Sunday, April 22, 2018

रेल टिकट बुकिंग गाइड : कंफर्म टिकट पाने का ट्रिक


ट्रेन सफर का बेहतर और किफायती जरिया है। हाल में ट्रेन रिजर्वेशन नियमों में कई तरह के बदलाव हुए हैं। रेलवे टिकट बुकिंग और कैंसिलेशन से जुड़ीं तमाम तरह की जानकारियां -
रेल रिजर्वेशन के तीन तरीके हैं: 
1. वेबसाइट 
2. मोबाइल ऐप 
3. रेलवे रिजर्वेशन काउंटर 
1. ऑनलाइन टिकट रिजर्वेशन irctc.co.in पर जाकर करा सकते हैं। ऑनलाइन टिकट बुक करने के लिए सबसे पहले आपको अपना लॉगइन क्रिएट करना होगा। इसके लिए आप www.irctc.co.in पर क्लिक करें। पेज खुलते ही लेफ्ट साइट में User ID के बगल में Sign up का ऑप्शन मिलेगा। Sign up पर क्लिक करते ही एक पेज खुलेगा, जिसमें मांगी गई जानकारी भरने के बाद आईआरसीटीसी की इस साइट पर आप रजिस्टर्ड हो जाएंगे। एक बार रजिस्टर्ड होने और लॉगइन आईडी और पासवर्ड मिल जाने के बाद आप कभी भी टिकट कटा सकते हैं। इसी लॉगइन और पासवर्ड की मदद से मोबाइल ऐप से भी टिकट कटाना मुमकिन है। इस लॉगइन से आप डेबिट, क्रेडिट कार्ड या इंटरनेट बैंकिंग की मदद से टिकट बुक कर सकते हैं। यहां से बुकिंग कराने पर रेलवे सर्विस चार्ज लेता है। सेकंड क्लास सीटिंग और स्लीपर क्लास के टिकट पर यह 10 रुपए और अपर क्लास के लिए 20 रुपए है। ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा 24 घंटे है, बस रात 11:30 से 12:30 के बीच यह सेवा उपलब्ध नहीं रहती। 

2. मोबाइल से रिजर्वेशन के लिए दो चीजें जरूरी हैं: 
1. मोबाइल में इंटरनेट कनेक्शन 
2. IRCTC Rail Connect ऐप: एंड्रॉयड, विंडोज़ 

कितने दिन पहले हो सकता है रिजर्वेशन? 

लंबी दूरी की ज्यादातर ट्रेनों के लिए 120 दिन पहले से बुकिंग शुरू हो जाती है। यात्रा के दिन को 120 दिनों में शामिल नहीं किया जाता। 120 दिन की गणना करने के लिए आईआरसीटीसी की टिकट बुकिंग वेबसाइट पर दिए कैलकुलेटर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। www.irctcticketdate.blogspot.com पर भी जाकर दिनों की गिनती कर सकते हैं। यह भी याद रखें कि 120 दिन की गणना अपने स्टेशन से शुरू होने वाली यात्रा की बजाय उस दिन को आधार मानकर शुरू करें, जिस दिन ट्रेन अपने पहले स्टेशन से रवाना होती है। सुबह 8 बजे टिकट बुकिंग शुरू होती है। दिन में चलने वाली और कम दूरी की कुछ ट्रेनों की बुकिंग अवधि 30 दिन और 15 दिन भी है। विदेशी नागरिक यात्रा से 360 दिन पहले टिकट बुक करा सकते हैं। 

ट्रेन चलने से कितनी देर पहले तक करा सकते हैं बुकिंग

ट्रेन चलने से पहले दो बार चार्ट तैयार होते हैं। पहली बार ट्रेन चलने से चार घंटे पहले चार्ट तैयार होता है। ऐसे में चार घंटे पहले तक टिकट रिजर्वेशन कराया जा सकता है। पहला चार्ट तैयार होने के बाद अगर कोई टिकट कैंसल होने से सीट खाली होती है तो उस स्थिति में भी ट्रेन चलने से आधा घंटे पहले तक रिजर्वेशन मुमकिन है। यह ऑनलाइन भी हो सकता है और काउंटर से भी। 

एक महीने में कितने टिकट करा सकते हैं बुक? 

