Sunday, March 25, 2018

टीचर के जज्बे को सलाम : सिर्फ एक बच्चे को पढ़ाने के लिए रोजाना पार करता है पहाड़


आपने स्कूलों में शिक्षकों को पढ़ाते हुए देखा होगा लेकिन क्या सिर्फ एक बच्चे को पढ़ाने के लिए किसी शिक्षक को रोजाना स्कूल आते हुए देखा है? शायद आपका जवाब होगा नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है। मगर महाराष्ट्र में पिछले दो सालों से 29 साल के एक सरकारी टीचर रोजाना इस काम को करते हैं। नागपुर के रहने वाले इस टीचर का नाम रजनीकांत मेंढे है। वह पुणे से 100 किलेमीटर से ज्यादा दूर स्थित भोर के गांव चंदर में 8 साल के बच्चे युवराज सिंह को पढ़ाने के लिए जाते हैं। गांव तक पहुंचने के लिए उन्हें रोजाना पर्वत को पार करते हुए 12 किलोमीटर मिट्टी से भरे हुए रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है।
रजनीकांत सरकार द्वारा नियुक्त किए गए जिला परिषद टीचर हैं। वह जिस चंदर गांव में पढ़ाने के लिए जाते हैं वहां 15 झोपड़ियां हैं जिसमें 60 लोग रहते हैं। जहां लोगों से ज्यादा संख्या में सांप रहते हैं। दो सालों से केवल युवराज ही उनका छात्र है। स्कूल पहुंचने के बाद मेंढे की पहली नौकरी बच्चे को ढूंढना होता है। उन्होंने कहा- मैं अमूमन उसे पेड़ों के पीछे छुपे हुए पाता हूं। कई बार मैं उसे उसकी झोपड़ी से लेकर आता हूं। मैं उसकी इस अनिच्छा को समझ सकता हूं। उसे बिना दोस्तों के स्कूल जाना पड़ता है। मेंढे पिछले आठ सालों से यहां पढ़ाने के लिए आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पास के हाईवे से गांव पहुंचने के लिए एक घंटे तक मिट्टी वाले रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है।
 
यह गांव सांसद सुप्रिया सुले के चुनाव क्षेत्र के अंतर्गत आता है लेकिन गांव वालों का कहना है कि वह यहां कभी नहीं आईं। गांव के एक नागरिक ने कहा- सरकार? आखिरी बार उसके बारे में हमने तब सुना था जब पोलियो टीकाकरण की बात हुई थी। मेंढे का कहना है कि आठ साल पहले जब मैंने यहां पढ़ाना शुरू किया था तब 11 बच्चे हुआ करते थे। मेरे पास स्मार्ट बच्चे थे। बहुतों ने इसलिए स्कूल छोड़ दिया क्योंकि उच्च शिक्षा के लिए 12 किलोमीटर मांगाव जाना पड़ेगा। बहुत सी लड़कियों को गुजरात के खेतों और फैक्ट्रियों में दिहाड़ी मजदूरी करने के लिए भेज दिया गया। मैंने बहुत से पैरेंट्स से बच्चों को स्कूल में रहने देने की विनती की लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।

चंदर गांव में साल 1985 में यह स्कूल बना था। कुछ सालों बाद यहां बिना छत वाली चार दिवारी थी। हाल ही में एसबस्टस शीट के जरिए छत बनाई गई है लेकिन वहां से भी बारिश का पानी रिसकर अंदर आ जाता है। रजनीकांत ने कहा- एक रात को स्कूल की छत से मेरे ऊपर सांप गिर गया। अब तक तीन बार मेरा सामना सांप के साथ हो चुका है। युवराज की उम्र के सभी बच्चे खेलते रहते हैं लेकिन उसके पास केवल मैं हूं। उसके लिए स्कूल का मतलब खाली बेंच और चार दिवारी है। इस गांव में बिजली तक नहीं है। जीवन निर्वाह करने के नाम पर गांव वालों के पास कुछ गाय और पत्थर तोड़ने का काम है। अस्पताल की सुविधा भी 63 किलोमीटर दूर है जिसकी वजह से रास्ते में ही कई मरीज दम तोड़ देते हैं।

साभार अमरउजाला

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