वाराणसी साफ्ट स्टोन जाली वर्क एवं गाजीपुर वालहैंगिंग को जीआई पंजीकरण से देश के बौद्धिक सम्पदा अधिकार का दर्जा मिला
पूरी दुनिया में अपनी हस्तकला और उत्कृष्ट कारीगरी के लिए विख्यात काशी एवं पूर्वांचल का दबदबा जीआई एवं बौद्धिक सम्पदा के क्षेत्र में लगातार बढ़ता जा रहा है। आठ उत्पाद जीआई में पंजीकृत होने के बाद दो और उत्पादों को जीआई का दर्जा मिलने के बाद वाराणसी परिक्षेत्रअब दस उत्पादों के जीआई में शुमार होकर दुनिया का सबसे बड़ा जीआई हब बन गया है। इसमें वाराणसी साफ्ट स्टोन जॉली वर्क एवं गाजीपुर का वालहैंगिग शामिल है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी लगातार बुलंदियों को छू रहा है। आठ उत्पादों को जीआई का दर्जा मिलने के बाद दो और उत्पादों को जीआई का दर्जा मिलने के बाद दुनिया का सबसे बड़ा जीआई हब बन गया। दो उत्पाद जिनमें वाराणसी साफ्ट स्टोन जाली वर्क - पंजीकरण सं. 556 एवं गाजीपुर वालहैंगिंग को जीआई पंजीकरण सं. 555 के साथ 30 मार्च,2018 को देश के बौद्धिक सम्पदा अधिकार में शुमार कर लिया गया है। इसके साथ ही बनारस परिक्षेत्र के 10 उत्पादों को अब यह गौरव हासिल हो गया है और यह दुनिया के किसी भी भूभाग में सर्वाधिक जीआई पंजीकृत उत्पादों वाला क्षेत्र बन गया है। नाबार्ड के डीडीएम सुशील तिवारी ने बताया कि दोनों ही क्राफ्ट के लिए नाबार्ड ने वित्तीय सहायता प्रदान की गयी है। आगे भी नाबार्ड हर तरह का सहयोग शिल्पियों को करेगा। जीआई विशेषज्ञ एवं ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के निदेशक डॉ. रजनीकान्त ने बताया कि साफ्ट स्टोन में स्थानीय शिल्पियों की संस्था ‘‘‘‘दी बनारस हैण्डीक्राफ्ट डेवलपमेण्ट सोसाईटी, रामनगर, एवं ‘‘‘‘बनारस हैण्डीक्राफ्ट डेवलपमेण्ट इण्डस्ट्रीयल कोअपरेटिव सोसाईटी की तरफ से एवं गाजीपुर वालहैंगिंग के लिए क्राफ्ट विकास समिति, सैदपुर,गाजीपुर 18 जुलाई, 2016 को जीआई रजिस्ट्री चेन्नई में दाखिल किया गया था। 20 माह की लम्बी कानूनी प्रक्रिया के उपरांत इन दोनों जीआई उत्पाद का दर्जा मिल गया। जिससे आने वाले समय में इन दोनों शिल्पियों के लिए भी भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार से विशेष सहयोग प्राप्त होगा और शिल्पियों के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने बताया कि अब पूरी दुनिया में इन शिल्पियों के उत्पादों की नकल नहीं की जा सकेगी। वाराणसी साफ्ट स्टोन जाली वर्क (जिसे साफ्ट स्टोन अण्डरकट वर्क के नाम से भी जाना जाता है) एवं गाजीपुर वालहैंगिंग जो कि दोनों निर्यात आधारित उत्पादों का महत्व बढ़ जाएगा। यह दोनों उत्पाद इतने महत्वपूर्ण हैं कि पिछले दिनों वाराणसी आए फ्रांस के राष्ट्रपति को दीनदयाल हस्तकला संकुल, बड़ालालपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी जी ने उनको साफ्ट स्टोन जालीवर्क की हाथी के अन्दर हाथी को बड़ी बारीकी से दिखाया व समझाया था और वह इस अद्भुत कारीगरी को देखकर अभीभूत हो गये थे। फ्रांस के एम्फिल टावर को गाजीपुर के वालहैंगिंग पर बना कर प्रदर्शित किया गया था जो अपने आप में आकर्षण का केन्द्र था। साफ्ट स्टोन जाली वर्क के लिए 4 जनपदों वाराणसी, चन्दौली, मिर्जापुर एवं सोनभद्र को एवं गाजीपुर वालहैंगिंग के लिए गाजीपुर, वाराणसी, चन्दौली, एवं मिर्जापुर जनपद को ही कानूनी रूप से इन दोनों उत्पादों को बनाने के लिए जीआई रजिस्ट्री द्वारा अधिकृत अधिकृत किया गया है। बच्चालाल मौर्या, शिवपूजन जायसवाल, बचाउ, संतोष, अभय कुमार, राकेश, अनिल आर्य, द्वारका प्रसाद, बबलू राजभर, मोहम्मद अकरम, इजराईल, कैसरजहॉ, समेत इससे जुड़े शिल्पियों में खुशी है।
