परिषदीय स्कूलों में बच्चों के स्वेटर वितरण में खेल करने वाले अफसर अब इस घपलेबाजी पर पर्दा डालने में जुटे हैं। स्वेटर वितरण में कमीशनबाजी को नकार रहे अफसरों की पोल गुरुवार को एक एनपीआरसी ने खोल दी। बुधवार को हुई एनपीआरसी की बैठक में कमीशन जमा करने का फरमान सुनाया गया था। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट से सीधे-सीधे स्वेटर वितरण का कमीशन अफसरों को भेजे जाने की बात कही गई है।
परिषदीय स्कूलों में स्वेटर वितरण के लिए 200 रुपये हर बच्चे के हिसाब से शासन ने भेजे थे। 1.29 लाख बच्चों को स्वेटर वितरित किया जाना था। अफसरों ने चुनिंदा ठेकेदारों से ही स्कूलों में स्वेटर की आपूर्ति कराई। ये स्वेटर बेहद घटिया क्वालिटी के हैं। जागरण ने फरवरी में इस घपलेबाजी को सिलसिलेवार प्रकाशित किया, तो बेसिक शिक्षा विभाग में खलबली मच गई। अफसरों ने जांच बैठाई लेकिन 44 दिन बाद भी जांच पूरी नहीं हुई। अफसर शुरू से कमीशन का खेल नकार रहे हैं। बुधवार रात नौ बजकर छह मिनट पर कुरावली क्षेत्र के लखौरा के एनपीआरसी मनोज कुमार (न्याय पंचायत संसाधन समन्वयक) ने शिक्षकों के वाट्सएप ग्रुप पर बकायदा स्वेटर वितरण का कमीशन जमा करने के लिए कहा है। बताते चलें कि पूर्व में यहां तैनात रहे एनपीआरसी हरिनारायण मिश्र को निलंबित कर मनजो कुमार को चार्ज दिया गया था। जब जागरण ने मनोज कुमार से मैसेज के बाबत बातचीत को उन्होंने पहले तो कहा कि गलती से इस ग्रुप में मैसेज चला गया। फिर बोले, कल एनपीआरसी की बैठक ब्लॉक संसाधन केंद्र पर हुई थी, वहां कमीशन जमा करने की बात हुई थी, बीस रुपये एक स्वेटर का कमीशन अफसरों को भेजा जाना है।यदि ऐसा कोई कह रहा है तो उसे निलंबित किया जाएगा। स्वेटर वितरण की जांच जागरण की खबरों पर पहले से कराई जा रही है