अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल
कलाम
15 अक्टूबर 1931 – 27 जुलाई 2015
ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम जिन्हें
मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है, भारतीय
गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति,
जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता (इंजीनियर) के रूप में विख्यात थे। अब्दुल कलाम के विचार आज भी युवा पीढ़ी
को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के
व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा
अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय
अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के
नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल
रहे। इन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों
के लिए भारत में 'मिसाइल मैन' के रूप
में जाना जाता है।
इन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु
परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के
पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक,
तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई।
कलाम सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी व विपक्षी भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों के समर्थन के साथ 2002
में भारत के राष्ट्रपति चुने गए। पांच वर्ष की अवधि की
सेवा के बाद, वह शिक्षा, लेखन और
सार्वजनिक सेवा के अपने नागरिक जीवन में लौट आए। इन्होंने भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त
किये।
15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्ग
मुस्लिम परिवार में इनका जन्म हुआ।[8] इनके पिता जैनुलाब्दीन न
तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे।[9] इनके पिता मछुआरों को नाव
किराये पर दिया करते थे। अब्दुल कलाम संयुक्त परिवार में रहते थे। परिवार की सदस्य
संख्या का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यह स्वयं पाँच भाई एवं पाँच बहन
थे और घर में तीन परिवार रहा करते थे। अब्दुल कलाम के जीवन पर
इनके पिता का बहुत प्रभाव रहा। वे भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उनकी लगन और उनके दिए संस्कार अब्दुल कलाम के बहुत काम आए। पाँच वर्ष की अवस्था में
रामेश्वरम की पंचायत के प्राथमिक विद्यालय में उनका दीक्षा-संस्कार हुआ था। उनके
शिक्षक इयादुराई सोलोमन ने उनसे कहा था कि जीवन मे
सफलता तथा अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए तीव्र इच्छा, आस्था,
अपेक्षा इन तीन शक्तियो को भलीभाँति समझ लेना और उन पर प्रभुत्व
स्थापित करना चाहिए। पांचवी कक्षा में पढ़ते समय
उनके अध्यापक उन्हें पक्षी के उड़ने के तरीके की जानकारी दे रहे थे, लेकिन जब छात्रों को समझ नही आया तो अध्यापक उनको समुद्र तट ले गए जहाँ
उड़ते हुए पक्षियों को दिखाकर अच्छे से समझाया, इन्ही
पक्षियों को देखकर कलाम ने तय कर लिया कि उनको भविष्य में विमान विज्ञान में ही
जाना है। कलाम के गणित के अध्यापक सुबह ट्यूशन लेते थे इसलिए वह सुबह 4 बजे गणित की ट्यूशन पढ़ने जाते थे।
अब्दुल कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए
अख़बार वितरित करने का कार्य भी किया था। कलाम ने 1950 में मद्रास
इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। स्नातक होने के बाद उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिये भारतीय
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया। 1962 में वे भारतीय
अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आये जहाँ उन्होंने
सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी भूमिका निभाई। परियोजना निदेशक के रूप में
भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह
प्रक्षेपण यान एसएलवी 3 के
निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे जुलाई 1982 में रोहिणी
उपग्रह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था।
