मोहित मोहन मोइत्रा पाबना ( अब बांगलादेश) के रहने वाले थे। उनका जन्म नतून भारेंगा में हेमचंद मोइत्रा के घर हुआ था। उनका संबंध युगान्तर पार्टी (रंगपुर समूह ) से था।
मोहित की कोलकाता में 2 फरवरी 1932 को आर्म्स एक्ट में गिरफ्तारी हुई। पुलिस ने उनके घर से रिवाल्वर और विस्फोटक सामग्री बरामद की थी। अदालत में पेशी हुई। उनका अपराध कम आंका गया इसलिए उन्हें पांच साल की सजा का ऐलान हुआ। पर उन्हें भी कालेपानी के लिए रवाना कर दिया गया। 1932 में ही वे सेल्युलर जेल लाए गए।
पर युवा मोहित मोहन ने 1933 में जेल में हो रहे जुल्म के खिलाफ महावीर सिंह के साथ ही भूख हड़ताल शुरू कर की। कई दिनों तक कुछ नहीं खाया तो 28 मई 1933 को उन्हे जेल अधिकारियों ने बर्बरतापूर्वक भोजन देने की कोशिश की। पर उन्होंने अन्न का निवाला नहीं लिया। इस जोर जबर के दौरान ही उनकी मौत हो गई।