निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि अब उन्हें भारी पड़ेगी। वे अब न तो मनमाने तरीके से फीस बढ़ा सकेंगे और न ही विद्यार्थियों के अभिभावकों को कॉपी-किताब, यूनीफॉर्म, जूते-मोजे व स्टेशनरी किसी दुकान विशेष से खरीदने के लिए मजबूर कर सकेंगे। पांच साल से पहले यूनीफॉर्म भी नहीं बदल पाएंगे। अधिसूचित फीस से अधिक शुल्क लेने पर स्कूल की मान्यता रद कर दी जाएगी। मनमानी फीस वृद्धि को नियंत्रित करने का कानून सोमवार से प्रदेश में लागू हो गया है।
राज्यपाल राम नाईक ने कैबिनेट से अनुमोदित ‘उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) अध्यादेश 2018’ को मंजूरी दे दी है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद सरकार ने इस बारे में अधिसूचना भी जारी कर दी है। अध्यादेश के दायरे में वे सभी मान्यताप्राप्त निजी स्कूल आएंगे जिनकी वार्षिक फीस 20 हजार रुपये से अधिक है। यह अध्यादेश उप्र बेसिक शिक्षा परिषद, उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद, सीबीएसई, आइसीएसई, इंटरनेशनल बेक्कलॉरेट, इंटरनेशनल जनरल सार्टीफिकेट ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन या किसी अन्य बोर्ड द्वारा मान्यता/संबद्धताप्राप्त प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट स्तर तक के स्कूल-कॉलेजों पर लागू होगा। अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान भी इसके दायरे में आएंगे। अध्यादेश के प्रावधान निजी पूर्व प्राथमिक विद्यालयों पर लागू नहीं होंगे। मौजूदा समय में राज्य विधानमंडल सत्र में न होने के कारण और विषय की तात्कालिकता को देखते हुए राज्यपाल ने अध्यादेश के विधिक परीक्षण के बाद उसे अपनी स्वीकृति दी है। अध्यादेश से संबंधित पत्रवली सोमवार को ही राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन को प्राप्त हुई थी। 1स्कूलों को 30 दिनों में सार्वजनिक करनी होगी फीस: अध्यादेश में यह प्रावधान है कि निजी स्कूलों को अगले शैक्षिक सत्र से 60 दिन पहले आगामी सत्र में वसूली जाने वाली फीस का ब्योरा अपनी वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करना होगा। सरकार ने इस अध्यादेश को शैक्षिक सत्र 2018-19 से लागू किया है। इस सत्र में कई निजी स्कूलों में दाखिले हो चुके हैं या हो रहे हैं। अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा संजय अग्रवाल ने बताया कि अध्यादेश में यह भी प्रावधान है कि पहली बार इसके लागू होने पर अधिसूचना की तारीख से 30 दिन के अंदर स्कूलों को सत्र में वसूली जाने वाली फीस का ब्योरा वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करना होगा।
राज्यपाल राम नाईक ने कैबिनेट से अनुमोदित ‘उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) अध्यादेश 2018’ को मंजूरी दे दी है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद सरकार ने इस बारे में अधिसूचना भी जारी कर दी है। अध्यादेश के दायरे में वे सभी मान्यताप्राप्त निजी स्कूल आएंगे जिनकी वार्षिक फीस 20 हजार रुपये से अधिक है। यह अध्यादेश उप्र बेसिक शिक्षा परिषद, उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद, सीबीएसई, आइसीएसई, इंटरनेशनल बेक्कलॉरेट, इंटरनेशनल जनरल सार्टीफिकेट ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन या किसी अन्य बोर्ड द्वारा मान्यता/संबद्धताप्राप्त प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट स्तर तक के स्कूल-कॉलेजों पर लागू होगा। अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान भी इसके दायरे में आएंगे। अध्यादेश के प्रावधान निजी पूर्व प्राथमिक विद्यालयों पर लागू नहीं होंगे। मौजूदा समय में राज्य विधानमंडल सत्र में न होने के कारण और विषय की तात्कालिकता को देखते हुए राज्यपाल ने अध्यादेश के विधिक परीक्षण के बाद उसे अपनी स्वीकृति दी है। अध्यादेश से संबंधित पत्रवली सोमवार को ही राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन को प्राप्त हुई थी। 1स्कूलों को 30 दिनों में सार्वजनिक करनी होगी फीस: अध्यादेश में यह प्रावधान है कि निजी स्कूलों को अगले शैक्षिक सत्र से 60 दिन पहले आगामी सत्र में वसूली जाने वाली फीस का ब्योरा अपनी वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करना होगा। सरकार ने इस अध्यादेश को शैक्षिक सत्र 2018-19 से लागू किया है। इस सत्र में कई निजी स्कूलों में दाखिले हो चुके हैं या हो रहे हैं। अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा संजय अग्रवाल ने बताया कि अध्यादेश में यह भी प्रावधान है कि पहली बार इसके लागू होने पर अधिसूचना की तारीख से 30 दिन के अंदर स्कूलों को सत्र में वसूली जाने वाली फीस का ब्योरा वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करना होगा।
अध्यादेश की खास बातें
l छात्रों से कैपिटेशन फीस नहीं ली जाएगी,प्रवेश शुल्क स्कूल में दाखिले के समय लिया जाएगा।
l विवरण पुस्तिका-पंजीकरण शुल्क भी स्कूल में प्रवेश के समय लिया जाएगा।
l निजी स्कूल साल भर की फीस एक साथ नहीं ले सकेंगे। वे मासिक, त्रैमासिक या अर्धवार्षिक आधार पर फीस ले सकेंगे।
l छात्रों से लिया गया प्रतिभूति शुल्क स्कूल छोड़ने पर सभी देयों को समायोजित करते हुए उन्हें वापस करना होगा।