ऐसा नहीं है कि कोई जितने चाहे टिकट बुक करा सकता हो। रेलवे के नियम के मुताबिक, एक लॉगइन आईडी पर एक महीने में छह टिकट बुक हो सकते हैं, लेकिन अगर पहचान के तौर पर आधार दिखाते हैं तो 12 टिकट बुक कराए जा सकते हैं। 

टिकट बुकिंग के लिए भुगतान कैसे करें? 

ऑनलाइन टिकट बुकिंग के लिए क्रेडिट, डेबिट कार्ड और नेट बैंकिंग के साथ-साथ ई-वॉलेट सुविधा का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। 

ई-वॉलेट क्या है? 

ई-वॉलेट एक तरह से आईआरसीटीसी में आपका ऑनलाइन अकाउंट है। इसमें आप रकम जमा रख सकते हैं और जब भी ऑनलाइन टिकट बुक कराना हो तो इसी अकाउंट से टिकट की रकम का भुगतान हो सकता है। इसका फायदा यह है कि इससे टिकट बुक कराने में समय की बचत होती है। ई-वॉलेट बनाने के लिए आपको irctc.co.in पर लॉगइन करना होगा। यहां होमपेज पर आपको More का ऑप्शन दिखेगा। इसे क्लिक करेंगे तो ड्रॉप डाउन में IRCTC eWallet का ऑप्शन दिखेगा। 

ट्रेन रिजर्वेशन पर क्या-क्या चार्ज लगते हैं? 

ट्रेन रिजर्वेशन के लिए बेस किराए के साथ रिजर्वेशन चार्ज भी देना होता है। एसी क्लास के लिए 40 रुपए और नॉन-एसी के लिए यह चार्ज 20 रुपए है। इसके अलावा जीएसटी और जिन ट्रेनों में कैटरिंग है, उनमें कैटरिंग चार्ज भी लिया जाता है। इसके अलावा सुपरफास्ट ट्रेनों में सुपरफास्ट चार्ज लगता है। शताब्दी, राजधानी और दुरंतो में डाइनैमिक चार्ज भी लगाया जाता है, यानी आपको टिकट के लिए तय रकम से ज्यादा पैसा देना पड़ सकता है। 

क्या है RAC? 

आरएसी (RAC) का मतलब है रिजर्वेशन अगेंस्ट कैंसिलेशन। अगर आपको कन्फर्म बर्थ की जगह आरएसी का टिकट मिला है तो इसका मतलब है कि आप ट्रेन में यात्रा तो कर सकते हैं, लेकिन रेलवे आपको आधी बर्थ देगा। अगर सफर के दौरान कोई सीट खाली होती है तो उस स्थिति में टीटीई आपको पूरी बर्थ भी दे सकता है। 

क्या कन्फर्म रेल टिकट का ट्रांसफर मुमकिन है? 

- अगर यात्री अपना टिकट परिवार के सदस्य यानी माता, पिता, भाई, बहन, बेटा, पति या पत्नी के नाम पर ट्रांसफर कराना चाहे तो कर सकता है। इसके लिए यात्री को 24 घंटे पहले रेलवे के चीफ रिजर्वेशन सुपरवाइजर को लिखित अनुरोध करना होगा। 

- डयूटी पर तैनात सरकारी कर्मचारी ड्यूटी पर तैनात किसी दूसरे सरकारी कर्मचारी को अपना टिकट ट्रांसफर कर सकते हैं। इसके लिए भी 24 घंटे पहले अनुरोध करना होगा। 

- मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं के स्टूडेंट भी दूसरे स्टूडेंट को टिकट ट्रांसफर कर सकते हैं, लेकिन सफर शुरू होने से 48 घंटे पहले उन्हें अनुरोध देना होगा। 

- बरात के लिए बुकिंग कराने पर भी टिकट ट्रांसफर किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए भी बुकिंग कराने वाले को 48 घंटे पहले अनुरोध करना होगा। 

नोट: इसमें शर्त यह भी है कि जो टिकट ट्रांसफर किया जा रहा है, वह रियायती किराए पर न लिया गया हो, यानी ऐसा न हो कि बुजुर्ग यात्री के नाम पर 50 फीसदी छूट के साथ लिया गया टिकट परिवार के किसी युवा सदस्य के नाम ट्रांसफर करने का अनुरोध किया जाए। अगर कोई ऐसा चाहता है तो उसे बाकी का पैसा चुकाना होगा। 

