Saturday, April 14, 2018

यूपी बोर्ड: बिना किताबों के ही लागू हो गया अंग्रेजी पाठ्यक्रम


यूपी बोर्ड ने इस सत्र से एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू तो कर दिया, लेकिन अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने वाले जिले के कक्षा नौ से 12 तक के लगभग 15000 विद्यार्थियों को भूल गया।
बोर्ड ने सिर्फ हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए ही एनसीईआरटी की किताबें छपवाई हैं। ऐसे में अंग्रेजी माध्यम के छात्रों को निजी प्रकाशकों की महंगी किताबों से पढ़ना होगा। मगर इस पर भी विभाग ने रोक लगा रखी है।

एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम यूपी बोर्ड की कक्षा 9 से 12 तक  लागू किया गया है। बोर्ड ने अपने चार निर्धारित प्रकाशकों से एनसीईआरटी की किताबें छपवाई हैं। प्रकाशकों ने 31 विषयों की किताबें छापी हैं, मगर ये सभी हिंदी माध्यम की हैं।

बोर्ड ने अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों को किताबें उपलब्ध कराने के लिए न तो कोई प्रस्ताव तैयार कराया और न ही प्रकाशक तय किए हैं। बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव ने बताया कि यूपी बोर्ड की किताबें सिर्फ हिंदी माध्यम में हैं।

अंग्रेजी माध्यम के लिए अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। बोर्ड के इस कदम से अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों के छात्रों की पढ़ाई चौपट हो रही है। वे एनसीईआरटी की किताबों के इंतजार में हैं।

हालत यह है कि कई स्कूलों में छात्रों को पुराने पाठ्यक्रम से ही पढ़ाई कराई जा रही है, क्योंकि विभाग ने निर्धारित के अलावा निजी प्रकाशकों की किताबों से पढ़ाने पर भी रोक लगा दी है।
अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों का भी आंकड़ा नहीं
यूपी बोर्ड विद्यालयों को मान्यता प्रदान करता है। स्कूल हिंदी माध्यम से पढ़ाएंगे या अंग्रेजी से इसकी मान्यता नहीं दी जाती। विभाग के पास न तो अंग्रेजी माध्यम से संचालित विद्यालयों का आंकड़ा है और न ही यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की सही स्थिति की जानकारी। बोर्ड फॉर्म भरवाने के समय विद्यार्थी से पूछा जाता है कि वह अंग्रेजी माध्यम से परीक्षा देना चाहता है या हिंदी से। उसी आधार पर छात्रों को प्रश्नपत्र मुहैया कराए जाते हैं।
मजबूरी बनी महंगी किताबें
अंग्रेजी माध्यम के छात्र निजी प्रकाशकों की किताबें पढ़ने के लिए मजबूर हैं। एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम भले ही अंग्रेजी माध्यम में नहीं है, लेकिन निजी प्रकाशकों की किताबें अंग्रेजी माध्यम में उपलब्ध हैं। ऐसे में छात्र निजी प्रकाशकों की महंगी किताबों से ही पढ़ने को विवश हैं। एक तरफ विभाग इनके लिए अंग्रेजी माध्यम के किताब उपलब्ध नहीं करा पा रहा है तो दूसरी तरफ निजी प्रकाशकों की किताबें इस्तेमाल न करने का निर्देश दे रहा है।

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