वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्तीय वर्ष
2018-19 में पेश किए गए बजट प्रस्ताव में प्रोविडेंट फंड अधिनियम को
खत्म करने जा रहे हैं। विशेषज्ञों की माने तो केंद्र सरकार के इस कदम से आम जनता
को बड़ा झटका लग सकता है।
वित्त
विधेयक 2018 में सरकार बचत प्रमाणपत्र अधियनियम-1959 और पीपीएफ अधिनियम 1968 को खत्म
किए जाने का प्रस्ताव है। इन अधिनियमों से जुड़ी बचत योजनाओं को गवर्नमेंट
सेविंग्स बैंक एक्ट-1873 में
शामिल किया जाएगा। इसके लिए इस एक्ट में नए प्रावधानों को शामिल किया जाएगा।
सरकार ने
स्पष्ट किया है कि वित्त विधेयक में पीपीएफ एक्ट को समाप्त करने के प्रावधान से
पूर्व में इन बचत योजनाओं में किए गए निवेश पर कोई परेशानी नहीं आएगी। इसके साथ ही
दस प्रमुख बचत योजनाएं भी बचत खाते में तब्दील हो जाएंगी। स्पष्ट तौर पर कहें तो
पीपीएफ अधिनियम के खत्म हो जाने से समुचित ब्याज का लाभ उन लोगों को भी नहीं मिल
पाएगा जो नया निवेश करेंगे। सभी नए निवेश गवर्नमेंट सेविंग्स बैंक एक्ट के तहत
होंगे। हालांकि उन लोगों पर असर नहीं पड़ेगा जिन्होंने फाइनेंस एक्ट 2018 के लागू होने से पहले का निवेश कर रखा है।
इन खातों पर सर्वाधिक असर
इन खातों पर सर्वाधिक असर
पीपीएफ
अधिनियम के खत्म होने से पीपीएफ, किसान
विकास पत्र, पोस्ट ऑफिस सेविंग बैंक खाता, नेशनल सेविंग मंथली इनकम, नेशनल
सेविंग आरडी अकाउंट, सुकन्या
समृद्धि खाता, नेशनल सेविंग टाइम डिपॉजिट (1,2,3 और 5 साल), सीनियर सिटीजंस सेविंग योजना और एनएससी पर सर्वाधिक असर
पड़ेगा।
कब लागू होगा
अगर यह बिल संसद पास कर देती है तो लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) जैसी लोकप्रिय योजना नए निवेशकों के लिए पहले जैसी लाभकारी नहीं रह जाएंगी। हालांकि पुराने निवेशकों का परिपक्वता के समय तक खाता चलता रहेगा।
अगर यह बिल संसद पास कर देती है तो लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) जैसी लोकप्रिय योजना नए निवेशकों के लिए पहले जैसी लाभकारी नहीं रह जाएंगी। हालांकि पुराने निवेशकों का परिपक्वता के समय तक खाता चलता रहेगा।