क्या रिजर्वेशन के बाद टिकट अपग्रेड हो सकता है

रेलवे यह सुविधा देता है। पिछले साल लगभग 23 हजार यात्रियों के टिकट अपग्रेड किए गए थे। इसके लिए टिकट बुकिंग कराने से पहले यात्री को फॉर्म पर अपग्रेडेशन का एक ऑप्शन क्लिक करना होता है। अगर यात्री ने थर्ड एसी का टिकट लिया है और उस ट्रेन में सेकंड एसी की कोई बर्थ खाली रह गई है तो ऐसे में बिना अडिशनल पैसा लिए यात्री को सेकंड एसी की बर्थ दी जा सकती है। 

क्या ऑनलाइन या ऐप से टिकट लेने के बाद उसका प्रिंटआउट लेना जरूरी है? 

नहीं, रेलवे (IRCTC) की तरफ से आया एसएमएस दिखाना ही काफी है। 

जानें, तत्काल का फंडा 

तत्काल ऐसे यात्रियों के लिए है, जिन्हें इमरजेंसी में यात्रा का फैसला लेना पड़ता है। आमतौर पर ट्रेनों की हर कैटिगरी की लगभग 30 फीसदी टिकटें तत्काल के लिए होता है। तत्काल के तहत सिर्फ चार लोगों का रिजर्वेशन एक पीएनआर नंबर पर हो सकता है। अगर आप रेलवे काउंटर से तत्काल टिकट ले रहे हैं तो आपको आठ वैलिड आइडेंटिटी प्रूफ में से कोई एक दिखाना होगा। ये हैं - आधार, पैन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आई कार्ड, फोटो वाला क्रेडिट कार्ड, सरकारी निकायों का फोटो आई-कार्ड, मान्यता प्राप्त स्कूल-कॉलेजों का आई-कार्ड। रिजर्वेशन स्लिप के साथ आपको एक सेल्फ अटेस्टेड आई-कार्ड की फोटोकॉपी भी विंडो पर देनी होगी। तत्काल टिकट खो जाने पर आमतौर पर ड्यूप्लिकेट टिकट नहीं दिया जाता। कुछ खास स्थितियों में तत्काल चार्ज समेत टोटल फेयर पे करने पर ड्यूप्लिकेट टिकट मिल सकता है। 

कब करा सकते हैं तत्काल टिकट बुक? 

यात्रा शुरू होने से एक दिन पहले तत्काल का टिकट लिया जा सकता है। अगर आपकी ट्रेन 10 मई की है तो उस ट्रेन के लिए तत्काल की सीटें 9 मई को बुक करा सकते हैं। एसी क्लास के टिकट सुबह 10 से 11 बजे और नॉन-एसी क्लास के टिकट 11 से 12 बजे के बीच टिकट बुक कराए जा सकते हैं। 

एक आदमी कितने टिकट? 

एक लॉगइन पर एक दिन में ज्यादा-से-ज्यादा 4 लोगों का टिकट बुक किया जा सकता है। 

वेटिंग का टिकट 

तत्काल में आरएसी सीट नहीं दी जाती, लेकिन वेटिंग का टिकट मिलता है। 

तत्काल के टिकट के लिए अतिरिक्त चार्ज 

तत्काल के टिकट पर अतिरिक्त चार्ज लिया जाता है। इसमें हर क्लास के लिए अलग चार्ज है: 

रिजर्व्ड सेकंड सिटिंग: 10 से 15 रुपए 
स्लीपर: 100 से 200 रुपए 
एसी चेयरकार: 125 से 225 रुपए 
एसी 3 टीयर: 300 से 400 रुपए 
एसी 2 टीयर : 400 से 500 रुपए 
एग्जिक्युटिव: 400 से 500 रुपए 

क्या तत्काल टिकट सभी ट्रेनों के लिए उपलब्ध हैं? 

नहीं, सिर्फ उन्हीं चुनिंदा ट्रेनों में तत्काल की सुविधा है, जिनकी काफी डिमांड है। 

क्या तत्काल का वेटिंग पहले कन्फर्म होता है? 

