Wednesday, January 31, 2018

सामाजिक न्याय और आधुनिक बिहार के पुरोधा थे 'बिहार केसरी' श्रीबाबू

श्रीकृष्ण सिंह

जन्म 21 अक्टूबर 1887
निधन 31 जनवरी 1961
श्रीबाबू छात्र जीवन से क्रांतिकारी श्रीअरविंद के आलेखों तथा लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के उद्गारों से अत्यंत प्रभावित थे. महात्मा गांधी से उनकी पहली मुलाकात 1911 में हुई और वह बापू के अनुयायी हो गए.
'बिहार केसरी' और 'श्रीबाबू' के नाम से ख्याति प्राप्त श्रीकृष्ण सिंह का जन्म 21 अक्टूबर, 1887 को बिहार के मुंगेर ज़िले में हुआ था. वो दो जनवरी, 1946 से अपने निधन 31 जनवरी 1961 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे.

बिहार में श्रीबाबू को सामाजिक सुधार और न्याय का पुरोधा माना जाता है. उनके मुख्यमंत्री रहते बिहार भारत का पहला राज्य था, जहां सबसे पहले ज़मींदारी प्रथा का उन्मूलन किया गया था. वो बिहार के सीएम होने के साथ ही एक प्रसिद्ध अधिवक्ता भी थे.

श्रीकृष्ण सिंह बचपन से ही काफी मेधावी थे. उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से एम.ए. और क़ानून की डिग्री ली फिर अपने गृह नगर मुंगेर में ही वकालत की शुरूआत की. श्रीबाबू छात्र जीवन से क्रांतिकारी श्रीअरविंद के आलेखों तथा लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के उद्गारों से अत्यंत प्रभावित थे. महात्मा गांधी से उनकी पहली मुलाकात 1911 में हुई और उनके विचारों से प्रेरित होकर ये उनके अनुयायी बन गए.

असहयोग आंदोलन के दौरान ही उन्होंने गांधीजी के आह्वान पर काफी चलती वकालत छोड़ दी, इसके बाद उन्होंने अपना सारा जीवन सामाजिक काम में लगाया. आंदोलन के दौरान ही वो साइमन कमीशन के बहिष्कार और नमक सत्याग्रह में भाग लेने पर गिरफ्तार करने के बाद जेल भी भेजे गए थे.
श्रीकृष्ण सिंह साल 1937 में केन्द्रीय असेम्बली और बिहार असेम्बली के भी सदस्य चुने गए थे. 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह के लिए गांधीजी ने उन्हें बिहार का प्रथम सत्याग्रही नियुक्त किया था. श्रीबाबू 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में जेल में भी बंद रहे थे.

पटना विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ़ लॉ की उपाधि से सम्मानित श्रीबाबू को अगर सामाजिक न्याय और सुधार का पुरोधा माना जाता है तो आधुनिक बिहार का प्रणेता भी माना जाता है. दुनिया में उस दौरान सबसे बड़े एडमिनिस्ट्रेशन एक्सपर्ट माने जाने वाले शख्स एपेल्वी को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने खासकर राज्य सरकार के कार्यकलापों का निष्पक्ष मूल्यांकन करने के लिए बुलाया था. श्री एपेल्वी ने तब बिहार को सर्वश्रेष्ठ प्रशासित राज्य घोषित किया था.

श्रीबाबू के कार्यकाल में बिहार में जहां जमींदारी प्रथा समाप्त हुई, वहीं उनके कार्यकाल में बिहार में एशिया का सबसे बड़ा इंजीनइरिंग उद्योग, हैवी इंजीनीयरिंग कॉरपोरेशन, भारत का सबसे बड़ा बोकारो इस्पात प्लांट, देश का पहला खाद कारखाना सिंदरी में, बरौनी रिफाइनरी, बरौनी थर्मल पॉवर प्लांट, पतरातू थर्मल पॉवर प्लांट, मैथन हाइडेल पावर स्टेशन एवं कई अन्य नदी घाटी परियोजनाएं स्थापित किया गया.


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