Wednesday, May 1, 2019

हिममानव ? जानें, कब-कब मिले निशान



भारतीय सेना ने नेपाल के हिमालयी क्षेत्र मकालू में विशालकाय प्राणी के पदचिन्ह दिखने का दावा किया है। सेना का कहना है कि ये रहस्यमयी हिममानव 'येती' के पैरों के निशान हो सकते हैं। सेना ने मंगलवार को ट्विटर पर इन पदचिन्हों की तस्वीर भी साझा की। इसके साथ ही हिममानव की मौजूदगी को लेकर वर्षों पुराना सवाल फिर चर्चा में आ गया है। सेना के एक अधिकारी ने ट्वीट कर कहा, 'हमारे पर्वतारोही अभियान दल ने गत 9 अप्रैल को मकालू बेस कैंप के पास पहली बार बर्फ की परत पर हिममानव 'येती' के पैरों के निशान देखे हैं। पैर का आकार 32 इंच लंबा और 15 इंच चौड़ा है।' तस्वीरों में भी बर्फ पर किसी विशालकाय प्राणी के पैरों के निशान दिख रहे हैं, जो मानव पैरों के जैसे हैं। 
तस्वीरें और वीडियो साझा किए  
सेना ने अपने दावे के पक्ष में कई तस्वीरें जारी की हैं। सेना का कहना है कि उसके पास इस जगह का वीडियो भी है। इन तस्वीरों और वीडियो को संबंधित विशेषज्ञों के पास भी भेजा गया है, ताकि इनका अध्ययन और विश्लेषण किया जा सके। 
187 साल पहले हुआ था जिक्र 
वर्ष 1832 में सबसे पहले हिममानव चर्चा में आया था। पर्वतारोही बी.एच. होजशन ने बंगाल की एशियाटिक सोसायटी के जर्नल के माध्यम से 'येती' के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने कहना था कि जब वह हिमालय की ट्रेकिंग कर रहे थे, उस दौरान उन्होंने एक विशालकाय प्राणी को देखा था। 
कैसा दिखता है हिममानव 
इतिहास और पौराणिक कथाओं का हिस्सा रहे 'येती' को लेकर माना जाता है कि यह हिमालय, साइबेरिया, मध्य और पूर्वी एशिया में रहता है। यह एक विशाल वानर की तरह होता है। उसका पूरा शरीर बालों से ढका होता है। इसे भारत, नेपाल और तिब्बत के हिम क्षेत्रों में देखे जाने की चर्चा होती रही है। 
हाथों में पत्थर का औजार रखते हैं 
ऐसा माना जाता है 'येति' बर्फीले पहाड़ी इलाकों में रहता है, जहां इंसान का पहुचना मुश्किल होता है। अपने बचाव के लिए ये हाथ में पत्थर का औजार रखते हैं। इनकी आवाज भी बड़ी अजीब होती है।  
पहले भी हुई इसकी चर्चा  
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येती' दुनिया के सबसे रहस्यमयी प्राणियों में से एक है, जिसकी कहानी वर्षों पुरानी है। 
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वर्ष 1920 में भी मकालू-बारून राष्ट्रीय पार्क में इसे देखने का दावा किया गया।  
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लद्दाख के कुछ बौद्ध मठों ने इस हिममानव को देखने की बात कही है। 
कई नामों से जाना जाता है
हिमाचल प्रदेश के लोग इसे येती या मेह-तेह बुलाते हैं। जबकि, तिब्बत में इसे 'मिचे' कहा जाता है, जिसका मतलब है इंसानी भालू। कई इलाकों में इसे मिगोई, बन मांची, मिरका और कांग आदमी भी कहा जाता है।  
विशेषज्ञों का दावा 
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शोधकर्ताओं ने 'येती' को ध्रुवीय और भूरे भालू की क्रॉस ब्रीड यानी संकर नस्ल बताया है। 
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कुछ वैज्ञानिक इसे एक विशालकाय जीव मानते हैं, जो इंसानों की तरह दो पैरों पर चलता है।  
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वर्ष 2017 में वैज्ञानिकों ने हिमाचल से येती के नमूने इकट्ठे किए थे, जो जांच में भालू के नमूने पाए गए।

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