तत्काल में टिकट पहले कन्फर्म होने की संभावना होती है। आमतौर पर टिकट कन्फर्म करते वक्त एक अनुपात दो का रेश्यो होता है। अगर वेटिंग का आम टिकट एक कन्फर्म होता है, तो तत्काल के दो। 

तत्काल का कन्फर्म टिकट रद्द होने पर कितना रिफंड मिलता है? 

तत्काल का अगर टिकट कन्फर्म है तो उसमें कोई रिफंड नहीं मिलता। अगर वेटिंग का टिकट है तो सामान्य रिफंड के सामान्य नियम लागू होते हैं, फिर चाहे खिड़की से लिया गया हो या वेबसाइट से या फिर ऐप से। 

क्या है 'विकल्प' सुविधा

विकल्प का अर्थ यह है कि किसी ट्रेन में सीट उपलब्ध न रहने पर रेलवे आपको उसी रूट की दूसरी ट्रेन में सीट का विकल्प प्रदान कर रहा है। इस स्कीम के तहत बुकिंग के वक्त जिन यात्रियों को कन्फर्म बर्थ उपलब्ध नहीं होती, वे विकल्प स्कीम का फायदा ले सकते हैं। वेटिंग के टिकट के समय ही यह ऑप्शन अगर चुन लिया जाता है तो उस स्थिति में यात्री अपने रूट पर पांच ट्रेनों का विकल्प ले सकता है। अगर इन पांच ट्रेनों में से किसी एक में सीट उपलब्ध होती है तो यात्री का टिकट रेलवे उस ट्रेन में ट्रांसफर करके यात्री को एसएमएस के जरिए सूचित करेगा। विकल्प की सुविधा 2015 में ट्रायल के तौर पर चुनिंदा रूटों पर शुरू की गई थी, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ा दिया गया है। रेलवे को इसका फायदा यह होता है कि एक ही रूट की कम पॉप्युलर ट्रेनों में अगर बर्थ खाली होती हैं तो दूसरी ट्रेन की वेटिंग के यात्रियों को इन ट्रेनों में बर्थ मुहैया करा दी जाती है। इससे यात्री और रेलवे दोनों को ही फायदा मिलता है। 

टिकट रिफंड के नियम भी जरूर जानें 

अगर किसी वजह से यात्रा रद्द करते हैं तो जरूरी है कि जितना जल्द हो सके, अपना टिकट कैंसल करा लें, वरना जितनी देर करेंगे, आपकी उतनी ही जेब कटेगी। 

कैसे कराएं टिकट कैंसल? 

अगर ऑनलाइन रेल रिजर्वेशन कराया गया है और चार्ट बनने के बाद भी टिकट वेटिंग में है तो टिकट खुद ही कैंसल हो जाएगा और रिफंड दो-तीन दिनों में उसी अकाउंट में पहुंच जाएगा, जिससे टिकट का भुगतान किया गया था। अगर टिकट पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम के काउंटर से लिया गया है तो इसके लिए खुद यात्री या यात्री की ओर से किसी और को काउंटर पर जाकर टिकट कैंसल कराना होगा। 

48 घंटे पहले कन्फर्म टिकट कैंसल कराने पर कैंसिलेशन चार्ज: 

एसी फर्स्ट और एग्जिक्युटिव क्लास: 240 रुपए 

एसी सेकंड और फर्स्ट क्लास: 200 रुपए 

थर्ड एसी, इकॉनमी और चेयरकार: 180 रुपए 

स्लीपर: 120 रुपए 

सेकंड क्लास सीटिंग: 60 रुपए 

ट्रेन रवाना होने से 48 घंटे से लेकर 12 घंटे पहले तक: किराए की 25 फीसदी रकम कटेगी 

ट्रेन रवाना होने से 12 घंटे से लेकर 4 घंटे पहले तक: किराए की 50 फीसदी रकम कटेगी 

चार्ट बनने के बाद और ट्रेन रवाना होने के बीच: कोई रिफंड नहीं 

वेटिंग और RAC टिकट कैंसल में रिफंड का फंडा 

अगर वेटिंग या आरएसी का काउंटर से खरीदा हुआ टिकट है तो भी ट्रेन रवाना होने से आधा घंटा पहले टिकट रद्द कराना होगा, वरना उसके बाद कोई रिफंड नहीं होगा। अगर ऑनलाइन टिकट लिया था तो पैसा खुद ब खुद अकाउंट में वापस हो जाएगा। 

रात की ट्रेन का टिकट का रिफंड कैसे लें? 

