दैनिक जागरण में पिछले साल सात
जून को चुनाव ‘कार्मिकों
के भुगतान राशि में घालमेल’ शीर्षक
से खबर प्रकाशित हुई थी। हिन्दू युवा
वाहिनी के एक कार्यकर्ता ने इस खबर की कटिंग लगाते हुए आइजीआरएस पोर्टल (समन्वित
शिकायत निवारण प्रणाली) पर शिकायत कर दी। इस पोर्टल पर सीधे मुख्यमंत्री की नजर
होती है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने इसे संज्ञान में लेकर पूरे सूबे में
चुनाव ड्यूटी से संबंधित भुगतान की जांच का निर्देश दिया है। साथ ही बनारस प्रकरण
में जिला निर्वाचन अधिकारी से रिपोर्ट तलब की है। इससे प्रशासनिक महकमे में भूचाल
आ गया है। बुलेट ट्रेन सरीखे पत्र दौड़ने लगे हैं।
वाराणसी में विधानसभा 2012, लोस चुनाव 2014 व रोहनिया विस उपचुनाव में
तैनात कार्मिकों के भुगतान के लिए 15 लाख
रुपये से अधिक राशि मिली थी। भुगतान किसको किया गया और कितनी राशि अवशेष है, इसका कहीं बिल-वाउचर नहीं है।
मजेदार बात रही कि आयोग के संज्ञान में आने से पूर्व यहां इस मामले को लेकर
टालमटोल ही किया गया। मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से इस बारे में लिखा-पढ़ी
शुरू होने पर अब प्रशासनिक महकमा जाग चुका है। इस क्रम में मुख्य कोषाधिकारी की
अध्यक्षता में तीन सदस्य कमेटी गठित हुई है। सीडीओ सुनील वर्मा ने डीडीओ व कैशियर
से इस बारे में जवाब मांगा