1972 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान
संगठन से जुड़े। अब्दुल कलाम को परियोजना महानिदेशक के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र
बनाने का श्रेय हासिल हुआ। 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह
को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था। इस प्रकार भारत भी अंतर्राष्ट्रीय
अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गये। इसरो लॉन्च व्हीकल
प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है। कलाम ने
स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया।
इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। कलाम जुलाई 1992
से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान
सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव थे। उन्होंने रणनीतिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया। इसी प्रकार पोखरण में दूसरी बार परमाणु परीक्षण भी
परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया। इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की
क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की। कलाम ने भारत के विकासस्तर को 2020
तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच
प्रदान की।[8] यह भारत सरकार के मुख्य
वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। 1982 में वे भारतीय
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक
के तौर पर आये और उन्होंने अपना सारा ध्यान "गाइडेड मिसाइल" के विकास पर
केन्द्रित किया। अग्नि मिसाइल और पृथ्वी
मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय काफी कुछ उन्हीं को
है। जुलाई 1992 में वे भारतीय
रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त
हुये। उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।
राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। इन्हें भारतीय जनता
पार्टी समर्थित एन॰डी॰ए॰ घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था जिसका वामदलों के
अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया। 18 जुलाई 2002 को
कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति चुना गया था और इन्हें 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई। इस संक्षिप्त समारोह में
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य
तथा अधिकारीगण उपस्थित थे। इनका कार्याकाल 25 जुलाई 2007
को समाप्त हुआ। अब्दुल कलाम व्यक्तिगत
ज़िन्दगी में बेहद अनुशासनप्रिय थे। यह शाकाहारी थे। इन्होंने अपनी जीवनी विंग्स ऑफ़ फायर भारतीय युवाओं
को मार्गदर्शन प्रदान करने वाले अंदाज में लिखी है। इनकी दूसरी पुस्तक 'गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ़ द पर्पज ऑफ़ लाइफ' आत्मिक
विचारों को उद्घाटित करती है इन्होंने तमिल भाषा में कविताऐं भी लिखी हैं। यह भी ज्ञात हुआ है कि
दक्षिणी कोरिया में इनकी पुस्तकों की काफ़ी माँग है और वहाँ इन्हें बहुत अधिक पसंद
किया जाता है।
यूं तो अब्दुल कलाम राजनीतिक क्षेत्र
के व्यक्ति नहीं थे लेकिन राष्ट्रवादी सोच और राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की
कल्याण संबंधी नीतियों के कारण इन्हें कुछ हद तक राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न माना
जा सकता है। इन्होंने अपनी पुस्तक इण्डिया 2020 में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। यह
भारत को अंतरिक्ष
विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनते देखना चाहते थे और इसके लिए
इनके पास एक कार्य योजना भी थी। परमाणु हथियारों के क्षेत्र में यह भारत को सुपर
पॉवर बनाने की बात सोचते रहे थे। वह विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भी तकनीकी
विकास चाहते थे। कलाम का कहना था कि 'सॉफ़्टवेयर' का क्षेत्र सभी वर्जनाओं से मुक्त होना चाहिए ताकि अधिकाधिक लोग इसकी
उपयोगिता से लाभांवित हो सकें। ऐसे में सूचना तकनीक का तीव्र गति से विकास हो
