Wednesday, April 11, 2018

माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड को पूर्णकालिक सचिव का अब भी इंतजार : माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव के जिम्मे अतिरिक्त प्रभार

माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड को पूर्णकालिक सचिव का अब भी इंतजार
माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव के जिम्मे अतिरिक्त प्रभार
  • दोनों जगह कार्य तेज होने से भर्तियों पर पड़ेगा असर, अफसर मौन 
  • सदस्यों के सभी पदों पर नहीं हो सकीं हैं अभी तक नियुक्तियां

माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र का गठन हो गया है। भले ही अभी सदस्यों के सभी पदों पर नियुक्तियां नहीं हुई हैं लेकिन, कोरम पूरा होने से कामकाज शुरू में अब कोई बाधा नहीं है। चयन बोर्ड में अध्यक्ष व सदस्यों के साथ ही सचिव का भी पद खासा अहम है लेकिन, यह पद कार्यवाहक के तौर पर जैसे-तैसे संचालित है। शासन ने अब तक यहां पूर्णकालिक सचिव की तैनाती नहीं की है। इससे आने वाले दिनों में भर्तियां तेजी से करने में खलल पड़ना तय माना जा रहा है।
प्रदेश के अशासकीय माध्यमिक कालेजों में प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व सहायक अध्यापकों की भर्ती करने वाले चयन बोर्ड में पिछले एक साल से कामकाज ठप रहा है। पहले योगी सरकार ने यहां साक्षात्कार व नियुक्तियां रोकी और बाद में अध्यक्ष व सदस्यों के इस्तीफे के बाद बोर्ड भंग हो गया। बोर्ड भंग होने से पहले तक अपर शिक्षा निदेशक रूबी सिंह यहां सचिव के रूप में कार्यरत रहीं, शासन ने उनका तबादला अपर शिक्षा निदेशक बेसिक के पद पर कर दिया। इसके बाद कुछ दिन उप सचिव के पास इसका कार्यभार रहा। बाद में माध्यमिक शिक्षा परिषद यानि यूपी बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव को इसका अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया, तब से बोर्ड सचिव ही चयन बोर्ड का भी प्रभार देख रही हैं। अब तक बोर्ड का गठन न होने व अन्य गतिविधियां ठप होने से कोई परेशानी नहीं हुई लेकिन, अब अध्यक्ष व सदस्यों की नई टीम आने के बाद बैठक के अलावा भर्ती की लिखित परीक्षा और साक्षात्कार तेजी से होंगे। इस संबंध में नए अध्यक्ष ने संकेत भी दिए हैं। ऐसे में चयन बोर्ड में पूर्णकालिक सचिव न होने से कामकाज प्रभावित होना तय है। यूपी बोर्ड सचिव जल्द ही हाईस्कूल व इंटर का परीक्षा परिणाम को अंतिम रूप देने के लिए मुख्यालय से दूर रहेंगी। वह रिजल्ट तैयार होने के बाद ही इलाहाबाद वापस आएंगी। इस दौरान चयन बोर्ड की बैठकें व अन्य कार्य प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि चयन बोर्ड के उप सचिव नवल किशोर लंबे समय से कार्यरत हैं और कई बार सचिव का प्रभार देख चुके हैं लेकिन, अहम मसलों में नियमित सचिव की दरकार होगी। प्रतियोगी अब सचिव की तैनाती के लिए शासन से गुहार लगाने की रणनीति बना रहे हैं।

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