अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है। यह बंगाल
की खाड़ी के दक्षिण में हिन्द
महासागर में स्थित है। अंडमान एवं निकोबार लगभग 300 छोटे
बड़े द्वीपों का समूह है, जिसमें कुछ ही द्वीपों पर आबादी
है। यहाँ की राजधानी पोर्ट
ब्लेयर है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों का संघ राज्य क्षेत्र 6° और 14° उत्तरी अक्षांश और 92°
तथा 94° पूर्वी देशांश के बीच स्थित है। ये द्वीप 10° उत्तरी अक्षांश पर स्थित हैं जिसे अंडमान द्वीप समूह कहते हैं जबकि 10° उत्तरी अक्षांश पर स्थित दक्षिणी द्वीप को निकोबार द्वीप समूह कहते हैं।
इन द्वीपसमूहों का मौसम नम, उष्ण कटिबंधीय तटीय मौसम है। इन
द्वीपों में दक्षिणी पश्चिमी और उत्तरी पूर्वी मानसून से वर्षा होती है। यहाँ मई माह से दिसंबर माह के बीच अधिकतम वर्षा होती है।
अंडमान मलयालम भाषा के हांदुमन शब्द से आया है जो हिन्दुओं के भगवान हनुमान शब्द का परिवर्तित
रूप है। निकोबार शब्द भी इसी भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है- नग्न लोगों
की भूमि। बंगाल की खाड़ी में
बसा निर्मल और शांत अंडमान पर्यटकों के मन को असीम आनंद की अनुभूति कराता है। यह भारत का एक लोकप्रिय द्वीप
समूह है।
अंडमान में मूंगा
भित्ति, सुन्दर
सागर तट, यादों से जुड़े खंडहर और विभिन्न दुर्लभ वनस्पतियां
हैं। एक से एक बढ़कर, यहाँ पर कुल 572 द्वीप
हैं। अंडमान द्वीप का 86 प्रतिशत क्षेत्रफल वन संपदा से ढका
हुआ है। समुद्री जीव और जैव वनस्पतियों, इतिहास और जल सम्बन्धी
खेलों में रुचि रखने वाले पर्यटकों को यह द्वीप बहुत पसंद आता है।
इस द्वीप समूह पर 17 वीं सदी में मराठों द्वारा अधिकार किया गया था। मराठों के बाद इस पर ब्रिटिश
शासकों ने राज्य किया। दूसरे विश्वयुद्ध में इस पर जापान ने अधिकार कर लिया।
उसके बाद कुछ समय के लिये यह द्वीप नेता जी सुभाषचंद्र बोस की आज़ाद हिन्द फ़ौज की
अधीनता में भी रहा। जनरल लोकनाथन यहाँ के गवर्नर थे। 1947 में
ब्रिटिश शासन से आज़ादी के बाद यह द्वीप समूह भारत का केन्द्र शासित
प्रदेश बना।
ब्रिटिश शासन इस स्थान
का प्रयोग स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में अपनी दमन की नीति के अंतर्गत क्रांतिकारियों को भारत से दूर जेल में रखने के
लिये करता था। इसी कारण से यह आंदोलनकारियों के मध्य 'कालापानी'
के नाम से जाना जाता था। इसके लिये पोर्ट ब्लेयर में एक
अलग जेल सेल्यूलर जेल का
निर्माण किया गया जो ब्रिटिश काल में भारत के लिये साइबेरिया की
तरह माना जाता था।
30दिसम्बर, 2018 को अंडमान
के रोस, नील तथा हेवलॉक द्वीप का नाम क्रमशः नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वीप, शहीद
द्वीप तथा स्वराज द्वीप किया गया। इस नाम परिवर्तन की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 30 दिसम्बर को अंडमान की
यात्रा के दौरान की गयी। 30 दिसम्बर को नेताजी की अंडमान यात्रा के 75 वर्ष पूरे हुए।
नेताजी सर्वश्री आनंद मोहन
सहाय, कैप्टेन
रावत एडीसी तथा कर्नल डी एस राजू के साथ 29 दिसम्बर,1943
को पोर्ट ब्लेयर गये थे। नेताजी ने इंडियन नेशनल आर्मी जनरल एडी
लोगनाथन को इन द्वीपों का गवर्नर नियुक्त किया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने इन द्वीपों को अपने
नियंत्रण में ले लिया था। नेताजी ने 30 दिसम्बर, 1943
को पोर्ट ब्लेयर में झंडा फहराया
था। नेताजी मानते थे कि पोर्ट ब्लेयर ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र
होने वाला पहला क्षेत्र था। नेताजी ने अंडमान व निकोबार द्वीप का नाम शहीद और स्वराज द्वीप रखने का सुझाव दिया
था।
- अंडमान व
निकोबार द्वीप के तीन ज़िले हैं:
- उत्तर
एवं मध्य अंडमान ज़िला
- दक्षिण
अंडमान ज़िला
- निकोबार
ज़िला
इन द्वीपों के वनों में
रहने वाले मूल आदिवासी जनजातियाँ शिकार और मछली पकड़ने का काम करते हैं।
इनकी चार नेग्रीटो जनजातियां हैं:
- ग्रेट
अंडमानी
- ओंज
- जरावा
- सेंटीनेलेस, जो द्वीप समूहों के
अंडमान द्वीपसमूह में पायी जाती है और दो मंगोली जनजातियां-
- निकोबारी
- शॉम्पेन्स
, जो द्वीप समूह के
निकोबार द्वीप समूह में पाई जाती है।
7.
