Friday, April 6, 2018

स्कूल पढ़ाने पर ध्यान लगाएं, वसूली पर नहीं: उपमुख्‍यमंत्री द‍िनेश शर्मा


प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा, आईटी सहित कई महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे हैं। कॉमर्स के प्रफेसर डॉ. शर्मा के निशाने पर इस समय स्कूलों में अभिभावकों से चल रही बेलगाम वसूली है। यूपी बोर्ड में नकल की कमर तोड़ने के बाद अभिभावकों से वसूली रोकने के लिए सरकार अध्यादेश ला रही है। नवभारत टाइम्स के साथ बातचीत के कुछ अंश।
Q: निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए लाया जा रहा कानून कितना प्रभावी होगा? 
A: शिक्षण संस्थान पहले समाज सेवा के लिए खुलते थे। अब धंधा हो गया है। लोगों ने इसे साइड बिजनेस बना लिया है। इसलिए इस पर नकेल कसा जाना जरूरी है। स्कूलों में जमकर व्यवसायिक गतिविधियां होती हैं। इसे रोकने की कोशिश हुई तो लोग कोर्ट से स्टे ले आए। हमने कानून में व्यवस्था की है कि स्कूलों की व्यावसायिक गतिविधियां नहीं रोकेंगे लेकिन इसका सारा मुनाफा स्कूल का मुनाफा होगा और फीस निर्धारण में इसकी भी गिनती होगी।

Q: फीस नियंत्रण के कानून अक्सर कोर्ट में जाकर दम तोड़ देते हैं। यूपी सरकार इसका क्या तोड़ निकालेगी?
A: इस कानून को तैयार करते समय हमने विभिन्न राज्यों के कानून और उनमें आई विधिक अड़चनों का अध्ययन किया है। ड्राफ्ट पर स्कूल प्रबंधन, अभिभावकों, छात्र संगठनों, सामाजिक संगठनों, विधि विशेषज्ञों सभी की राय ली है। ड्राफ्ट हमने वेबसाइट पर डाला था, जिस पर मिलीं 134 आपत्तियों का भी हमने संज्ञान लिया है। इसलिए किसी को इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

Q: शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है। आप इसे इसी सत्र से लागू करने की बात कर रहे हैं। दिक्कतें नहीं आएगी? 
A: अध्यादेश में जिस तिथि का उल्लेख हुआ है, उसी से प्रभावी होगा। एक अप्रैल से सत्र शुरू होता है और 3 अप्रैल को ही कैबिनेट से मंजूरी मिल गई। अभी 1% दाखिले भी नहीं हुए हैं। इसलिए लागू होने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। बहुत जल्द अध्यादेश अमल में भी आ जाएगा। स्कूल को पहला शुल्क तय करने का अधिकार होगा, हालांकि यह भी आय-व्यय और विकास शुल्क के अनुपात में ही तय हो सकेगा। इसके बाद होने वाली हर बढ़ोतरी की निगरानी की जाएगी। 

Q: यूपी बोर्ड परीक्षा में नकल को लेकर सख्त कदम उठाए गए, लेकिन क्या पढ़ाई की गुणवत्ता ठीक न होना इसकी वजह नहीं है? 
A: यूपी बोर्ड में नकल ने एक संगठित उद्योग का रूप ले लिया था। इसके पूरे ढांचे को हमने ध्वस्त किया है। परीक्षा छोड़ने वाले 11 लाख छात्रों में करीब 75% ऐसे थे, जो दूसरे प्रदेशों से थे। यहां तक की दुबई, बांग्लादेश तक से छात्रों के नाम पर फॉर्म भरे गए थे। परीक्षा फॉर्म को आधार से लिंक करने से इस कॉकस को पकड़ना आसान हो गया।

Q: तो छात्रों के लिए आधार वैरिफिकेशन क्या अब अनिवार्य होगा? 
A: हम 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं में इसे अनिवार्य कर रहे हैं, जिससे फर्जी परीक्षार्थी न बैठ सकें। इससे सॉल्वर बिठाने का खेल भी नहीं हो सकेगा।

Q: अंतत: सवाल तो बेहतर शिक्षण का उठता ही है? 
A: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हमारी प्राथमिकता है। इसलिए हम एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू कर रहे हैं। 14 अप्रैल से नई पुस्तकें बाजार में आ जाएंगी। सरकारी और निजी स्कूल के पाठ्यक्रमों का अंतर मिटेगा तो प्रतिस्पर्द्धा समान हो सकेगी। परीक्षा का समय भी अगले साल से घटाकर हम 15 दिन का करने जा रहे हैं। नए पाठ्यक्रम और पैटर्न के अनुसार हम अध्यापकों को भी प्रशिक्षित करेंगे।

Q: स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। इनके बिना पढ़ाई कैसे होगी? 
A: शिक्षकों के पद जल्द भरना हमारी प्राथमिकता है। राजकीय कॉलेजों के 12,609 पदों पर भर्ती एक महीने में पूरी हो जाएगी। जल्द माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का भी गठन हो जाएगा। इसके जरिए भी खाली पदों को बड़े पैमाने पर भर लिया जाएगा। हमारी कोशिश है कि मई के बाद एक भी पद खाली न रहे।

Q: विश्वविद्यालयों में शिक्षण व शोध के नाम पर पुराना ढर्रा है, नवाचार का वातावरण नहीं है? 
A: विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता और बेहतर माहौल के लिए कई पहल हुई हैं। सत्र नियमित करने में सफलता मिली है और पहली बार एक साथ सभी विश्वविद्यालयों में परीक्षाएं शुरू हुई हैं। शोधगंगा पोर्टल से सभी विश्वविद्यालयों को जोड़ा गया है, जिससे वहां की बेस्ट प्रैक्टिसेज को सबसे साझा किया जा सके। शिक्षकों की रुकी प्रोन्नतियां हो चुकी हैं। हम उप कुलसचिव और सहायक कुलसचिव की प्रोन्नति की प्रक्रिया भी शुरू कर चुके हैं। पाठ्यक्रम को वर्तमान के परिवर्तनों से सीधे संबद्ध किया गया है। इसके अच्छे परिणाम निश्चित ही देखने को मिलेंगे। 

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