अध्यापकों के काम में हस्तक्षेप करने से रोक
फर्जी प्रमाणपत्र पर प्राथमिक शिक्षकों के नौकरी करने का मामला
कोर्ट ने विभाग को दिया बर्खास्तगी की प्रक्रिया जारी रखने का निर्देश
इलाहाबाद
सूबे के विभिन्न प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में काम कर रहे ऐसे अध्यापक जिनकी बीएड की डिग्री फर्जी पाई गई है, फिलहाल वे काम करते रहेंगे। हाईकोर्ट ने ऐसे अध्यापकों के काम में हस्तक्षेप करने से रोक लगाते हुए अध्यापकों को नियमित वेतन भी देने का निर्देश दिया है। हालांकि, कोर्ट ने विभाग से कहा है कि वह दोषी पाए गए अध्यापकों की बर्खास्तगी की प्रक्रिया को जारी रख सकता है।
शानिली और पांच अन्य अध्यापकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने यह आदेश दिया। याचीगण का कहना है कि वह प्रदेश के विभिन्न परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पद पर काम कर हैं। सत्र 2004-05 में आगरा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित बीएड परीक्षा में फर्जी मार्कशीट और प्रमाणपत्र जारी करने की शिकायत पर एसआईटी ने जांच की और जांच रिपोर्ट के आधार पर बेसिक शिक्षा विभाग ने उनको नोटिस जारी कर बर्खास्तगी की कार्रवाई कर रहा है। याचीगण का कहना था कि वह नियमित रूप से चयनित अध्यापक हैं और उनकी बर्खास्तगी की कार्रवाई यूपी बेसिक एजूकेशन स्टॉफ सर्विस रूल्स और यूपी गर्वनमेंट सर्विस पनिशमेंट एंड अपील नियमावली के तहत ही की जा सकती है। उनको जारी किया गया नोटिस कानूनी रूप से सही नहीं है। कोर्ट ने अध्यापकों के काम में हस्तक्षेप करने से रोक लगाते हुए विभागीय कार्यवाही जारी रखने की छूट दी है। इससे पूर्व भी कोर्ट ने सूर्यवती और 152 अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर अध्यापकों के काम में हस्तक्षेप करने पर रोक लगा दी थी।
फर्जी प्रमाणपत्र पर प्राथमिक शिक्षकों के नौकरी करने का मामला
कोर्ट ने विभाग को दिया बर्खास्तगी की प्रक्रिया जारी रखने का निर्देश
इलाहाबाद
सूबे के विभिन्न प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में काम कर रहे ऐसे अध्यापक जिनकी बीएड की डिग्री फर्जी पाई गई है, फिलहाल वे काम करते रहेंगे। हाईकोर्ट ने ऐसे अध्यापकों के काम में हस्तक्षेप करने से रोक लगाते हुए अध्यापकों को नियमित वेतन भी देने का निर्देश दिया है। हालांकि, कोर्ट ने विभाग से कहा है कि वह दोषी पाए गए अध्यापकों की बर्खास्तगी की प्रक्रिया को जारी रख सकता है।
शानिली और पांच अन्य अध्यापकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने यह आदेश दिया। याचीगण का कहना है कि वह प्रदेश के विभिन्न परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पद पर काम कर हैं। सत्र 2004-05 में आगरा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित बीएड परीक्षा में फर्जी मार्कशीट और प्रमाणपत्र जारी करने की शिकायत पर एसआईटी ने जांच की और जांच रिपोर्ट के आधार पर बेसिक शिक्षा विभाग ने उनको नोटिस जारी कर बर्खास्तगी की कार्रवाई कर रहा है। याचीगण का कहना था कि वह नियमित रूप से चयनित अध्यापक हैं और उनकी बर्खास्तगी की कार्रवाई यूपी बेसिक एजूकेशन स्टॉफ सर्विस रूल्स और यूपी गर्वनमेंट सर्विस पनिशमेंट एंड अपील नियमावली के तहत ही की जा सकती है। उनको जारी किया गया नोटिस कानूनी रूप से सही नहीं है। कोर्ट ने अध्यापकों के काम में हस्तक्षेप करने से रोक लगाते हुए विभागीय कार्यवाही जारी रखने की छूट दी है। इससे पूर्व भी कोर्ट ने सूर्यवती और 152 अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर अध्यापकों के काम में हस्तक्षेप करने पर रोक लगा दी थी।