पूरा विश्व 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस बनाता है। महिलाओं के सम्मान के लिए घोषित इस दिन का उद्देश्य सिर्फ महिलाओं के प्रति श्रद्दा और सम्मान बताना है। एक महिला के बिना किसी भी व्यक्ति जीवन सृजित नहीं हो सकता है इसलिए इस दिन को महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में सेलिब्रेट किया जाता है।
इतिहास
यह दिवस सबसे पहले अमेरिका में 28 फरवरी 1909 में मनाया गया। फिर इस दिवस को फरवरी के अंतिम रविवार को मंजूरी दी गई। लेकिन 1990 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन के सम्मेलन में महिला दिवस को इंटरनेशनल मानक दिया गया।
महिला दिवस की शुरूआत क्यों हुई?
महिला दिवस की शुरूआत महिलाओं को वोट देने के अधिकार के लिए हुई थी क्योंकि बहुत सारे देश ऐसे थे जहां महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं है।
8 मार्च का महिला दिवस
8 मार्च का महिला दिवस
1917 में रूस की महिलाओं ने विरोध किया क्योंकि उनके यहां तब जुलियन कैलेंडर मान्य था और पूरे विश्व में ग्रेगेरियन कैलेंडर। जिसके हिसाब से अंतिम रविवार 8 मार्च को पड़ा क्योंकि फरवरी तो 28 दिन की होती थी इसलिए चौथ रविवार मार्च में गिना गया जो कि पूरे विश्व में मान्य हो गया और तबसे 8 मार्च को महिला दिवस घोषित हुआ जिसे रूस को भी मानना पड़ा।
महिलाओं की कामयाबी का दिन
भारत में भी आधी आबादी के इस दिवस को धूम-धाम से सेलिब्रेट किया जाता है। यह दिन महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक तरक्की दिलाने व उन महिलाओं को याद करने का दिन है।
महिलाओं को हर मौलिक अधिकार प्राप्त
भारत में एक महिला को शिक्षा का, वोट देने का अधिकार और मौलिक अधिकार प्राप्त है यहां तक कि एक महिला को अपने पति की संपत्ति में भी बराबरी का दर्जा रखती है।
मां दुर्गा और काली का देश
भारत में मां दुर्गा और काली की पूजा होती है इसलिए हमारे देश में नारी को देवी भी कहा गया है। पिछले कुछ समय से महिलाओं की स्थिति में सुधार आया है वो पढ़ रही हैं और आगे बढ़ रही हैं इसलिए हमें भी उनकी कोशिश में पूरी मदद करनी चाहिए क्योंकि जहां नारी का सम्मान नहीं वहां सुख नहीं।मां दुर्गा और काली का देश
हर साल अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन के एक थीम निश्चित की जाती है। इस साल इसका थीम #PressForProgress है।