इस
द्वीप समूह प्रदेश में कुल 51,694.35 हेक्टेयर भूमि में खेती की जाती है। जिसमें से 8,068.71 हेक्टेयर भूमि सुनामी/भूकंप से तबाह हो गई है।
इसमें से 2,177.70 हेक्टेयर में धान व अन्य फ़सलें तथा 5,891.01 हेक्टेयर में पौधों की फ़सल नष्ट हो गई। 4206.64
हेक्टेयर खेती की भूमि स्थायी रूप से पानी में डूब गई है।
8. धान यहाँ का प्रमुख खाद्यान्न और
फ़सल है जो मुख्यत: अंडमान द्वीप समूह में उगाया जाता है। निकोबार द्वीप समूह की
मुख्य नकदी फ़सल नारियल और सुपारी है। रबी की
फ़सल में दालें,
तिलहन और सब्जियां उगाई जाती हैं
जिसके बाद धान की फ़सल बोई जाती है। यहाँ के किसान पहाडी ज़मीन पर विभिन्न प्रकार
के फल- आम,
सेपोटा, संतरा, केला, पपीता, अनान्नास और कंदमूल उगाते
हैं। यहाँ बहुफ़सल व्यवस्था के अधीन मसाले, जैसे - मिर्च, लौंग, जायफल तथा दालचीनी आदि उगाए
जाते हैं। इन द्वीपों में रबड, रेड आयल, ताड़ तथा काजू आदि भी कहीं कहीं उगाए जाते हैं।
इस द्वीप समूह प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 7,171 वर्ग किलोमीटर
भाग वनों से ढका हुआ है। इन द्वीपों पर लगभग सभी प्रकार के वन जैसे उष्णकटिबंधीय
आर्द्र सदाबहार वन, उष्णकटिबंधीय अर्द्ध सदाबहार वन,
आर्द्र पर्णपाती, गिरि शिखर पर होने वाले तथा
तटवर्ती और दलदली वन पाए जाते हैं। अंडमान निकोबार में विभिन्न प्रकार की लकडियां
पाई जाती हैं। सबसे बहुमूल्य लकडियां पाडोक तथा गरजन की होती हैं। ये अंडमान में
पायी जाती हैं, निकोबार में नहीं मिलतीं।
इन
द्वीपों में 96 वन्य
जीव अभयारण्य, नौ राष्ट्रीय पार्क तथा एक जैव संरक्षित
क्षेत्र (बायो रिजर्व केन्द्र) है।
स्तनपायी - अब तक अधिसूचित कुल 55
स्थलीय एवं 7 समुद्री स्तनपायी प्रजातियों में से 32 क्षेत्र विशेष में पाई जाती हैं।
पक्षी - इन द्वीपों में पक्षियों की 246 प्रजातियां एवं उपप्रजातियां मिलती हैं जिनमें से 99 प्रजातियां एवं उपप्रजातियां क्षेत्र विशेष में पाई जाती हैं।
सरीसृप - इस राज्य में सरीसृपों की 76 प्रजातियां पाई जाती हैं जिसमें से 24 क्षेत्र
विशेष तक सीमित हैं।
समुद्री
जीव - इन
द्वीपों के समुद्र में मछलियों की 1200 से अधिक प्रजातियां, इकाइनो डर्म की 350, घोंघा (मोलस्क) समूह की 1000 तथा अन्य सूक्ष्म
प्रजातियां पाई जाती हैं। कशेरूकी प्राणियों में मुख्यत: ड्यूगॉग, डॉल्फिन, व्हेल, खारे पानी के
घडियाल, समुद्री कछुए तथा समुद्री सर्प इत्यादि मिलते हैं।
मूंगा
एवं प्रवाल - अभी
तक 61 वर्गों के प्रवालों की 179
प्रजातियां ज्ञात हैं। पूर्वी तट पर मुख्यत: झब्बेदार (फ्रिजिंग) तथा पश्चिमी तट
पर अवरोधी (बैरियर) प्रवाल पाए जाते हैं।
इस केन्द्र शासित प्रदेश में 31 मार्च, 2007 तक 1833 लघु ग्रामीण
एवं हस्तशिल्प इकाइयां पंजीकृत थीं। झींगा मछली प्रसंस्करण के क्षेत्र में दो
इकाइयां निर्यातोन्मुख हैं। इसके अतिरिक्त सीपी एवं लकड़ी पर आधारित हस्तशिल्प
इकाइयां हैं।
परिवहन व्यवस्था
- अंडमान
और निकोबार प्रशासन का मोटर परिवहन विभाग द्वीप समूहों के उत्तरी तथा दक्षिणी
समूह के 13 स्टेशनों से संचालित होता है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के
ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्यत: परिवहन बस द्वारा होता है और यहाँ कुल 205 बसें चलाई जाती हैं। 'ए टी आर एक्सप्रेस सेवा'
के लिए कम्प्यूटरी कृत टिकट देने की प्रणाली 15 अगस्त, 2007 से कार्यान्वित की गई है, यहाँ से अग्रिम टिकट
भी प्राप्त किया जा सकता है।
- वर्ष 2007-2008 के दौरान कुल 135.88 लाख लोगों ने राज्य
परिवहन सेवा की बसों द्वारा यात्रा की और विभाग को 1075.22 लाख रु. का राजस्व प्राप्त हुआ। अत: विभाग सार्वजनिक परिवहन सेवा
प्रदान करने में उत्तरोत्तर प्रगति कर रहा है बल्कि इससे राजस्व में भी
वृद्धि हो रही है।
- मुख्य
भूमि (भारत) से यह द्वीप हवाई और समुद्री यात्रा द्वारा अच्छी तरह जुड़ा है। कोलकाता और चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर के
बीच इंडियन एयरलाइंस, डेक्कन और जेट लाइट की नियमित
उड़ानें हैं। चेन्नई, कोलकाता और विशाखापट्टनम से
यहाँ के लिए नियमित यात्री नौका सेवा की व्यवस्था है।
- इंडियन
एयरलाइन्स के विमान सप्ताह में तीन बार पोर्ट ब्लेयर से चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली और भुवनेश्वर आते जाते हैं।
हर मंगलवार, बृहस्पतिवार और शनिवार को आई ए सी के विमान
कोलकाता से पोर्ट ब्लेयर के लिए उड़ान भरते हैं।
- कोलकाता, चेन्नई और
विशाखापट्टनम से पानी के जहाज़ पोर्ट ब्लेयर जाते हैं। जाने में दो-तीन दिन
का समय लगता है। पोर्ट ब्लेयर से जहाज़ छूटने का कोई निश्चित समय नहीं है।
पर्यटन स्थल
अंडमान
और निकोबार द्वीप समूह एक पर्यावरण अनुकूल सुरक्षित पर्यटक स्थल के रूप में
प्रसिद्ध है। पर्यटक यहाँ सेल्यूलर जेल, रॉस द्वीप तथा हैवलॉक द्वीप जैसे
विशिष्ट स्थानों को देखना पसंद करते हैं। अंडमान के उष्णकटिबंधीय सदाबहार घने
वन, सुंदर रेतीले समुद्र तट, सर्पाकार
मैंग्रोव युक्त क्रीक, दुर्लभ समुद्री वनस्पतियों, जीव-जंतुओं की प्रजातियाँ तथा मूंगे यहाँ पर्यटकों को विशेष रूप से
आकर्षित करते हैं। समुद्र तट पर बने रिसार्ट्स, जल क्रीड़ा
केंद्र, पानी के साहसिक खेल, ट्रेकिंग,
आईलैंड कैंपिंग, प्रकृति के मध्य निवास (नेचर
ट्रेल) स्कूबा डाइविंग जैसे साहसिक पर्यटन यहाँ उपलब्ध हैं।
इन द्वीपों की यात्रा
करने वाले पर्यटकों के रूकने की आरामदायक व्यवस्था के लिए पर्यटन विभाग की ओर से
द्वीपों के विभिन्न भागों में विश्राम गृहों की व्यवस्था है। यहाँ के प्रमुख
पर्यटक स्थलों में नेतृत्व संग्रहालय,
समुद्री संग्रहालय, जलक्रीड़ा परिसर, गांधी पार्क उत्तरी खाड़ी (नार्थ बे), वाइपर द्वीप, रॉस आईलैंड,
चिड़िया टापू (बर्ड वाचिंग), रेडस्किन आईलैंड,
कोर्बिन्स कोव बीच तथा नील आईलैंड, हैवलॉक
आईलैंड, सिंक्बे, लघु अंडमान, डिगलीपुर (रॉस एवं स्मिथ)
इत्यादि हैं।
भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्र 'बैरन द्वीप' है। यह द्वीप लगभग 3
किमी. में फैला है। यह अण्डमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से
लगभग 500 किलोमीटर उत्तर पूर्व में 'बंगाल
की खाड़ी' में स्थित है| यहाँ
ज्वालामुखी में विस्फोट क़रीब 180 साल शान्त रहने के बाद हुए
थे। ये विस्फोट 1991, 1994-95 और 2005 में
हुए। इस विस्फोट के दौरान इसमें से 2006 तक लगातार लावा
निकलता रहा। इसे वन विभाग की आज्ञा लेने के बाद ही देखा जा सकता है।