कर
अधिकारी अब उन करदाताओं को जिनके रिटर्न में छोटा मोटा अंतर पाये जाने पर डिमांड
नोटिस नहीं जारी करेंगे। करदाता के रिटर्न (आईटीआर) व विभाग द्वारा बैंकों तथा
अन्य वित्तीय संस्थानों से जुटाए गए ब्यौरे में छोटे मोटे अंतर को लेकर यह नीति इस
लिए अपनायी जा रही ताकि छोटे व वेतनभोगी करदाताओं को राहत हो। इसके जरिए विभाग करदाता
द्वारा उपलब्ध करवाए एक फार्म 16 व कर
विभाग को मिले कर क्रेडिट बयान फार्म 26एएस की
सूचना में मामूली अंतर के मामलों का निपटान करना चाहता है।
केंद्रीय
प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुशील चंद्र ने कहा, इस तरह के मामलों में मामूली अंतर सामने आने पर कर मांग
नोटिस जारी नहीं करने का नीतिगत फैसला किया गया है। हम करदाताओं पर भरोसा करते हैं
और इस कदम का उद्देश्य आयकर रिटर्न का प्रसंस्करण आसान बनाना है। आकलन वर्ष 2018-19 से यह नीति लागू होगी। मौजूदा प्रक्रिया के तहत आयकर विभाग
का बेंगलुरू स्थित केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र सीपीसी उक्त नोटिस जारी करतें हैं।
चंद्रा ने हालांकि यह भी कहा कि जिन मामलों में राशि का अंतर ज्यादा होगा या
किसी तरह की कर चोरी का संदेह बनेगा उनमें विस्तृत पड़ताल की जाएगी।