पूरी दुनिया में अपनी हस्तकला और उत्कृष्ट कारीगरी के लिए विख्यात काशी एवं पूर्वांचल का दबदबा जीआई एवं बौद्धिक सम्पदा के क्षेत्र में लगातार बढ़ता जा रहा है। आठ उत्पाद जीआई में पंजीकृत होने के बाद दो और उत्पादों को जीआई का दर्जा मिलने के बाद वाराणसी परिक्षेत्रअब दस उत्पादों के जीआई में शुमार होकर दुनिया का सबसे बड़ा जीआई हब बन गया है। इसमें वाराणसी साफ्ट स्टोन जॉली वर्क एवं गाजीपुर का वालहैंगिग शामिल है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी लगातार बुलंदियों को छू रहा है। आठ उत्पादों को जीआई का दर्जा मिलने के बाद दो और उत्पादों को जीआई का दर्जा मिलने के बाद दुनिया का सबसे बड़ा जीआई हब बन गया। दो उत्पाद जिनमें वाराणसी साफ्ट स्टोन जाली वर्क - पंजीकरण सं. 556 एवं गाजीपुर वालहैंगिंग को जीआई पंजीकरण सं. 555 के साथ 30 मार्च,2018 को देश के बौद्धिक सम्पदा अधिकार में शुमार कर लिया गया है। इसके साथ ही बनारस परिक्षेत्र के 10 उत्पादों को अब यह गौरव हासिल हो गया है और यह दुनिया के किसी भी भूभाग में सर्वाधिक जीआई पंजीकृत उत्पादों वाला क्षेत्र बन गया है। नाबार्ड के डीडीएम सुशील तिवारी ने बताया कि दोनों ही क्राफ्ट के लिए नाबार्ड ने वित्तीय सहायता प्रदान की गयी है। आगे भी नाबार्ड हर तरह का सहयोग शिल्पियों को करेगा। जीआई विशेषज्ञ एवं ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के निदेशक डॉ. रजनीकान्त ने बताया कि साफ्ट स्टोन में स्थानीय शिल्पियों की संस्था ‘‘‘‘दी बनारस हैण्डीक्राफ्ट डेवलपमेण्ट सोसाईटी, रामनगर, एवं ‘‘‘‘बनारस हैण्डीक्राफ्ट डेवलपमेण्ट इण्डस्ट्रीयल कोअपरेटिव सोसाईटी की तरफ से एवं गाजीपुर वालहैंगिंग के लिए क्राफ्ट विकास समिति, सैदपुर,गाजीपुर 18 जुलाई, 2016 को जीआई रजिस्ट्री चेन्नई में दाखिल किया गया था। 20 माह की लम्बी कानूनी प्रक्रिया के उपरांत इन दोनों जीआई उत्पाद का दर्जा मिल गया। जिससे आने वाले समय में इन दोनों शिल्पियों के लिए भी भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार से विशेष सहयोग प्राप्त होगा और शिल्पियों के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने बताया कि अब पूरी दुनिया में इन शिल्पियों के उत्पादों की नकल नहीं की जा सकेगी। वाराणसी साफ्ट स्टोन जाली वर्क (जिसे साफ्ट स्टोन अण्डरकट वर्क के नाम से भी जाना जाता है) एवं गाजीपुर वालहैंगिंग जो कि दोनों निर्यात आधारित उत्पादों का महत्व बढ़ जाएगा। यह दोनों उत्पाद इतने महत्वपूर्ण हैं कि पिछले दिनों वाराणसी आए फ्रांस के राष्ट्रपति को दीनदयाल हस्तकला संकुल, बड़ालालपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी जी ने उनको साफ्ट स्टोन जालीवर्क की हाथी के अन्दर हाथी को बड़ी बारीकी से दिखाया व समझाया था और वह इस अद्भुत कारीगरी को देखकर अभीभूत हो गये थे। फ्रांस के एम्फिल टावर को गाजीपुर के वालहैंगिंग पर बना कर प्रदर्शित किया गया था जो अपने आप में आकर्षण का केन्द्र था। साफ्ट स्टोन जाली वर्क के लिए 4 जनपदों वाराणसी, चन्दौली, मिर्जापुर एवं सोनभद्र को एवं गाजीपुर वालहैंगिंग के लिए गाजीपुर, वाराणसी, चन्दौली, एवं मिर्जापुर जनपद को ही कानूनी रूप से इन दोनों उत्पादों को बनाने के लिए जीआई रजिस्ट्री द्वारा अधिकृत अधिकृत किया गया है। बच्चालाल मौर्या, शिवपूजन जायसवाल, बचाउ, संतोष, अभय कुमार, राकेश, अनिल आर्य, द्वारका प्रसाद, बबलू राजभर, मोहम्मद अकरम, इजराईल, कैसरजहॉ, समेत इससे जुड़े शिल्पियों में खुशी है।