Sunday, May 30, 2021

Umashankar Dikshit


उमाशंकर दीक्षित

12 जनवरी, 1901 - 30 मई, 1991

उमाशंकर दीक्षित 'भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन' के पुरोधा एवं मानवता के पुजारी और राष्ट्रवाद के अग्रदूत थे। उन्होंने भारत में उन्नाव के नाम का गौरव बढ़ाया। उमाशंकर दीक्षित ने केंद्रीय गृहमंत्री व राज्यपाल जैसे महत्त्वपूर्ण पदों पर रहकर स्वयं के हित लाभ को त्याग कर राष्ट्र की सच्ची सेवा की और उसके लिए सदैव समर्पित रहे। तमाम व्यस्तता के बाद भी वे लोगों से परिवार की तरह मिलते थे। वे कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे थे।
उमाशंकर दीक्षित जी का जन्म 12 जनवरी, 1901 ई. को उन्नावउत्तर प्रदेश मे हुआ था इनके पिता का नाम राम सरूप तथा माता का नाम शिव प्यारी देवी था। इनके एकमात्र पुत्र का नाम विनोद दीक्षित था। इन्होंने स्वतंत्रता सेनानी के रूप मे 'असहयोग आन्दोलन' में भाग लिया। गणेश शंकर विद्यार्थी के सहयोगी थे। इनके जीवन पर स्वामी विवेकानन्द, रामतीर्थ और गांधीजी के विचारों का गहरा प्रभाव था।

जब उमाशंकर दीक्षित बी.ए. प्रथम वर्ष के छात्र थे, तभी 'असहयोग आन्दोलन' में सम्मिलित हो गए थे। वे गणेश शंकर विद्यार्थी के सहयोगी थे। उन जीवन पर स्वामी विवेकानन्द, रामतीर्थ और गांधीजी के विचारों का गहरा प्रभाव था। जेल यात्राओं में स्वाध्याय से उन्होंने विविध विषयों का पर्याप्त ज्ञान प्राप्त कर लिया था। मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू से उनका निकट का सम्बन्ध था।

उमाशंकर दीक्षित कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य और कोषाध्यक्ष थे। वे कुछ वर्षों तक 'नेशनल हेराल्ड' आदि पत्रों के प्रबंध संचालक भी रहे थे। तदुपरान्त वे राज्य सभा के सदस्य चुन लिए गए। उनको केंद्र सरकार में नगर निर्माण, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, यातायात और गृहमंत्री का पदभार सौंपा गया। उमाशंकर दीक्षित जी पहली बार 26/04/1961 से 02/04/1964 तक तथा 03/04/1964 से 02/04/1970 तक दूसरी बार तथा 03/04/1970 से 02/04/1976 तक तीसरी बार राज्यसभा सदस्य रहे।

कर्नाटक के राज्यपाल - 1976 से 1977 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल - 1984 से 1986 तक

उमाशंकर दीक्षित का निधन 90 वर्ष की आयु में 30 मई, 1991 को नई दिल्ली में हुआ।

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