रात 9 बजे से सुबह 6 बजे के बीच रेलवे टिकट काउंटर बंद रहता है। ऐसी स्थिति में अगर रात की ट्रेन में टिकट कन्फर्म नहीं होता तो उस स्थिति में सुबह काउंटर खुलने के दो घंटे के भीतर तक रिफंड लिया जा सकता है। इसके अलावा दूसरा ऑप्शन यह भी है कि यात्री चाहे तो 139 पर टिकट कैंसल कराने का अनुरोध कर सकता है। उस स्थिति में उसे एक तय अवधि के भीतर किसी भी काउंटर पर जाकर टिकट सरेंडर करना होगा। ऑनलाइन टिकट लिया है तो फिर कोई दिक्कत ही नहीं क्योंकि आप ऑनलाइन ही कैंसल करा सकते हैं। 

अगर वेटिंग वाले कुछ यात्री सफर न करें तो

अगर आपने चार लोगों का ऑनलाइन रेल टिकट लिया है और उनमें से दो का टिकट कन्फर्म हो गया है और बाकी दो का वेटिंग लिस्ट में है और वेटिंग लिस्ट वाले सफर नहीं कर रहे तो ट्रेन में ही चेकिंग स्टाफ से सर्टिफिकेट ले सकते हैं कि वेटिंग लिस्ट वाले यात्री ट्रेन में नहीं हैं। यात्रा पूरी होने के बाद उसी सर्टिफिकेट के आधार पर ऑनलाइन टीडीआर भरकर दो यात्रियों का किराया क्लेम कर सकते हैं। 

क्या तत्काल टिकटों की वापसी पर रिफंड मिलता है

नहीं, तत्काल टिकट को कैंसल कराने पर रिफंड नहीं मिलता। लेकिन कुछ स्थितियों में फुल रिफंड की व्यवस्था भी है। ये हैं : 

1. अगर ट्रेन जहां से खुलती है, अगर वहां से तीन घंटे से ज्यादा लेट हो तो। इसके लिए यात्री को टीडीआर यानी टिकट डिपॉजिट करके उसकी रसीद लेनी होगी। क्लेम की गई रकम 16 से 90 दिन के भीतर अकांउट में आती है। रकम वापस करते वक्त रेलवे सिर्फ क्लेरिकल चार्जेज काटता है। 

2. अगर ट्रेन रूट बदलकर चल रही हो और पैसेंजर उसमें यात्रा करना नहीं चाहता। 

3. अगर ट्रेन रूट बदलकर चल रही हो और बोर्डिंग और पैसेंजर के डेस्टिनेशन स्टेशन उस रूट पर नहीं आ रहे हों। 

4. अगर रेलवे पैसेंजर को उसके रिजर्वेशन वाली क्लास में यात्रा करा पाने में असमर्थ हो। 

5. अगर रिजर्व ग्रेड से लोअर कैटिगरी में सीटें रेलवे उपलब्ध करा रहा हो, लेकिन पैसेंजर उस क्लास में यात्रा करना नहीं चाहता। अगर पैसेंजर लोअर क्लास में सफर कर भी लेता है तो रेलवे को उस पैसेंजर को किराए और तत्काल चार्ज के अंतर के बराबर रकम लौटानी होगी। 

RAC टिकट 

अगर किसी यात्री के पास ऑनलाइन आरएसी का टिकट है और वह आरएसी पर यात्रा नहीं करना चाहता तो उसे ट्रेन रवाना होने से आधा घंटे पहले ऑनलाइन टिकट कैंसल कराना होगा, नहीं तो रिफंड नहीं मिलेगा। 

चंद अहम सवाल और जवाब 

क्या राजधानी, शताब्दी जैसी ट्रेनों में ट्रेन की कैटरिंग का खाना लेना अनिवार्य है? 