सकेगा। वैसे इनके विचार शांति और हथियारों को लेकर विवादास्पद हैं।
राष्ट्रपति दायित्व से मुक्ति के बाद
कार्यालय छोड़ने के बाद, कलाम भारतीय
प्रबंधन संस्थान शिलोंग, भारतीय
प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद, भारतीय
प्रबंधन संस्थान इंदौर व भारतीय
विज्ञान संस्थान,बैंगलोर के मानद फैलो, व एक विजिटिंग प्रोफेसर बन गए।भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम के कुलाधिपति, अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और भारत भर में कई अन्य शैक्षणिक
और अनुसंधान संस्थानों में सहायक बन गए। उन्होंने बनारस
हिंदू विश्वविद्यालय और अन्ना विश्वविद्यालय में
सूचना प्रौद्योगिकी, और अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पढ़ाया।
मई 2012 में, कलाम ने
भारत के युवाओं के लिए एक कार्यक्रम ,भ्रष्टाचार को हराने के
एक केंद्रीय विषय के साथ, "मैं आंदोलन को क्या दे सकता
हूँ" का शुभारंभ किया।उन्होंने यहाँ तमिल कविता लिखने और वेन्नई नामक दक्षिण भारतीय स्ट्रिंग वाद्य यंत्र को बजाने का भी आनंद लिया।
कलाम कर्नाटक भक्ति संगीत हर दिन सुनते थे और हिंदू संस्कृति में विश्वास करते थे। इन्हें 2003 व 2006 में "एमटीवी यूथ आइकन ऑफ़ द इयर"
के लिए नामांकित किया गया था।
2011 में आई हिंदी फिल्म आई एम कलाम में, एक गरीब लेकिन उज्ज्वल बच्चे पर कलाम के
सकारात्मक प्रभाव को चित्रित किया गया। उनके सम्मान में वह बच्चा छोटू जो एक राजस्थानी लड़का है खुद का नाम बदल कर कलाम रख लेता है। 2011 में, कलाम की कुडनकुलम
परमाणु संयंत्र पर अपने रुख से नागरिक समूहों
द्वारा आलोचना की गई। इन्होंने ऊर्जा संयंत्र की स्थापना का समर्थन किया। इन पर
स्थानीय लोगों के साथ बात नहीं करने का आरोप लगाया गया।
इन्हें एक समर्थ परमाणु वैज्ञानिक होने के लिए जाना
जाता है पर संयंत्र की सुरक्षा सुविधाओं के बारे में इनके द्वारा उपलब्ध कराए गए
आश्वासनों से नाखुश प्रदर्शनकारी इनके प्रति शत्रुतापूर्ण थे।[25]
27 जुलाई 2015 की
शाम अब्दुल कलाम भारतीय
प्रबंधन संस्थान शिलोंग में 'रहने
योग्य ग्रह' पर एक व्याख्यान दे रहे थे जब उन्हें जोरदार कार्डियक अरेस्ट (दिल का
दौरा) हुआ और ये बेहोश हो कर गिर पड़े। लगभग 6:30 बजे गंभीर हालत में इन्हें बेथानी अस्पताल में आईसीयू में ले जाया गया और
दो घंटे के बाद इनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी गई।अस्पताल के सीईओ जॉन साइलो ने
बताया कि जब कलाम को अस्पताल लाया गया तब उनकी नब्ज और ब्लड प्रेशर साथ छोड़ चुके
थे। अपने निधन से लगभग 9 घण्टे पहले ही उन्होंने ट्वीट करके
बताया था कि वह शिलोंग आईआईएम में लेक्चर के लिए जा रहे हैं।
कलाम अक्टूबर 2015 में 84 साल के
होने वाले थे। मेघालय के राज्यपाल वी॰ षडमुखनाथन; अब्दुल कलाम के हॉस्पिटल में प्रवेश की खबर सुनते ही सीधे अस्पताल में
पहुँच गए। बाद में षडमुखनाथन ने बताया कि कलाम को बचाने की चिकित्सा दल की कोशिशों
के बाद भी शाम 7:45 पर उनका निधन हो गया।
कलाम अपने व्यक्तिगत जीवन में पूरी
तरह अनुशासन का पालन करने वालों
में से थे। ऐसा कहा जाता है कि वे क़ुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते
थे। कलाम ने कई स्थानों पर
उल्लेख किया है कि वे तिरुक्कुरल का भी अनुसरण करते हैं,
उनके भाषणों में कम से कम एक कुरल का उल्लेख अवश्य रहता था। राजनीतिक स्तर पर कलाम की
चाहत थी कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका विस्तार हो और भारत ज्यादा से
ज्यादा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाये। भारत को महाशक्ति बनने की दिशा में कदम
बढाते देखना उनकी दिली चाहत थी। उन्होंने कई प्रेरणास्पद पुस्तकों की भी रचना की
थी और वे तकनीक को भारत के जनसाधारण तक पहुँचाने की हमेशा वक़ालत करते रहते थे। बच्चों
और युवाओं के बीच डाक्टर क़लाम अत्यधिक लोकप्रिय थे। वह भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
संस्थान के कुलपति भी थे। वे सदाय स्मित करते थे चाहे वो दफतर का नौकर ही क्यूँ न
