वित्त मंत्री हर साल फरवरी के
महीने में देश का आम बजट पेश करते हैं। पहले आम बजट फरवरी के अंतिम दिन यानी 28 या 29 फरवरी को आता था। पिछले साल से
आम बजट एक फरवरी को पेश करने की परंपरा शुरु हुई। लेकिन यह जानकर आपको हैरानी होगी
कि देश के संविधान में ‘बजट’ शब्द का जिक्र ही नहीं है।
दरअसल संविधान में कहा गया है कि सरकार हर साल संसद के समक्ष अपना ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ पेश करेगी। इसके ही लोकप्रिय
भाषा में बजट कहा जाता है।
भारतीय
संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत केंद्र सरकार को हर साल संसद के दोनों सदनों के समक्ष
सालाना वित्तीय विवरण रखना चाहिए। वार्षिक वित्तीय विवरण में तीन अलग अलग भागों
में सरकार की आमदनी और खर्च का ब्यौरा होता है। ये तीन हैं: (1) भारत की संचित निधि (2) भारत की आपात निधि (3) लोक लेखा। वैसे संसद के वित्तीय
कामकाज में मुख्यतौर पर आम बजट, अनुदान की मांगें, लेखानुदान, अनुदान की पूरक मांगें, विनियोग विधेयक और वित्त विधेयक
हैं।
अब नहीं आता रेल बजट
पहले
केंद्र सरकार का बजट दो हिस्सों में संसद में पेश किया जाता था। रेल बजट व आम बजट।
रेल बजट सामान्यत: आम बजट से दो दिन पूर्व पेश किया जाता था। हालांकि पिछली बार से
सरकार ने रेल बजट को आम बजट में ही समाहित कर दिया है। इस तरह अब अलग से रेल बजट
पेश नहीं होता है। अंतिम रेल बजट पेश करने वाले रेल मंत्री सुरेश प्रभु हैं।
संविधान
के प्रावधानों के अनुरूप 31 मार्च से पहले अनुदान की मांगें पारित हो जानी चाहिए ताकि नये
वित्त वर्ष में संचित निधि से धन निकालने में दिक्कत न आये। इसके अलावा आम बजट में
कर प्रस्ताव पेश होने के 75 दिन के भीतर वित्त विधेयक पारित हो जाना चाहिए।
भारतीय संविधान में आम बजट के संबंध में जो प्रावधान हैं वे इस प्रकार हैं -
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अनुच्छेद 112: वार्षिक वित्तीय
विवरण। इसमें सालाना आय-व्यय का लेखा जोखा होना चाहिए।
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अनुच्छेद 113: इसके मुताबिक जो खर्च
सीधे भारत की संचित निधि से होने हैं उन पर संसद में मतदान की जरुरत नहीं होती।
बाकी अन्य खर्च को संसद की मंजूरी जरुरी है।
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अनुच्छेद 114: अनुच्छेद 113 के तहत अनुदान की मांग पारित होने के
बाद विनियोग विधियेक लोक सभा में पेश किया जाता है। इसके पारित होने के बाद ही
सरकार संचित निधि से पैसा निकाल सकती है।
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अनुच्छेद 115: इसमें अनुदान की पूरक
मांगों की व्यवस्था दी गयी है। अगर विनियोग के जरिये निकाली गयी राशि किसी कार्य
के लिए पर्याप्त नहीं है तो सरकार पूरक मांगें संसद के समक्ष रखती है।
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अनुच्छेद 116: इसमें लेखानुदान का
जिक्र है। सरकार किसी वित्तीय वर्ष का पूर्ण बजट आने से पहले एडवांस में अनुदान
लेती है।
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अनुच्छेद 117: वित्त विधेयक को
राष्ट्रपति की सिफारिश मिलने पर सिर्फ लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है।
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अनुच्छेद 265: कानून के प्राधिकार
के बिना कोई भी टैक्स नहीं लगाया जा सकता।
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अनुच्छेद 266: इसमें भारत की संचित
निधि और लोकलेखा का जिक्र किया गया है। भारत सरकार जो भी राजस्व प्राप्त करती है, लोन लेती है या लोन की अदायगी प्राप्त
करती है, वह पूरा धन इस निधि में जमा होना चाहिए।
ऐसी ही निधि राज्यों के लिए होती है। इस निधि में से एक भी पैसा विनियोग के बिना
नहीं निकाला जा सकता।
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