राज्य वेतन समिति की चेयरमैन वृंदा स्वरूप ने कार्यकाल के अंतिम दिन अपनी संस्तुतियां प्रमुख सचिव वित्त को सौंपी। समिति ने तमाम भत्तों में वृद्धि की सिफारिश की तो कई अप्रासंगिक भत्तों को खत्म करने की संस्तुति की है। अब वित्त विभाग इन संस्तुतियों पर विचार कर मंजूरी के लिए कैबिनेट भेजेगा।
मुख्य सचिव राजीव कुमार ने बताया कि राज्य वेतन समिति का कार्यकाल 28 फरवरी को पूरा हो गया। समिति ने आखिरी दिन अपनी पूरी संस्तुतियां वित्त विभाग को सौंपी हैं। वित्त विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि वेतन समिति ने सभी सेवा संगठनों और विभागों के अधिकारियों की बात सुनकर रिपोर्ट तैयार की है।समिति ने वाहन, यात्रा, कैश हैंडलिंग, कंप्यूटर, द्विभाषी, वर्दी, शिक्षा, पौष्टिक आहार, एचआरए, नगर प्रतिकर, नियत यात्रा, पोस्टमार्टम, प्रशिक्षण, प्रतिनियुक्ति, प्राइवेट प्रैक्टिस बंदी भत्ता, प्रोजेक्ट एलाउंस, चाइल्ड केयर लीव, अवकाश यात्रा, सचिवालय भत्ता, सामूहिक बीमा, स्नातकोत्तर भत्ता, स्वैच्छिक परिवार नियोजन सहित सभी भत्तों पर विस्तृत संस्तुतियां दी हैं।
जानकार बताते हैं कि समिति ने भत्तों को तर्कसंगत बनाते हुए कर्मचारियों की मांग के हिसाब से न सही लेकिन कई भत्तों में वृद्धि और कई को खत्म करने की सिफारिश की है। समिति ने भत्तों के अलावा निगमों, स्थानीय निकायों, स्वायत्तशासी संस्थाओं को लेकर भी रिपोर्ट दी है।
सार्वजनिक करें रिपोर्ट
सचिवालय कर्मचारी संघ ने मुख्य सचिव राजीव कुमार से मिलकर राज्य वेतन समिति की संस्तुतियां सार्वजनिक करने की मांग की है। संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र व सचिव ओंकार नाथ तिवारी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव से मुलाकात की। पदाधिकारियों ने मुख्य सचिव से समिति की संस्तुतियां सार्वजनिक करने और भत्तों के केंद्र के समान दिलाने की मांग की। सचिव ने बताया कि मुख्य सचिव ने प्रमुख सचिव वित्त से मिलकर इस संबंध में चर्चा के लिए कहा है। प्रतिनिधिमंडल में कल्पना पाठक, गोपीकृष्ण श्रीवास्तव, विनीत शर्मा व चित्रगुप्त आदि शामिल रहे।