नहीं। अब यह अनिवार्य नहीं है। टिकट बुक कराते वक्त अगर यात्री चाहे तो ऑप्शन के तौर पर बता सकता है कि वह ट्रेन में रेलवे की कैटरिंग का खाना नहीं लेना चाहता। ऐसी स्थिति में यात्री से टिकट के साथ कैटरिंग चार्ज नहीं लिया जाएगा। 

क्या यात्री किसी भी रेस्तरां या ऐप के जरिए ट्रेन में अपने लिए खाना मंगा सकता है? 

आईआरसीटीसी का सुझाव है कि यात्री उन सप्लायर से ही खाना मंगवाएं, जिन्हें आईआरसीटीसी ने ऑथराइज किया हुआ है। ऐसे में यात्री आईआरसीटीसी की वेबसाइट से अलग-अलग शहरों में ऑथराइज्ड ई-कैटरिंग सप्लायर के नाम देखकर अपनी मनचाही जगह पर उनमें से किसी से भी अपने लिए खाना मंगा सकते हैं। 

क्या इमरजेंसी में कोई यात्री वेटिंग वाले टिकट के साथ ट्रेन में सफर कर सकता है? 

पूरी तरह से रिजर्व्ड कोच में अगर कोई सीट खाली नहीं है तो उस स्थिति में यात्री के लिए वेटिंग लिस्ट के साथ यात्रा करना मुमकिन नहीं है। लेकिन जिन ट्रेनों में जनरल कोच हैं, उनमें जरूर यात्री वेटिंग टिकट के साथ सफर कर सकता है। लेकिन ऐसी स्थिति में वेटिंग टिकट रेलवे काउंटर से खरीदा हुआ होना चाहिए। ऑनलाइन खरीदा गया टिकट कन्फर्म न होने पर अपने आप कैंसल हो जाता है, इसलिए उस पर यात्रा नहीं की जा सकती। ट्रेन में बिना टिकट पकड़े जाने पर 250 रुपए फाइन और जहां पकड़े गए हों, ट्रेन के डिपार्चर पॉइंट से वहां तक का किराया देना होगा। अगर आप वहां से आगे की यात्रा करना चाहते हैं तो फाइन और आपकी मंजिल का किराया लेकर आपका टिकट बना दिया जाएगा। इसके बावजूद आपको रिजर्वेशन वाली बोगी में यात्रा करने का हक नहीं मिलता। 

अगर रेल टिकट खो जाए तो


अगर आपने ई टिकट लिया है और ट्रेन में जाने के बाद आपको पता लगा कि टिकट खो गया है और आपके पास उसे लैपटॉप या आईपैड या मोबाइल पर दिखाने का ऑप्शन भी नहीं है तो आप टीटीई को 50 रुपए पेनल्टी देकर टिकट हासिल कर सकते हैं। 

अगर यात्री के पास प्लैटफॉर्म टिकट है तो वह उससे ट्रेन में यात्रा कर सकता है?
 

अगर इमरजेंसी में यात्री ट्रेन में सवार होता है तो उसे फौरन पहले टीटीई से संपर्क करके टिकट का अनुरोध करना चाहिए। उस स्थिति में यात्री से 250 रुपए पेनल्टी और यात्रा का किराया वसूला जाएगा। प्लैटफॉर्म टिकट का फायदा इतना ही होगा कि यात्री से किराया वसूलते वक्त डिपार्चर स्टेशन उसे ही माना जाएगा जहां से प्लैटफॉर्म टिकट खरीदा गया होगा और किराया भी उसी कैटिगरी का वसूला जाएगा, जिसमें यात्री सफर कर रहा होगा। 

कैप्चा कैंसिलेशन का तोड़ 

ऑनलाइन टिकट बुक कराते वक्त कैप्चा बेहद अहम किरदार निभाता है। अक्सर देखने में आता है कि सबकुछ सही रहता है, लेकिन सिर्फ गलत कैप्चा की वजह से बुकिंग में देरी हो जाती है। आपके साथ कई बार ऐसा हो चुका हो तो इस तकनीक को अपनाएं। आईआरसीटीसी के पैसेंजर डिटेल पेज पर ज्यादा समय न बिताएं। दरअसल इस पेज पर जब आप पहली बार जाते हैं तो आसान कैप्चा कोड मिलता है, लेकिन ज्यादा समय बिताने पर कोड कठिन होता जाता है। कठिन कैप्चा कंफर्म टिकट की संभावना कम कर देता है। 