हो। वे जीवनभर शाकाहारी रहे।
कलाम ने साहित्यिक रूप से भी अपने विचारों को चार
पुस्तकों में समाहित किया है, जो इस प्रकार हैं: 'इण्डिया 2020 ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम',
'माई जर्नी' तथा 'इग्नाटिड
माइंड्स- अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया'।[6] इन पुस्तकों का कई भारतीय
तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इस प्रकार यह भारत के एक विशिष्ट
वैज्ञानिक थे, जिन्हें 40 से अधिक
विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हो चुकी है।
कलाम साहब की प्रमुख पुस्तकें
निम्नवत हैं:
चिंतनपरक रचनायें
·
इग्नाइटेड माइंडस:
अनलीशिंग द पावर विदीन इंडिया : (पेंग्विन
बुक्स, 2003)
·
इंडिया- माय-ड्रीम : (एक्सेल बुक्स,
2004)
·
एनविजनिंग अन एमपावर्ड नेशन: टेक्नालजी फार सोसायटल
ट्रांसफारमेशन : (टाटा मैक्ग्राहिल प्रकाशन,
2004)
आत्मकथात्मक रचनायें
o
विंग्स ऑफ फायर:
एन आटोबायोग्राफी ऑफ एपीजे अब्दुल कलाम : सह
लेखक - अरुण तिवारी, (ओरियेंट लांगमैन, 1999)
o
साइंटिस्ट टू प्रेसिडेंट : (ज्ञान
पब्लिशिंग हाउस, 2003)
o
माय जर्नी (मेरी जीवनयात्रा), प्रभात पेपरबैक्स, नयी दिल्ली
·
कलाम के 79 वें जन्मदिन को संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया
गया था। इसके आलावा उन्हें लगभग
चालीस विश्वविद्यालयों द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्रदान की गयी थीं भारत सरकार द्वारा
उन्हें 1981 में पद्म भूषण और 1990 में पद्म विभूषण का सम्मान प्रदान किया गया जो उनके द्वारा इसरो और डी आर डी ओ में कार्यों
के दौरान वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिये तथा भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार के
रूप में कार्य हेतु प्रदान किया गया था
·
1997 में कलाम साहब को भारत का सर्वोच्च
नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया जो उनके वैज्ञानिक अनुसंधानों और भारत में तकनीकी के
विकास में अभूतपूर्व योगदान हेतु दिया गया था
·
वर्ष 2005 में स्विट्ज़रलैंड की सरकार ने कलाम
के स्विट्ज़रलैंड आगमन के उपलक्ष्य में 26 मई को विज्ञान दिवस घोषित किया। नेशनल स्पेस सोशायटी ने वर्ष 2013 में उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान सम्बंधित
परियोजनाओं के कुशल संचलन और प्रबंधन के लिये वॉन
ब्राउन अवार्ड से पुरस्कृत किया।
सम्मान का वर्ष
|
सम्मान/पुरस्कार का नाम
|
प्रदाता संस्था
|
2014
|
डॉक्टर ऑफ़ साइन्स
|
एडिनबर्ग
विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम
|
2012
|
डॉक्टर ऑफ़ लॉज़ (मानद
उपाधि)
|
साइमन
फ़्रेज़र विश्वविद्यालय
|
2011
|
आइ॰ई॰ई॰ई॰ मानद सदस्यता
|
आइ॰ई॰ई॰ई॰
|
2010
|
डॉक्टर ऑफ इन्जीनियरिंग
|
यूनिवर्सिटी ऑफ़ वाटरलू
|
2009
|
मानद
डॉक्टरेट
|
ऑकलैंड विश्वविद्यालय
|
2009
|
हूवर
मेडल
|
ए॰एस॰एम॰ई॰ फाउण्डेशन, (सं॰रा॰अमे॰)
|
2009
|
वॉन कार्मन विंग्स अन्तर्राष्ट्रीय अवार्ड
|
कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, (सं॰रा॰अमे॰)
|
2008
|
डॉक्टर ऑफ इन्जीनियरिंग (मानद
उपाधि)
|
नानयांग टेक्नोलॉजिकल विश्वविद्यालय, सिंगापुर
|
2008
|
डॉक्टर ऑफ साइन्स (मानद
उपाधि)
|
अलीगढ़
मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़
|
2007
|
डॉक्टर ऑफ साइन्स एण्ड
टेक्नोलॉजी की मानद उपाधि
|
कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय
|
2007
|
किंग चार्ल्स II मेडल
|
रॉयल सोसायटी, यूनाइटेड
किंगडम
|
2007
|
डॉक्टर ऑफ साइन्स की
मानद उपाधि
|
वूल्वरहैंप्टन विश्वविद्यालय, यूनाईटेड
किंगडम
|
2000
|
रामानुजन पुरस्कार
|
अल्वार्स शोध संस्थान, चेन्नई
|
1998
|
वीर सावरकर पुरस्कार
|
भारत सरकार
|
1997
|
इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार
|
भारतीय
राष्ट्रीय काँग्रेस
|
1997
|
भारत रत्न
|
भारत सरकार
|
1994
|
विशिष्ट शोधार्थी
|
इंस्टीट्यूट ऑफ़ डायरेक्टर्स (इण्डिया)
|
1990
|
पद्म विभूषण
|
भारत सरकार
|
1981
|
पद्म भूषण
|
भारत सरकार
|