार्थियों के प्रदर्शन पर बुरा असर डाला है। इससे परीक्षा का डर और अच्छा परफॉर्म करने का विद्यार्थियों में डर कम हुआ है। शिक्षक भी बच्चों में उनके परफॉरमेंस के लिए कम ही उत्साहित करते हैं। बच्चों में परीक्षा का डर तो खत्म हुआ ही है इसके अलावा पढ़ाई को लेकर उनकी रूचि बी कम होती दिखी है।
सर्वे में बताया गया है कि सिर्फ आधुनिक भारतीय भाषाओं में विद्यार्थी अच्छा प्रदर्शन करते नजर आए। वहीं 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में करीब 50 फीसदी ने ही सही जवाब दिया। यही नहीं आंध्र प्रदेश और राजस्थान बोर्ड के छात्र सभी राज्यों में बेहतर प्रदर्शन किया जबकि अकेला दिल्ली ऐसा राज्य है जिसने 45.6 फीसदी स्कोर किया है।
उन्होंने बताया कि नो डिटेंशन पॉलिसी शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत लागू किया गया था लेकिन इसने विद्यार्थियों के प्रदर्शन पर बुरा असर डाला है। इससे परीक्षा का डर और अच्छा परफॉर्म करने का विद्यार्थियों में डर कम हुआ है। शिक्षक भी बच्चों में उनके परफॉरमेंस के लिए कम ही उत्साहित करते हैं। बच्चों में परीक्षा का डर तो खत्म हुआ ही है इसके अलावा पढ़ाई को लेकर उनकी रूचि बी कम होती दिखी है।
सर्वे में बताया गया है कि सिर्फ आधुनिक भारतीय भाषाओं में विद्यार्थी अच्छा प्रदर्शन करते नजर आए। वहीं 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में करीब 50 फीसदी ने ही सही जवाब दिया। यही नहीं आंध्र प्रदेश और राजस्थान बोर्ड के छात्र सभी राज्यों में बेहतर प्रदर्शन किया जबकि अकेला दिल्ली ऐसा राज्य है जिसने 45.6 फीसदी स्कोर किया है।