कंफर्म टिकट पाने का ट्रिक 

देखा गया है कि व्यस्त ट्रेनों में टिकट आसानी से नहीं मिलता। बुकिंग ओपन होने के बाद ऑनलाइन टिकट कटाते वक्त आपके पास बमुश्किल 40 सेकंड से एक मिनट का टाइम होता है। ऐसे में अगर आप कुछ ट्रिक्स आजमाएं तो कंफर्म टिकट मिल सकता है। जानते हैं, ऐसी ही ट्रिक्स: 

1. सुनिश्चित करें कि आपके पास तेज स्पीड वाला इंटरनेट हो। 
2. इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करने पर टिकट जल्दी कटता है। इससे भी ज्यादा जल्दी टिकट आईआरसीटीसी वॉलेट इस्तेमाल करने से कटता है। तो बेहतर है कि वॉलेट में पहले से पर्याप्त रकम जमा कर दें। 
3. IRCTC की साइट पर जाकर लॉगइन करें और My Profile पर क्लिक करें। यहां आपको Master List दिखेगा। यहां पैसेंजर की पूरी जानकारी भरकर पहले से सेव कर लें। 
4 यहीं आपको Favourite Journey List का ऑप्शन दिखेगा। उस पर क्लिक करें और ट्रेन की जानकारी भरें। 
5. अब फिर से आईआरसीटीसी की साइट पर लॉगइन तब करें, जब बुकिंग शुरू होने में 5 मिनट हो। लॉगइन करने के बाद आप वहां पहुंच जाएंगे, जहां आपसे पूछा जाएगा कि कहां का और किस डेट का चाहिए। यहीं आपको Favourite Journey List दिखेगी। उस पर क्लिक करने पर फौरन आपका काम निपट जाएगा। इसके बाद आपको डेट चुननी होगी और कैप्चा भरना होगा। 
6. इसके बाद ट्रेन की लिस्ट आपके सामने होगी। जैसे ही आप Book Now बटन पर क्लिक करेंगे, आपके सामने पैसेंजर से जुड़ी जानकारी वाला फॉर्म खुल जाएगा। यहीं ऊपर में आपको Master List का ऑप्शन दिखेगा। उस पर क्लिक कर आप पैसेंजर की जानकारी सेकंडों में भर लेंगे। इसके फौरन बाद आपसे पेमेंट मोड पूछा जाएगा। यहां आप वॉलेट का ऑप्शन चुनें। ये दोनों चीजें आपका मिनटों का काम सेकंडों में निपटा देंगी और कंफर्म टिकट आपके पास होगा। 

रेलवे के शॉर्टकट शब्दों का मतलब 

रेलवे टिकट बुक करते वक्त हमें कुछ शॉर्टकट शब्द दिखाई देते हैं, लेकिन हम उनको जानें बिना ही क्लिक कर देते हैं। बेहतर है कि इन्हें जान लें ताकि टिकट आसानी से कन्फर्म हो सके। ये शब्द हैं: 

GNWL: जनरल वेटिंग लिस्ट, यानी आपने जिस ट्रेन का टिकट लिया है, वह ट्रेन वहीं स्टेशन या आसपास के स्टेशन से बनकर चलती है। इसमें टिकट कंफर्म होने के चांस ज्यादा होते हैं। 

RLWL: रिमोट लोकेशन वेटिंग लिस्ट, यानी दो बड़े स्टेशनों के बीच, जहां पर ज्यादा ट्रेनें नहीं आतीं। ऐसे टिकट कंफर्म होने के चांस ज्यादा होते हैं। 

PQWL: पूल्ड कोटा वेटिंग लिस्ट, यानी छोटे स्टेशनों पर कोटे में दी गई सीट के आधार पर टिकट दिया जाता है। इसमें टिकट कंफर्म होने के चांस कम होते हैं। 

PQWL/REGRET: इसका मतलब है कि ट्रेन में सीट नहीं है और आपको टिकट नहीं मिलेगा। 


साभार 

ensoul

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shikshakdiary

bhajapuriya bhajapur ke