Wednesday, April 15, 2020

मार्शल ऑफ द एयर फोर्स अर्जन सिंह

अर्जन सिंह
16 अप्रॅल1919 - 16 सितम्बर2017
अर्जन सिंह  भारतीय वायु सेना के सबसे वरिष्ठ और पांच सितारा वाले रैंक तक पहुँचने वाले एकमात्र मार्शल थे। उन्हें 2002 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर मार्शल रैंक से सम्मानित किया गया था। अर्जन सिंह को 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है। उन्हें 44 साल की उम्र में ही भारतीय वायु सेना का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसे उन्होंने शानदार तरीके से निभाया। अलग-अलग तरह के 60 से भी ज्यादा विमान उड़ाने वाले अर्जन सिंह ने भारतीय वायु सेना को दुनिया की सबसे शक्तिशाली वायु सेनाओं में से एक बनाने और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।
अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल, 1919 को पंजाब के लायलपुर (अब फैसलाबाद, पाकिस्तान) में ब्रिटिशकालीन भारत के एक प्रतिष्ठित सैन्य परिवार हुआ था। उनके पिता रिसालदार थे। वे एक डिवीजन कमांडर के एडीसी के रूप में सेवा प्रदान करते थे। उनके दादा रिसालदार मेजर हुकम सिंह सन 1883 और 1917 के बीच कैवलरी से संबंधित थे। उनके दादा, नायब रिसालदार सुल्ताना सिंह, 1854 में मार्गदर्शिका कैवलरी की पहली दो पीढ़ियों में शामिल थे। वे सन 1879 के अफ़ग़ान अभियान के दौरान शहीद हुए थे। अर्जन सिंह मांटगोमरी (अब पाकिस्तान में) में शिक्षित थे। उन्होंने 1938 में आरएएफ कॉलेज क्रैनवेल में प्रवेश किया और दिसंबर1939 में एक पायलट अधिकारी के रूप में नियुक्ति पाई। इसके बाद सन 1944 में उन्होंने भारतीय वायु सेना की नंबर 1 स्क्वाड्रन का अराकन अभियान के दौरान नेतृत्व किया।
  • मार्शल रैंक फ़ील्ड मार्शल के बराबर होता है, जो केवल थल सेना के अफ़सरों को दिया जाता रहा था। के. एम. करियप्पा और सेम मानेकशॉ दो ऐसे थल सेना के जनरल थे, जिन्हें फ़ील्ड मार्शल बनाया गया था। अर्जन सिंह वायु सेना और ग़ैर थल सेना के ऐसे पहले अफ़सर थे, जिन्हें मार्शल का रैंक दिया गया था।
  • देश जब 15 अगस्त1947 को स्वतंत्र हुआ, तब अर्जन सिंह को 100 भारतीय वायु सेना के उन विमानों का नेतृत्व करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी, जो दिल्ली और लाल क़िले के ऊपर से गुज़रे थे।
  • 1 अगस्त1964 को 45 साल की उम्र में अर्जन सिंह भारतीय वायु सेना के प्रमुख बने और वे ऐसे पहले वायु सेना प्रमुख थे, जिन्होंने चीफ़ ऑफ़ एयर स्टाफ़ यानी प्रमुख रहते हुए भी वे विमान उड़ाते रहे और अपनी फ्लाइंग कैटिगरी को बरकार रखा।
  • अर्जन सिंह केवल निडर पायलट थे, बल्कि उन्हें वायु सेना की गहरी जानकारी थी। पाकिस्तान के खिलाफ 1965 में हुई लड़ाई में अर्जन सिंह ने भारतीय वायु सेना की कमान संभाली और पाकिस्तानी वायु सेना को जीत हासिल नहीं करने दी, जबकि अमेरिकी सहयोग के कारण पाकिस्तानी वायु सेना बेहतर सुसज्जित थी।
14 अप्रैल 2016 को मार्शल के 97 वें जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए तत्कालीन चीफ ऑफ एअर स्टाफ एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने घोषणा की थी कि पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में भारतीय वायु सेना स्टेशन का नाम अर्जन सिंह के नाम पर होगा। उनकी सेवा के सम्मान में अब ये वायु सेना स्टेशनअर्जन सिंह स्टेशन कहलाएगा।

16 सितम्बर 2017 को सिंह को जबर्दस्त हृदयाघात हुआ उन्हें तुरन्त दिल्ली के आर्मी रिसर्च एण्ड रेफ़रल अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उनकी हालात अत्यन्त गम्भीर बतायी। उसी शाम 07:47 (भारतीय मानक समय अनुसार) उन्होंने अस्पताल में ही अपनी अन्तिम सांस ली।

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