Tuesday, March 10, 2020

इतिहास के पन्नों में 11 मार्च



इतिहास में 11 मार्च की तारीख पर जो घटनाएं दर्ज हैं उनमें से कुछ में 'पहला' शब्द जुड़ा है। 1881 में 11 मार्च को किसी भारतीय की पहली प्रतिमा को सार्वजनिक स्थान पर स्थापित किया गया था और 1948 में इसी दिन देश के प्रथम आधुनिक पोत का जलावतरण किया गया।
यह दिन इन सब घटनाओं के अलावा और भी बहुत सी महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है। उन सब का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है।

महत्वपूर्ण दिवस :- अंडमान-निकोबार दिवस

1399 - दिल्ली सहित उत्तर भारत में मारकाट मचाने के बाद तैमूर लंग ने सिन्धु नदी पार की
1689: मुगल बादशाह औरंगजेब ने शिवाजी के पुत्र संभाजी को यातनाएं देकर मौत के घाट उतारा।
1881: कलकत्ता टाउन हाल में रामनाथ टैगोर की प्रतिमा लगाई गई। यह पहला मौका था जब किसी भारतीय की प्रतिमा को सार्वजनिक स्थल पर स्थापित किया गया।
1917 - बगदाद पर ब्रिटिश फौजो ने कब्जा किया
1918 - मास्को रूस की राजधानी बनी
1935 - बैंक कनाडा का गठन किया गया
1948: देश के प्रथम पोत जल ऊषा का विशाखापत्तनम से जलावतरण। इसे उस समय आधुनिक प्रणालियों से लैस किया गया था।
1963 - सोमालिया ने ब्रिटेन के साथ राजनयिक संबंध तोड़े
1980 - प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री चन्द्रभानु गुप्त का निधन
1981 - चिली में संविधान लागू हुआ
1985: कोंस्तान्तिन चेरेंकों की मौत के बाद मिखाइल गोर्बाचेव को सोवियत संघ का सर्वोच्च नेता चुना गया।
1990: संसद में मतदान के बाद लिथुआनिया ने खुद को सोवियत संघ से स्वतंत्र घोषित किया। ऐसा करने वाला वह पहला सोवियत गणराज्य था।
1996: ईरान ने सैटेनिक वर्सेज किताब के लेखक सलमान रुश्दी के ख़िलाफ़ जारी किया गया फ़तवा वापस ले लिया।
1999 - इंफोसिस कंपनी पहली भारतीय कंपनी है जो नशदाक (NASDAQ) अंतरराष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज की सूची में आई
2004: स्पेन में तीन रेलवे स्टेशनों पर हुए बम विस्फोटों में 190 लोगों की मौत, 1200 अन्य घायल।
2008: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने यान एंडेवर को अपने अंतरिक्ष स्टेशन की ओर रवाना किया।
2011: भारत ने 350 किलोमीटर दूर तक का निशाना साधने वाली प्रक्षेपास्त्र धनुषऔर पृथ्वीका सफल परीक्षण किया।
2011: जापान में प्रशांत तट पर तोहोकू के पास समुद्र में रिक्टर पैमाने पर 9 तीव्रता के भीषण भूकंप के बाद सुनामी ने भयंकर तबाही बचाई और 15 हजार से ज्यादा लोगों की मौत के साथ ही भारी नुकसान हुआ। यह जापान के इतिहास का अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप था।

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